RANCHI: झारखंड हाईकोर्ट ने भी कोरोना संक्रमण काल में देवघर के विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले के आयोजन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। हालांकि, अदालत ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया है कि वह भक्तों के लिए देवघर और बासुकीनाथ दोनों ही मंदिरों से भगवान के ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था शुरू करे। राज्य सरकार ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सावन के पहले दिन से ही श्रद्धालु घर से ही भगवान वैद्यनाथ और बासुकीनाथ के ऑनलाइन दर्शन कर सकेंगे। 200 सालों में ऐसा पहली बार होगा कि सावन में देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर और बासुकीनाथ में कांवर यात्रा और श्रावणी मेले का आयोजन नहीं होगा। इस दौरान अदालत ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मेले के आयोजन को लेकर दिए गए बयान पर नाराजगी जताई और कहा कि न्यायपालिका की गरिमा का ख्याल रखा जाना चाहिए।

निशिकांत ने दायर की थी याचिका

ज्ञात हो कि गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सावन में देवघर और वैद्यनाथ मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोलने और दर्शन-पूजन की छूट देने व सुरक्षित तरीके से श्रावणी मेले का आयोजन कराने की अनुमति मांगी थी। अदालत में सरकार इस संबंध में अपना पक्ष रखते हुए तीन दिन पहले ही स्पष्ट कर चुकी थी कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए श्रावणी मेले के आयोजन का खतरा मोल नहीं ले सकती। अदालत ने इस संबंध में फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए गोड्डा सांसद की याचिका को निष्पादित कर दिया।

सचिव ने ऑनलाइन रखा अपना पक्ष

फैसला सुनाने से पहले अदालत ने आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल को बुलाया और मामले की सुनवाई कुछ देर के लिए टाल दी। सचिव अमिताभ कौशल के ऑनलाइन उपस्थित होने पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि जब केंद्र सरकार ने आठ जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की छूट प्रदान की थी तो राज्य सरकार ने इस पर प्रतिबंध क्यों लगाया है? आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार ने भले ही धाíमक स्थलों को खोलने की छूट प्रदान की है, लेकिन इस पर निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया है। कोरोना संक्रमण पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं है, इसलिए राज्य सरकार ने धाíमक स्थल, स्कूल, कॉलेज, होटल, शॉपिंग मॉल सहित अन्य प्रतिष्ठान बंद रखने का निर्णय लिया है। ऐसे में श्रावणी मेला और कांवर यात्रा की छूट नहीं दी जा सकती।

साढ़े पांच लाख प्रवासी आए झारखंड

उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य में करीब 5.50 लाख प्रवासी श्रमिक आए हैं। सभी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में कपड़ा और जूता दुकान खोलने तक की अनुमति नहीं दी गई है। अदालत को बताया गया कि बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी कांवर यात्रा पर इस बार रोक लगाई गई है। इस पर अदालत ने कहा कि जब राज्य सरकार इसके आयोजन से मना कर रही है, तो कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। साथ ही सरकार को आदेश दिया कि वैष्णो देवी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों में जिस तरह ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था है, उसी तर्ज पर यहां पर भी व्यवस्था की जाए।

सीएम के बयान पर नाराजगी

मामले की सुनवाई शुरू होते ही हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर दिए गए बयान पर नाराजगी जताई। अदालत ने महाधिवक्ता से कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित था और सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है तो इस तरह की बात कहना उचित नहीं है। महाधिवक्ता ने सरकार को कोर्ट की भावना से अवगत कराने का आश्वासन दिया। अदालत ने कहा कि न्यायालय की गरिमा का ख्याल रखा जाना चाहिए। ज्ञात हो कि अदालत का फैसला आने के पहले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा कर दी थी कि इस बार श्रावणी मेले का आयोजन नहीं होगा।