रांची: राजधानी में बारिश के साथ जनता की गाढ़ी कमाई भी सड़कों पर बह रही है। लोगों के टैक्स से भरने वाले खजाने से 200 करोड़ खर्च करने के बावजूद शहर में चल रही विकास योजनाएं धरातल से कोसों दूर हैं। शहर के विकास के लिए सरकार या स्थानीय निकाय सुनियोजित तरीके से काम करते हैं। विकास के इस काम में करोड़ों रुपए का बजटीय आवंटन भी होता है। रांची शहर में पिछले पांच वषरें में नगर विकास विभाग और रांची नगर निगम ने सौंदर्यीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की। कुछ योजनाओं के पूरा होने पर नगर निगम की तारीफ तो हुई। लेकिन कई अन्य योजनाओं को देखकर यही कहा जा सकता है कि योजनाएं पूरी तरह से बेकार साबित हुईं। नगर विकास विभाग और नगर निगम ने करीब 196 करोड़ रुपए खर्च कर दिये हैं। लेकिन योजना आज भी धरातल पर नहीं दिखती है।

सीवरेज ड्रेनेज: 85 करोड़ खर्च

लागत- 357 करोड़

खर्च- 85 करोड़

राजधानी में सीवरेज-ड्रेनेज फेज-1 को देखें तो राजधानी के जोन- 1 ( 9 वाडरें) में 357 करोड़ की लागत से इस प्रोजेक्ट का काम किया जाना था। चार साल में 85 करोड़ रुपए खर्च तो हुए, लेकिन केवल 37 परसेंट ही सीवर लाइन बिछाई गई। अब एक बार फिर से नगर निगम इस अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए नए सिरे से डीपीआर की तैयारी में है। पीएमसी (प्रोजेक्ट मैनजमेंट कंसल्टेंट) चयन करने के लिए नगर निगम ने नया टेंडर जारी किया है। अबतक 85 करोड़ खर्च करने के बाद भी लोगों को बिछी पाइपलाइन का फायदा नहीं मिल सका है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पूरा नहीं हुआ है।

17 करोड़ का स्लॉटर हाउस

हाइजेनिक मीट खिलाने के वादों के साथ नगर निगम ने करीब 17 करोड़ की लागत से कांके में अत्याधुनिक स्लॉटर हाउस का निर्माण कराया। हाउस में कई आधुनिक मशीन लगाई गई हैं, ताकि यहां लाए जाने वाले बकरे, भेड़ को काटा जा सके। लेकिन 17 करोड़ की राशि पूरी तरह से बेकार दिखती है। स्लॉटर हाउस को उद्घाटन हुए करीब दो साल हो गए हैं। लेकिन इसे शुरू तक नहीं किया जा सका है। लाई गई मशीन की स्थिति आज क्या है, इसकी सुध लेने वाला शायद ही कोई है।

हरमू नदी पी गई 84 करोड़

नगर विकास विभाग की एजेंसी जुडको ने मां का दर्जा प्राप्त हरमू नदी के सौंदर्यीकरण के लिए करीब 84 करोड़ रुपए खर्च कर दी है। लेकिन ऐसा लगता है कि हरमू नदी इस 84 करोड़ रुपए को डकार चुकी है। कहीं कोई डेवलपमेंट नहीं दिखाई देता। हरमू नदी की दुर्दशा आज भी किसी से छिपी नहीं है। नाला बन चुकी इस नदी में गंदगी भरी हुई है। सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। हरमू मुक्ति धाम से विद्यानगर के अंदर जैसे-जैसे बह रही हरमू नदी अपने हाल को रो रही है। नाले की स्थिति और खराब होती दिखती है। पूरे नाले में गंदगी ऐसी बिखरी है।

9.53 करोड़ खर्च पर बड़ा तालाब में जलकुंभी

हार्ट ऑफ सिटी में बसे रांची झील की बात करें, तो यहां पर पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर स्वामी विवेकानंद की मूर्ति लगाई थी। जाहिर है कि मूर्ति की सुंदरता तभी बन सकती थी, जब तालाब के चारों ओर भी सौंदर्यीकरण का काम हो। नगर निगम ने दो चरणों में सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया। पहले फेज में अब तक करीब 9.53 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं। लेकिन तालाब के चारों ओर का काम आज भी अधूरा ही है। यहां तक कि बड़ा तालाब में चारों तरफ जलकुंभी फैल चुकी है।

क्या कहते हैं लोग

विकास का काम बिना किसी एजेंडा के नहीं होना चाहिए। जनता के रुपए को खर्च करने में भी सरकार के मंत्रियों और विभाग के अधिकारियों की बंदरबांट से चलता है।

नीतिश

यहां जानबूझकर काम लटकाया जाता है। कांटाटोली फ्लाईओवर, बड़ा तालाब, सीवरेज ड्रेनेज तो साफ दिखाई देते हैं। जानबूझकर ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से बजट बढ़ाया जाता है। सारा खेल जनता के पैसे की लूट-खसोट का है।

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