रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची का सबसे पौश इलाका माना जाता है अशोक नगर। यहां वीआईपी, वीवीआईपी से लेकर आईएएस और आईपीएस का बंगला है। इसके अलावा कई ऑफिसेज भी यहीं हैं। लेकिन इसी इलाके में रहने वाले करीब 150 से अधिक लोग बीते डेढ़ महीने से कैद हैं। इन लोगों के आने-जाने के एकमात्र रास्ते को बंद कर दिया गया है। लोगों के आने-जाने के लिए रास्ते में एक दरवाजा लगा हुआ है, जहां बीते डेढ़ महीने से ताला जड़ दिया गया है। इस कारण यहां रहने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गई है। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी दरवाजे को फांद कर आने-जाने के लिए विवश हैं। करीब पांच फीट ऊंचे इस दरवाजे को तड़पकर लोगों को पार करना पड़ रहा है।
तीन दर्जन परिवार
अशोक नगर इलाके के पीछे की बस्ती जहां करीब तीन दर्जन परिवार रहते हैं। अपने काम पर जाने से लेकर दूसरे किसी भी काम के लिए मुहल्ले से बाहर निकलने से पहले इन लोगों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। रानी नामक बच्ची जब ट्यूशन जाने के लिए घर से निकली तो उसे भी इसी तरह दरवाजा फांद कर जाना पड़ा। उस बच्ची को यह तक नहीं मालूम कि यहां ताला क्यों और किसने लगाया है। लेकिन स्कूल, ट्यूशन जाना जरूरी है इसलिए बच्ची भी इसी तरह आने-जाने के लिए विवश है।
अपनी ही जमीन पर कैद
इसी बस्ती में रहने वाली सुनिता तिग्गा ने बताया कि उनके पूर्वजों ने सोसायटी को जमीन दी, जिस पर आज पूरा अशोक नगर बसा हुआ है। लेकिन जिसने जमीन दी आज उन्हीं के वंशजों को उन्हीं की जमीन पर कैद कर दिया गया है। सुनीता ने बताया कि ताला लगने से होने वाली परेशानी के बारे में सोसायटी को अप्लीकेशन के माध्यम से अवगत कराया गया है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हर दिन सुबह से लेकर शाम तक घर के किसी भी सदस्य को कहीं जाने की जरूरत है तो वे इसी तरह जाने के लिए लाचार हैं।
सुबह 6 से रात 9 बजे तक खूलता था गेट
यह दरवाजा डेढ़ महीने पहले तक हर दिन खोला और बंद किया जाता है। सुबह छह बजे दरवाजा खोल दिया जाता था, जो रात के नौ बजे तक खुला रहता था। इसके बाद सेफ्टी परपस को देखते हुए दरवाजा बंद कर दिया जाता था। यहां रहने वाले लोगों को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन जब से दरवाजे पर 24 घंटे ताला रहने लगा है तब से यहां के लोगों की परेशानी बढ़ गई हैै। ऐसा नहीं है कि यहां रहने वाले लोग कहीं बाहर के हैं बल्कि ये लोग खुद को यहां के वाशिंदे बताते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि अशोक नगर के बड़े-बड़े बंगले और डुप्लेक्स में काम करने वाले महिला और पुरुष भी इसी बस्ती में रहते हैं। इसके बावजूद इनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
क्या कहते हैं बस्ती के लोग
हमलोगों की जमीन पर ही हमें कैद कर दिया गया है। बीते डेढ़ महीने से हमलोग इसी तरह से रहने को विवश हैं। सोसायटी को आवेदन भी दिए हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
- सुनीता तिर्की


ऐसा लगता है जैसे हमलोग जानवर हैं। जिस तरह फसल बचाने के लिए जानवर को कैद कर दिया जाता है, उसी तरह हम लोगों को भी कैद कर दिया गया है। यह काफी पीड़ादायक है। जबकि हम लोग वर्षोंं से यहीं रह रहे हैं।
-लक्ष्मण उरांव


50-60 साल में ऐसा पहली बार हुआ है। जब हमलोगों का रास्ता बंद कर दिया गया हो। जबसे अशोक नगर सोसायटी में नई कमिटी आई है वे लोग मनमानी कर रहे हैं। मैंने जब अपनी परेशानी बताई तो कह दिया गया कि एक व्यक्ति के लिए दरवाजा नहीं खुलेगा।
-सुमित्रा तिर्की


मुझे तो पता भी नहीं कि किस लिए दरवाजा में ताला लगा है। मैं हर दिन इसी तरह दरवाजा फांद कर स्कूल और ट्यूशन जाती हूं। यहां कोई सिक्योरिटी गार्ड भी नहीं रहता, जिससे कुछ कह सकूं। चोट लगने का भी डर बना रहता है।
-रानी कुमारी



सेफ्टी पर्पस से दरवाजे पर ताला लगाया गया है। यह बोर्ड का निर्णय है। लोगों के आने-जाने के लिए दूसरा दरवाजा है। उसी दरवाजे से आना-जाना करें। अब हर परिवार के लिए अलग से रास्ता तो नहीं खोल सकते।
-अनिल कुमार, सचिव, अशोक नगर सोसायटी