रांची: कोरोना महामारी के बीच देशहित में झारखंड अपना पहला कदम बढ़ा लिया है। आज इस राज्य के लगभग 16 सौ कामगार सीमा सड़क संगठन द्वारा देश के सीमावर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में कराए जाने वाले सड़क निर्माण कार्य में अपना योगदान देने के लिए रवाना हो रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने शनिवार को दुमका रेलवे परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कामगारों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। जो इसमें लापरवाही बरतेंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कामगारों को ले जाने वाली पहली स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

कदम मिलाकर चले बीआरओ

सीएम ने सीमा सड़क संगठन से कहा कि वे कामगारों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें। उन्हें सरकार की ओर से पूरा सहयोग किया जाएगा। सीएम ने कहा कि राज्य के साथ देश के विकास में यहां के कामगार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं और गौरव के भागीदार बनें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमा सड़क संगठन के लिए सड़क निर्माण कार्य में झारखंड के कामगार अग्रणी भूमिका निभाएंगे। इसके लिए कामगारों का पहला दल भेजा जा रहा है और अगले कुछ दिनों में हज़ारों कामगार देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण के कार्य में योगदान करने के लिए रवाना होंगे।

नई व्यवस्था बना रही सरकार

सीएम ने कहा कि अब कामगारों का शोषण नहीं होगा। कामगारों की नियुक्ति से लेकर उनकी सुरक्षा स्वास्थ्य और कल्याण का पूरा ख्याल रखा जाएगा। इनके अधिकारों को छीनने वाली बिचौलियागिरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस संबंध में नई गाइडलाइन जारी कर दी गई हैं। सभी नियोक्ताओं को इसका पालन सुनिश्चित करना होगा।

भूख से किसी की मौत नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों की वापसी हुई है। इन मजदूरों को रोजगार देने के लिए सरकार सभी संभव कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मजदूरों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है और भूख से किसी मजदूर की मौत नहीं हो इसकी गारंटी देगी। इसके लिए सरकार के स्तर पर सभी गरीबों और जरूरतमंदों को राशन के साथ-साथ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

दुर्गम क्षेत्रों में योगदान

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के कामगार शुरू से ही देश के हित और विकास में अहम योगदान देते आ रहे हैं। कोरोना काल में एक बार फिर वे देश के दुर्गम और कठिन क्षेत्रों में अपना योगदान करने के लिए जा रहे हैं। यहां सामान्य जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है , लेकिन झारखंड के कामगारों ने अपने कार्य से पूरे देश में एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के पहले तक सरकार को यह मालूम तक नहीं था कि यहां के कामगार लाखों की संख्या में दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं। यहां के कामगारों ने देश के सभी राज्यों के विकास में अहम योगदान निभा रहे हैं और यही इस देश के लोकतंत्र की खुबसूरती है।

सभी वर्ग के लोगों को रोजगार देंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट के इस दौर में सभी वर्ग के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की मुहिम में सरकार जुट गई है। चाहे यहां लौट कर आए प्रवासी मजदूर हो या फिर दूसरे राज्यों के मजदूर, जो यहां काम कर रहे हैं, उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि सभी वर्ग के सभी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

ट‌र्म्स ऑफ रेफरेंस पर सिग्नेचर

सीएम की मौजूदगी में श्रम विभाग और सीमा सड़क संगठन के प्रतिनिधि के बीच ट‌र्म्स ऑफ रेफरेंस ( टीओआर) पर सिग्नेचर किए गए। इसमें कामगारों के स्वास्थ्य, सुरक्षा कल्याण और वेतन से जुड़ी व्यवस्थाओं के बेहतर होने की गारंटी दी गई है। इसके अलावा कामगारों का शोषण नहीं हो , इसके लिए उन्हें रजिस्ट्रेशन कार्ड भी दिया जा रहा है। इसके अलावा सभी कामगारों का पता और मोबाइल नंबर भी रखा गया है ताकि उनकी जानकारी समय-समय पर सरकार को मिलती रहे। इस मौके पर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता, विधायक नलिन सोरेन, सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, सीमा सड़क संगठन के अपर पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार, दुमका की डीसी राजेश्वरी बी और एसपी अंबर लकड़ा समेत कई अधिकारी मौजूद थे।