RANCHI: झारखंड के 61 शराब माफिया राज्य के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में भी शराब की स्मगलिंग कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान शराब की तस्करी रोकने के लिए बिहार पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए झारखंड पुलिस को 61 लोगों की लिस्ट दी है। राज्य के ये वो लोग हैं जो लगातार बिहार झारखंड सीमा पर शराब का अवैध कारोबार करते हैं। राज्य पुलिस अभी पूरे राज्य में नशा विरोधी अभियान चला रही है। शराब के अवैध धंधे में झारखंड, यूपी और बंगाल के 138 वांटेड के खिलाफ कार्रवाई के लिए उन राज्यों की पुलिस को सूची सौंपी गई है। इनमें सबसे अधिक 63 तस्कर यूपी के रहनेवाले हैं। सूची में झारखंड व पश्चिम बंगाल के भी शराब तस्करों के नाम शामिल हैं।

बिहार बना कस्टमर ग्राउंड

अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी है। बिहार में दूसरे राज्यों से तस्करी के जरिए शराब पहुंचाई जाती है। तस्करी के कई मामलों में दूसरे राज्यों के धंधेबाजों के नाम सामने आए हैं। ऐसे ही 138 तस्कर बिहार के विभिन्न थानों में दर्ज मामलों में फरार हैं। चूंकि ये दूसरे राज्य के रहनेवाले हैं इसलिए बिहार पुलिस ने इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की पुलिस से अनुरोध किया है।

यूपी व बंगाल के कारोबारियों का सिंडिकेट

बिहार पुलिस द्वारा जो सूची सौंपी गई है उसमें उत्तर प्रदेश के 63, झारखंड के 61 और पश्चिम बंगाल के 14 शराब तस्कर शामिल हैं। इनकी गिरफ्तारी के लिए पड़ोसी राज्यों की पुलिस से अनुरोध किया गया है। इन तस्करों के अलावा शराब के अवैध धंधे में लिप्त कई संदिग्धों की सूची भी झारखण्ड के साथ साथ उत्तर प्रदेश और बंगाल पुलिस को सौंपी गई है। संदिग्धों पर निगरानी रखने का अनुरोध पुलिस से किया गया है।

बेखौफ हुए अवैध शराब कारोबारी

माना जा रहा है कि बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में भी अवैध तरीके से खूब शराब की तस्करी की गई है। इस पर लगाम लगाने के मद्देनजर उठाया जा रहा हर कदम फेल हो गया है। बिहार में शराब की तस्करी पड़ोसी राज्यों से ज्यादा होती है। बिहार के कई गिरोह इसमें संलिप्त रहे हैं। दूसरे राज्यों में मौजूद बदमाशों की साठगांठ के जरिए वो शराब की तस्करी करते हैं। ऐसे में इन धंधेबाजों पर शिकंजा कसना जरूरी हो गया है।

बिहार में बहार बा

बिहार चुनाव में इस समय सिर्फ बिहार में का बा गीत ही धूम नहीं मचा रहा है, बल्कि झारखंड में तैयार नकली शराब का भी खूब बोलबाला है। बिहार से सटे हजारीबाग और कोडरमा समेत कई जिलों में इस समय हरियाणा व पंजाब लेवल लगी नकली शराब की खेप बिहार भेजी जा रही है। बिहार में शराबबंदी है, लेकिन चुनाव के दौरान और उसके नतीजों के बाद शराब गली-गली तक पहुंच रही है।

कम टैक्स के नाम पर खेल

विक्रेता झारखंड और पश्चिम बंगाल के लेवल लगी शराब के मुकाबले हरियाणा-पंजाब लेवल लगी शराब उपलब्ध कराते हैं, प्रलोभन देते हैं कि उन राज्यों में टैक्स कम है तो यह कम कीमत पर उपलब्ध है। गत 19 अक्टूबर को चौपारण में शराब की बड़ी खेप पकड़ी गई थी। इस दौरान बड़ी संख्या में हरियाणा और पंजाब ब्रांड शराब के स्टीकर भी बरामद हुए थे।

जंगल में मंगल

पता चला कि शराब बिहार भेजी जा रही थी। माफिया जंगलों में इस समय धड़ल्ले से अवैध शराब तैयार कर रहे हैं। उत्पाद विभाग से नजर बचाकर इसे बिहार के विभिन्न जिलों में भेज रहे हैं। इस एवज में मोटी रकम वसूल रहे हैं। भनक लगने पर 19 अक्टूबर को उत्पाद विभाग की टीम ने बिहार के गया जिले की सीमा से सटे चौपारण के सियरकोनी में छापेमारी की थी। यहां से 450 लीटर शराब बरामद हुई थी।

ब्रांडेड शराब के 10 हजार स्टीकर बरामद

ब्रांडेड शराब की खाली बोतलें, शराब बनाने के उपकरण, स्प्रिट व हरियाणा तथा पंजाब के करीब 10 हजार स्टीकर बरामद किए गए थे। इससे पहले तीन सितंबर को भी चौपारण में ही मिनी शराब फैक्ट्री पकड़ी गई थी। उस दौरान भी भारी मात्रा में स्टीकर, खाली बोतलें और होलोग्राम आदि बरामद किए गए थे। यह नकली शराब फैक्ट्री रिहायशी इलाके में चल रही थी।

राज्य में एक लाख से ज्यादा स्टिकर बरामद

यदि एक माह की बात करें तो राजधानी समेत हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद, देवघर समेत अन्य स्थानों से करीब एक लाख से अधिक स्टीकर बरामद किए जा चुके हैं। धंधेबाजों का उद्देश्य इन चमकदार स्टीकरों से ग्राहकों को भ्रमित कर उनका विश्वास जीतना है। स्टीकर बरामद होने के बाद स्पष्ट हो गया है कि स्थानीय अवैध शराब पंजाब व हरियाणा ब्रांड बता कर बेची जा रही है।