रांची: रांची में कोविड-19 की जंग में ऑक्सीजन का महत्वपूर्ण रोल हो गया है। ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए राज्य सरकार ने ऑक्सीजन टास्क फोर्स कमिटी का गठन कर दिया है। इसके बाद से शहर के चार ऑक्सीजन मैन्युफैक्चरर जो पहले 7 बजे अपने प्लांट को बंद कर देते थे, उन्होंने अब 24 घंटे प्लांट चलाना शुरू कर दिया है। शहर में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए छोटानागपुर इंडस्ट्रियल गैस, महेश्वरी इंडस्ट्रीज, ऑक्सी लाइफ, एसके इंडस्ट्रियल गैस से ऑक्सीजन की मैन्युफैक्चरिंग की जा रही है।

पहले 7 बजे ही प्लांट बंद

जब तक सरकार ने टास्क फोर्स का गठन नहीं किया था तब तक रांची के ऑक्सीजन प्लांट शाम 7 बजे ही बंद हो जाते थे। रांची के अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई करने के लिए रामगढ़ और बोकारो के ऑक्सीजन प्लांट पर निर्भर रहना पड़ता था। सरकार ने ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए जैसे ही टास्क फोर्स का गठन किया, टास्क फोर्स कमिटी ने सबसे पहले सभी अस्पतालों को 24 घंटे प्लांट चलाने का निर्देश दिया। उसके बाद से शहर के सभी ऑक्सीजन प्लांट 24 घंटे चालू है।

रियल टाइम मॉनिटरिंग

टास्क फोर्स कमिटी के चेयरमैन जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस टास्क फोर्स ने राज्य के मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन व रिफिलिंग करनेवाले प्लांटों को 24 घंटे उत्पादन करने को कहा है। राज्य में वर्तमान में लगभग 50 टन ऑक्सीजन की खपत प्रति दिन है। इनमें 25 से 30 टन की खपत सिर्फ रांची में हो रही है। इधर, होम आइसोलेशन में रहनेवाले मरीजों को ऑक्सीमीटर की जरूरत बढ़ने के कारण इसकी कीमत में उछाल आया है। पूर्व में पांच-छह सौ रुपये में उपलब्ध होनेवाले ऑक्सीमीटर के लिए दवा दुकानदारों द्वारा डेढ़ से दो हजार रुपये लिये जा रहे हैं। थर्मामीटर की मांग बढ़ने से इसकी कीमत में भी 25 से 50 परसेंट उछाल आया है। इन जरूरी चीजों की कालाबाजारी होने की भी बातें सामने आ रही हैं। हालांकि औषधि प्रशासन का कहना है कि लगातार दवा दुकानों में छापेमारी की जा रही है।

केमिकल की कमी

एक प्लांट ओनर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ऑक्सीजन बनाने के लिए जिस केमिकल की जरूरत होती है, उसकी थोड़ी कमी आ रही है। इसकारण हमें परेशानी हो रही है। हमने टास्क फोर्स कमिटी को भी इससे अवगत करा दिया है।

डिमांड बढ़ने से रिफिलिंग में देरी

रांची में ऑक्सीजन उत्पादन में फिलहाल कमी नहीं है, लेकिन अचानक मांग बढ़ने से उस अनुपात में रिफिलिंग नहीं हो पा रही है। यहां सिलेंडर की भी काफी कमी है। ऑक्सीजन की खपत की बात करें तो रांची में तो इसकी खपत 50 परसेंट अधिक हो गई है। रांची स्थित रांची ऑक्सीजन प्लांट के संचालक के अनुसार, एक अस्पताल से 24 घंटे में 10 से 20 सिलेंडर की मांग होती थी, लेकिन अब अस्पताल एक दिन में सौ से 150 सिलेंडर की मांग कर रहे हैं।

घर पर ले जा रहे सिलेंडर

कोरोना मरीजों को हो रही सांस की समस्या को देखते हुए लोगों द्वारा घर में ही ऑक्सीजन सिलेंडर रखने की प्रवृत्ति बढ़ी है। ऐसे में सिलेंडर की कालाबाजारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता। एक एजेंसी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि ऐसे में सिलेंडर ब्लॉक हो जाते हैं। उसके अनुसार, राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन में समस्या नहीं है। समस्या सिलेंडर की कमी और रिफिलिंग में होनेवाली देरी है। बता दें कि राज्य सरकार ने राज्य में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उद्योग निदेशक जीतेंद्र सिंह की अध्यक्षता में ऑक्सीजन टॉस्क फोर्स गठित की है। इस टास्क फोर्स कमिटी में परिवहन आयुक्त किरन पासी और ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव आदित्य रंजन को सदस्य बनाया गया है।

रांची सहित राज्यभर के अस्पतालों को ऑक्सीजन की कमी ना हो, इसके लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है। अस्पताल, फैक्ट्री और रिटेलर के साथ को-ऑर्डिनेट करके गैस की आपूर्ति कराई जा रही है ।

-जितेंद्र कुमार सिंह, अध्यक्ष, ऑक्सीजन टास्क फोर्स कमिटी