RANCHI:राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में पीजी डिप्लोमा में गलत ढंग से नामांकन होने का मामला सामने आया है। नामांकन के लिए निर्धारित सीमा से कम परसेंटाइल होने के बाद भी डॉ स्मृति तथा डॉ आयुष्मान का नामांकन लिया गया। अब इस मामले में जिम्मेदार पदाधिकारियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की तैयारी चल रही है। हालांकि झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद(जेसीईसीईबी)ने डॉ। स्मृति का नामांकन सही बताया है।

2018-19 में हुआ है एडमिशन

दोनों अभ्यर्थियों का नामांकन वर्ष 2018-19 में रिम्स में हुआ था। स्वास्थ्य विभाग ने नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा कम परसेंटाइल पर नामांकन लेने पर आपत्ति व्यक्त किए जाने के बाद जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। विभाग ने इसमें रिम्स के साथ-साथ झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। विभाग के अपर सचिव आलोक त्रिवेदी ने इसे लेकर रिम्स तथा झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद से इसके लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों की पहचान कर उनके नाम मांगे हैं ताकि उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जा सके।

क्या कहता है जेसीईसीईबी

इससे पहले स्वास्थ्य विभाग ने इसपर संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद से रिपोर्ट मांगी थी। पर्षद ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डॉ। स्मृति बीसी-1 श्रेणी की अभ्यर्थी थीं तथा राज्य सरकार की सेवा में थीं। तीन वर्षों की राजकीय सेवा हेतु उसे 30 प्रतिशत अंक अधिक प्रदान किए गए। इससे मेधा सूची में इनका स्थान बदलकर 60वें स्थान पर आ गया। साथ ही अनारक्षित सीट खाली रहने तथा कोई अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने के कारण उनका नाम आरक्षित के बजाय अनारक्षित श्रेणी में आ गया। वहीं, डॉ। आयुष्मान के मामले में यह बात सामने आई है कि वे अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी हैं, लेकिन वे बिहार के निवासी हैं। नियमानुसार उन्हें झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। इस तरह, सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित न्यूनतम परसेंटाइल 35 प्रतिशत से कम परसेंटाइल होने के कारण इनका नामांकन गलत माना गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इसमें रिम्स तथा झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद की लापरवाही को गंभीर मामला बताया है।