RANCHI : रांची की सबसे बड़ी झील बड़ा तालाब (स्वामी विवेकानंद सरोवर) की हालत बेहद खराब हो गई है। जलकुंभी से तालाब का 60 फीसदी हिस्सा भर गया है। पानी केवल 40 फीसदी हिस्से पर ही नजर आ रहा है। आलम यह है कि यहां आने वाले लोगों को पानी ढूंढना पड़ रहा है। गर्मी से पहले ही इस तालाब में पानी कम पड़ जाने के कारण यह कयास लगाया जा रहा है कि मई-जून में यह तालाब पूरी तरह से सूख जाएगा।

वाटर लेवल हो जाएगा डाउन

तालाब में पानी खत्म होने पर आसपास के एरिया का वाटर लेवल भी डाउन हो जाएगा। ऐसा होने पर सिटी के बड़े हिस्से में वाटर क्राइसिस झेलनी पड़गी। जलकुंभी के कारण तालाब के आसपास तेज बदबू से भी परेशानी बढ़ गई है। पास से गुजरते लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

रेगिस्तान की ओर बढ़ रहे हैं हम

एनवायरमेंटल साइंटिस्ट डॉ नीतीश प्रियदर्शी से बातचीत

सवाल - जलकुंभी से बड़ा तालाब भर गया है, इसके क्या नुकसान हैं?

जवाब - जलकुंभी के आने का मतलब है कि पानी जहरीला हो गया है। इसमें ऑक्सीजन भी खत्म हो गया है। मछलियां मरने लगेंगी। दुर्गध से परेशानी बढ़ेगी।

सवाल - ऐसी स्थिति क्यों हुई?

जवाब - देखभाल नहीं होने से ऐसा हो रहा है। सन 1872 में इस तालाब का निर्माण अंग्रेजों ने किया था। लेकिन, आज स्थिति ऐसी हो गई है कि इस तालाब का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। यही जलकुंभी सड़ कर नीचे कीचड़ बन जाएगा।

सवाल - अब इसे बचाने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब - इसे वैज्ञानिक सोच के साथ बचाना होगा। तालाब का बचा रहना जरूरी है। गर्मी में जब बारिश नहीं होने लगे, तो तालाब का ही पानी ही वाष्पीकृत होकर बादल बनाता था। इससे दोपहर के बाद बारिश होती थी। लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है। मतलब अब हम रेगिस्तान की ओर बढ़ रहे हैं।

सवाल - इसके क्या-क्या नुकसान होने वाले हैं?

जवाब - अगर इस तालाब को युद्धस्तर पर नहीं बचाया गया, तो बड़ी आबादी भू-जल के लिए तरसेगी। आने वाले दिनों में तालाब के आसपास के एरिया में अंडरग्राउंड वाटर लेवल रसातल पर चला जाएगा। इसके बाद जो होगा, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।