रांची(ब्यूरो)। सरकारी खजाने से खरीदी गई चीजों को किस तरह सड़ा दिया जाता है, इसका परफेक्ट एग्जामपल है ई-विद्यावाहिनी के 41 हजार टैब, जो लगभग बेकार हो चुके हैैं। पांच साल पहले रघुवर सरकार ने टैब खरीदकर 35 हजार स्कूलों में पहुंचवाया था, ताकि स्कूलों की मॉनिटरिंग और मैसेजिंग में कोई परेशानी न हो। अलबत्ता टैब में एक ऐसा मैसेज डाल दिया गया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास डिजिटल इंडिया-कैशलेस इंडिया को सफल बनाने का संदेश देते नजर आते हैैं। रघुवर सरकार हारी, हेमंत सोरेन की सरकार आई और फिर इस टैब को ही डंप कर दिया गया। नतीजा यह है कि अब 90 परसेंट टैब या तो खराब हो चुके हैैं या फिर झारखंड स्टेट प्रोजेक्ट एजुकेशन काउंसिल की कस्टडी में रखे हुए हैैं। इससे शुद्ध रूप से 53 करोड़ रुपए का चूना लगा है। अब सरकार फिर से स्कूल के टीचर्स के लिए टैबलेट खरीदने को करोड़ो रुपए खर्च करने की तैयारी कर रही है, लेकिन टैबलेट देने वाले एजेंसी का चयन ही नहीं हो पा रहा है।

35000 स्कूलों में बंटे थे टैब

झारखंड के स्कूलों में टीचर्स को डिजिटल तरीके से छात्रों को पढ़ाने, व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग करने के लिए ई विद्या वाहिनी के माध्यम से 35 हजार स्कूलों में 41 हजार टैबलेट टीचर्स को दिया गया था। टीचर्स ने बहुत कम इस टैबलेट का इस्तेमाल किया, उसके बाद से इसे झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय में जमा कर दिया गया। 6 साल से अधिक समय हो गया यह टैबलेट अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं, अब इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

रघुवर के संदेश के कारण बेकार

टीचर्स को नया टैबलेट खरीद कर दिया गया था, लेकिन सरकार का चेहरा बदलने के कारण करोड़ों रुपए का टैबलेट बर्बाद हो गया। रघुवर दास की सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में राच्य के सभी सरकारी स्कूलों के टीचरों को यह टैबलेट दिया था। इस टैबलेट के साथ ही रघुवर दास का फोटो के साथ एक संदेश भी टैबलेट में फिट किया गया था, यही फोटो और संदेश नई सरकार को पसंद नहीं आई और इसका इस्तेमाल नहीं हो पाया।

13000 में खरीदे गए थे टैब

झारखंड सरकार में टीचर्स को टैबलेट देने के लिए एक टैबलेट पर 13 हजार रुपए खर्च किया था। इस पूरी योजना पर करीब 53 करोड़ रुपए राच्य सरकार ने खर्च किया था। नए टैबलेट की खरीदारी के साथ ही उस समय के मुख्यमंत्री का संदेश और फोटो साथ में डाल कर दिया गया था।

संदेश बदलने की कोशिश नाकाम

2016 में सरकार ने इसकी खरीदारी की थी। विधानसभा चुनाव से पहले आचार संहिता लगने के बाद टीचर्स ने टैबलेट इस्तेमाल बंद कर दिया। नई सरकार आने के बाद टैबलेट से तस्वीर और वीडियो संदेश हटाने का प्रयास किया गया, लेकिन टेक्निकल कारण से यह संभव नहीं हो सका। उसके बाद से इस टैबलेट का इस्तेमाल पूरी तरह बंद हो गया है।

यह काम होना था टैब से

टैबलेट में इंस्टॉल ई विद्या वाहिनी एप्प से स्कूलों की मॉनीटरिंग की जानी थी। इसके माध्यम से स्कूलों में टीचर्स व स्टूडेंट्स की उपस्थिति के अलावा मध्याह्न भोजन से संबंधित जानकारी भी हासिल की जानी थी। इस एप्प से स्कूलों की निगरानी ही नहीं होनी थी, बल्कि टीचर्स, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के साथ-साथ स्टूडेंट्स की बायोमीट्रिक उपस्थिति भी दर्ज होनी थी। यह टैबलेट जिला व प्रखंड मुख्यालय के साथ-साथ रिमोट एरियाज में भी काम करता। स्टूडेंट्स को ऑनलाइन काउंसेलग, रेडियो के साथ-साथ लाइव वीडियो प्रसारण की सुविधा मिलती। इसके जरिए स्टूडेंट्स समय-समय पर महत्वपूर्ण व्यक्तियों का लाइव भाषण भी सुन सकते। यह छोटी ई-लाइब्रेरी के रूप में भी काम करने के लिए पेश किया गया था।

इस टैबलेट की खरीदारी 2016 में की गई थी। उसके बाद इसे बांटा गया था। यह डिवाइस पुराना हो गया, इसलिए इसका इस्तेमाल बहुत कम हो रहा है। राच्य सरकार नए टैबलेट की खरीदारी की तैयारी कर रही है। चार बार टेंडर हो गया है, लेकिन एजेंसी नहीं आई। अब फिर से टेंडर करने की तैयारी चल रही है।

-किरण पासी, निदेशक, झारखंड स्टेट प्रोजेक्ट एजुकेशन काउंसिल