रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में चार अलग-अलग स्थानों पर करीब चार करोड़ की लागत से एरोबिक बायो टॉयलेट का निर्माण कराया गया है। यह टॉयलेट बन कर तैयार है, लेकिन अभी इसका संचालन शुरू नहीं हुआ है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि नए साल में राजधानी वासियों के लिए एरोबिक बायो टॉयलेट खोल दिया जाएगा। एरोबिक बायो टॉयलेट का निर्माण करने वाली एजेंसी ही अलग पांच सालों तक इसका मेनटेनेंस का काम भी देखेगी। इस टॉयलेट की खासियत है कि इससे पॉल्यूशन नहीं होता। टॉयलेट के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर लगा होता है, जिसमें एनेरोविक बैक्टीरिया होता है। यह बैक्टीरिया मल को पानी और गैस में बदल देता है। पूरी प्रक्रिया के बाद सिर्फ मिथेन गैस और पानी ही रह जाता है। जिसे रीसाइक्लिंग कर शौचालय या बागवानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे दुर्गंध भी नहीं आती और सदैव स्वच्छ भी रहता है।

कहां, कहां बने टॉयलेट

राजधानी के चार चयनित स्थानों पर इसका निर्माण कराया गया गया है। अटल स्मृति वेंडर मार्केट के समीप, आईटीआई बस स्टैंड, मोरहाबादी स्थित रजिस्ट्री ऑफिस के समीप टॉयलेट का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। जल्द ही इसका संचालन शुरू होगा। इन तीनों के अलावा बिरसा मुंडा बस टर्मिनल में भी एरोबिक बायो टॉयलेट का निर्माण किया जाना है। मोरहाबादी स्थित रजिस्ट्री ऑफिस के समीप एरोबिक बायो टॉयलेट में छह पुरुष और दो महिला टॉयलेट की सुविधा है। इसी प्रकार आईटीआई बस स्टैंड और अटल वेंडर मार्केट के समीप निर्मित टॉयलेट में चार पुरुष और दो महिला टॉयलेट की सुविधा दी गई है। नगर निगम की मानें तो यह दुर्गंध रहित बायो टॉयलेट हैं।

रेलवे स्टेशन में ट्रायल सफल

ट्रायल के तौर पर रांची रेलवे स्टेशन के बाहर एक बायो टॉयलेट निर्माण किया गया था। इसकी सफलता के बाद भी नगर निगम ने शहर के अन्य इलाकों में इसका निर्माण कराया है। चार स्थानों के अलावा अन्य स्थानों में भी इसका निर्माण किए जाने की योजना है। इससे पानी की तो बचत होगी ही मेनटेनेंस का खर्च भी कम आएगा। यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली होने के साथ ही डिजेबल फ्रेंडली भी है। ऐसे में नेचुरल कॉल आने पर किसी को परेशानी नहीं होगी और किसी तरह का प्रदूषण भी नहीं होगा।

यूरिन को वाटर में कन्वर्ट

बायो टॉयलेट में यूरिन को स्टोर करने के लिए टैंक लगाए गए हैं। इसमें केमिकल डालकर यूरिन को पानी में कन्वर्ट कर दिया जाएगा। इससे दुर्गंध की समस्या नहीं होगी और ड्रेनेज में बहाया जा सकेगा। यूरिन को पानी में कन्वर्ट करने के लिए डीआरडीओ अप्रूव्ड टेक्निक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

मॉड्यूलर टॉयलेट की होगी तीन बार सफाई

इधर सिटी में पहले से निर्मित मॉड्यूलर टायॅलेट में भी बार-बार आ रही शिकायतों के बाद नगर निगम होश में आया है। आम पब्लिक को साफ-सुथरा टॉयलेट मिले इस दिशा में निगम ने पहल कर दी है। मॉड्यूलर टॉयलेट की अब दिन भर में तीन बार सफाई करने का निर्देश दिया गया है। टॉयलेट के संचालन का जिम्मा सुलभ इंटरनेशनल को दिया गया है। निगम से आदेश मिलने के बाद सुलभ की ओर से मॉडयूलर टॉयलेट के बाहर हेल्पलाइन नंबर भी दे दिया गया है। इस नंबर पर शिकायत दर्ज कराने के 30 मिनट के अंदर इसकी सफाई कराने का निर्देश है। गौरतलब हो शहर में 160 पब्लिक टॉयलेट है। सिटी के चौक-चौराहें एवं विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों पर टॉयलेट का निर्माण कराया गया है। इनमे 110 टॉयलेट का संचालन सुलभ इंटरनेशनल कर रही है। जबकि 32 शौचायल के संचालन की जिम्मेवारी मो एजाज और 18 का संचालन पासा सेल्स कर रही है।

बायो टॉयलेट हर तरीके से सही है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि इसमें पानी का खर्च बहुत कम है। इसके अलावा मेनटेनेंस को लेकर भी च्यादा परेशानी नहीं है।

-अमित कुमार, नगर आयुक्त, आरएमसी