रांची (ब्यूरो) । शहर में जो कचरा हर दिन निकलता है, उससे 151 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। अगर सरकार की इस योजना से 151 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो जाता है तो रांची शहर को जितनी बिजली हर दिन उपलब्ध होती है वह कचरे के उत्पादन से होने वाली बिजली से ही उपलब्ध हो जाएगी। सरकार ने तय किया है कि अलग-अलग कचरा से निकलने वाले वेस्ट को मिलाकर बिजली तैयार की जाएगी। इसके लिए जहां से कचरा निकलता है, उसके लिए कितना मेगावाट बिजली तैयार की जाएगी। इसकी डीपीआर तैयार की गई है।

पोल्ट्री फार्म से 5 मेगावाट

झारखंड में पोल्ट्री(मुर्गा-मुर्गी-बत्तख) के कचरे से भी बिजली तैयार की जाएगी। सरकार ने इस कचरे से पांच मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। रिन्यूएवल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई डीपीआर में कहा गया है कि पोल्ट्री फॉर्म से साल भर में 363 टन कचरा निकलता है। इससे पांच मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है।

कचरे से 116 मेगावाट

मवेशियों के कचरे से 116 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। कैटल वेस्ट( मवेशी कचरा) साल भर में 13,580 टन निकलता है। इसका उपयोग बिजली उत्पादन में किया जा सकता है। वहीं शहरी क्षेत्रों में निकलने वाले गीला कचरा से 10 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। आकलन के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 1055 मिलियन लीटर गीला कचरा निकलता है।

ठोस कचरा से 20 मेगावाट

सरकार द्वारा तैयार की गई योजना के तहत शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले ठोस कचरा से 20 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। शहरी क्षेत्रों में साल भर में 1317 टन कचरा निकलता है। इस तरह कुल ठोस कचरा 15260 टन प्रति वर्ष निकलने का अनुमान लगाया गया है।