रांची (ब्यूरो) । गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा, कृष्णा नगर कॉलोनी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में विशेष दीवान सजाया गया.विशेष दीवान की शुरुआत रात आठ बजे स्त्री सत्संग सभा की शीतल मुंजाल द्वारा वाणी निरंकार है भई वाणी निरंकार है। शबद कीर्तन से हुई। तत्पश्चात हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों ने रंग रता मेरा साहिब रब रहया भरपूर। एवं लख खुशियां पातशाहियां जे सतगुर नदर करे तथा डिठे सभे थाव नही तुध जेहिया। आदि शबद गायन कर संगत को गुरुवाणी से जोड़ा।
श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया
विशेष रूप से पधारे भाई बलप्रीत सिंह जी लुधियाना वाले ने आज्ञा भई अकाल की तबै चलाओ पंथ सब सिखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रंथएवं गुर का दरशन देख देख जीवां गुर के चरणन धोए धोए पीवां जैसे कई शबद गायन कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जीवेंदर सिंह जी ने कथा वाचन में सब सिखन को हुक्म है गुरु मानयो ग्रंथ का उल्लेख करते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज के बारे विस्तार से बताते हुए साध संगत को बताया कि सन 1602 में पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का लेखन शुरू किया,वह उच्चारण करते थे और भाई गुरदास जी वाणी लिखते थे। तकरीबन 2 साल के बाद सन 1604 में भाई बन्नो सिंह जी ने इस पर जिल्द चढ़ाया।
बाबा बुढ़ा सिंह पहले ग्रंथी
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के इस स्वरूप में 974 अंग (पृष्ठ) थे। इस तरह सन 1604 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश हुआ, बाबा बुढ़ा सिंह जी पहले ग्रंथी बने और उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला हुकमनामा पढ़ा
संता के कारज आप खलोआ
हर कम करावन आया राम
बाद में साबों की तलवंडी दमदमा साहिब में श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने दोबारा संपादन आरंभ किया और अपने पिता श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की वाणियों को दर्ज किया तथा एक और राग जैजैवंती को इसमें शामिल किया.इस संपादन कार्य में नौ महीने,नौ दिन और नौ घडिय़ां लगीं और कुल 1430 अंगों (पृष्ठों) के श्री गुरुग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप को अंतिम रूप दिया.श्री गुरु गोविंद साहिब जी बोलते थे और भाई मणि सिंह जी लिखते थे। सन 1708 में श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने नांदेड की धरती पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरता गद्दी सौंपी।
सरोपा ओढ़ाकर सम्मानित किया
श्री अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास,हुकुमनामा एवं कढ़ाह प्रसाद वितरण के साथ विशेष दीवान की समाप्ति रात 11.30 बजे हुई।
इस मौके पर समाज के जय गाबा को सोशल मीडिया में सिख धर्म के प्रचार प्रसार में अहम योगदान के लिए सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल ने गुरु घर का सरोपा ओढ़ाकर सम्मानित किया। सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने सभी श्रद्धालुओं को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश की बधाई दी.मंच संचालन गुरु घर के सेवक मनीष मिढ़ा ने किया। मौके पर रात नौ बजे से गुरु का अटूट लंगर चलाया गया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण गुरु घर के सेवक पवनजीत सिंह द्वारा यूट्यूब के चैनल मेरे साहब पर किया गया। समागम में सुंदर दास मिढ़ा ,द्वारका दास मुंजाल,अर्जुन देव मिढ़ा,हरविंदर सिंह बेदी, हरगोबिंद सिंह,मोहन काठपाल,अमरजीत गिरधर,अशोक गेरा,जीवन मिढ़ा, लक्ष्मण दास मिढ़ा,महेंद्र अरोड़ा,सुरेश मिढ़ा,रमेश पपनेजा,इंदर मिढ़ा,बसंत काठपाल,महेश सुखीजा,पंकज मिढ़ा,अनूप गिरधर,हरीश मिढ़ा,विनोद सुखीजा,रमेश गिरधर,अश्विनी सुखीजा,नीरज गखड़, डॉ अजय छाबड़ा, अमरजीत सिंह,आशु मिढ़ा,कमल मुंजाल,प्रताप खत्री,नवीन मिढ़ा,रमेश तेहरी,राकेश गिरधर,गीता कटारिया,शीतल मुंजाल,खुशबू मिढ़ा,उषा झंडई,रमेश गिरधर,बिमला मिढ़ा, मंजीत कौर,बंसी मल्होत्रा,ममता थरेजा,नीतू किंगर,गूंज काठपाल समेत अन्य थे।