रांची: अधिवक्ता मनोज झा हत्याकांड का मुख्य आरोपित अफसर आलम उर्फ लंगड़ा को रांची पुलिस ने बेंगलुरु के होसकोटे से गिरफ्तार कर लिया। वह अपने एक साथी के साथ होटल में छिपा हुआ था। 26 जुलाई को अधिवक्ता की हत्या करने के बाद बैसाखी के सहारे लंगड़ा ने पुलिस को चकमा देते हुए लगभग आधा देश नाप लिया। पुलिस की टीम उसके पीछे-पीछे दौड़ती रही। देश के अंतिम छोर पर जाकर आरोपित पकड़ा गया। बेंगलुरु में जैसे ही लंगड़ा का पुलिस टीम से सामना हुआ, पुलिस ने सख्त चेतावनी देते हुये कहा कि अगर गोली चलायी तो एनकाउंटर कर देंगे। पुलिस की चेतावनी से अफसर उर्फ लंगड़ा सहम गया। इसके बाद पुलिस ने उसे दबोच लिया। उसकी निशानदेही पर रड़गांव निवासी मो। शोएब अख्तर के पास से घटना में प्रयुक्त एक देशी रिवाल्वर और तीन ¨जदा गोली बरामद की गई है।

एसएसपी ने दी जानकारी

सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि पूछताछ में लंगड़ा उर्फ अफसर आलम ने बताया कि उसे पूरा विश्वास था कि रांची पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकती। हालांकि, जब पुलिस की टीम उसके पीछे पड़ी तो भागने के लिए जगह छोटी पड़ गई।

बर्दाश्त नहीं कर सका लंगड़ा

तमाड़ थाना क्षेत्र के रड़गांव स्थित संत जेवियर संस्था की 14 एकड़ जमीन की मिल्कियत कोर्ट से जीतने के बाद अधिवक्ता मनोज झा खुद खड़े होकर बाउंड्री करवा रहे थे। जबकि इस जमीन पर अफसर आलम उर्फ लंगड़ा अपना दावा कर रहा था। केस लड़ना ठीक लेकिन संस्था की ओर से खड़े होकर जमीन की बाउंड्री करवाना अफसर आलम उर्फ लंगड़ा को नागवार गुजरा। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि संस्था की जमीन हाथ से जाने के बाद इलाके में उसकी धाक समाप्त हो रही थी। इसे अपना व्यक्तिगत नुकसान मानते हुए उसने हत्या की योजना बनाई। इससे पूर्व रांची पुलिस ने घटना में शामिल पांच अपराधियों सोनू अंसारी, संजीत मांझी, इमदार अंसारी उर्फ मुन्ना, रिजवान अंसारी और शकील अंसारी को दो अगस्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

पकड़ा गया मुख्य आरोपित

हत्याकांड को अंजाम देने वाले अपराधियों को पकड़ने के लिए बुंडू के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अजय कुमार और डीएसपी मुख्यालय प्रथम नीरज कुमार के नेतृत्व में पांच टीमें गठित की गई थी। हत्यारे को पकड़ने के लिए रांची पुलिस टीम ने करीब पांच हजार किलोमीटर सफर किया। अलग-अलग टीमों ने पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र में करीब 20 स्थानों पर छापेमारी की लेकिन मुख्य आरोपित अफसर आलम उर्फ लंगड़ा लगातार अपना ठिकाना बदल रहा था।

लेट पहुंचती भाग निकलता

पुलिस के अनुसार घटना को अंजाम देने के बाद अफसर आलम उर्फ लंगड़ा सबसे पहले पुरुलिया भागा। वहां से बाघमुंडी, आसनसोल, कोलकाता भागा। वहां से फिर ट्रेन से चेन्नई गया। चेन्नई में एक दो दिन रहने के बाद फिर बेंगलुरु भाग गया। बेंगलुरु से दिल्ली भागने की योजना थी। अगर पुलिस को आने में देर होती तो लंगड़ा को पकड़ने में और दौड़ना पड़ता।

साथियों को भरोसा

घटना को अंजाम देने के बाद अफसर आलम उर्फ लंगड़ा ने अपने साथियों को भरोसा दिया था कि रांची पुलिस कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। हमलोगों ने कोई सबूत नहीं छोड़ा है। पांच-छह माह शांति से बैठकर रहना फिर अपना काम करेंगे। हत्या को अंजाम देने के लिए साथियों को कुछ खर्चा भी दिया था। बाकी पैसा बाद में देने की बात कही थी।

दिव्यांग बोगी में सफर करता था

पुलिस जब पीछे पड़ी तो लंगड़ा बस भागता जा रहा था। कभी इधर तो कभी उधर। इतना घबरा गया था कि ट्रेन में सामान्य बोगी में भी सफर नहीं करता था। अधिकतर यात्रा ट्रेन के दिव्यांग बोगी में ही पूरी की।

परिजनों से करता था फोन

जानकारी के अनुसार लंगड़ा ने अपना मोबाइल बंद कर लिया था। अगर परिजनों से बातचीत करनी होती थी तो दोस्त के मोबाइल से बात करता था। बात करने के बाद मोबाइल अपने दोस्त को दे देता था। ताकि तकनीकी सेल की रडार पर न आ जाये।