RANCHI:कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसकी एक बड़ी वजह रैपिड टेस्टिंग है, जिससे टेस्टिंग की रफ्तार भले ही तेज हो गई है, लेकिन टेस्ट कराने वालों के लिए आफत बन गई है। रैपिड टेस्ट कराने के बावजूद वे अपनी रिपोर्ट ढूंढने में लगे हैं। इसके बाद भी उन्हें ऑनलाइन रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। जबकि सदर हॉस्पिटल में टेस्ट कराने वालों के लिए नई व्यवस्था शुरू की गई थी, जिसके तहत एक क्लिक पर टेस्ट कराने वालों की रिपोर्ट मिल जाती। लेकिन ऑनलाइन सिस्टम चालू होने के बाद भी रिपोर्ट नहीं मिलने से लोग परेशान हैं। इतना ही नहीं, कई पॉजिटिव मरीज भी मार्केट में घूम रहे हैं।

चार दिन बाद भी रिपोर्ट नहीं

सैंपल कलेक्शन के बाद उसे रैपिड टेस्टिंग के लिए भेज दिया जाता है, जहां सैंपल लेने से पहले ही एसआरएफ आईडी दी जाती है। इसके बाद टेस्ट करने के बाद लोगों की रिपोर्ट ऑनलाइन डाल दी जाती है, जिससे कि संबंधित व्यक्ति अपनी एसआरएफ आईडी डालकर चेक कर सकता है कि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव है या नेगेटिव। लेकिन कुछ दिनों से इस वेबसाइट पर एसआरएफ आईडी डालने के बाद भी रिपोर्ट नहीं मिल रही। वहीं लोगों को मोबाइल स्क्रीन नो डाटा फाउंड का मैसेज मिल रहा है। जबकि आरटीपीसीआर में टेस्ट कराने से भी तीन दिन बाद रिपोर्ट मिल जाती है।

आरोग्य सेतु एप पर पॉजिटिव

कई लोगों ने सदर में जाकर एंटीजन किट से रैपिड टेस्ट कराया। उन्हें सदर हॉस्पिटल की वेबसाइट पर कोई जानकारी नहीं मिली और न ही कंट्रोल रूम ने उन्हें कॉल कर पॉजिटिव होने की जानकारी दी। लेकिन उनके मोबाइल में आरोग्य सेतु एप पर उनके पॉजिटिव होने का मैसेज चल रहा है। साथ ही यह भी लिखा है कि आपको तत्काल डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। अब ऐसे लोगों को समझ नहीं आ रहा कि उन्हें रिपोर्ट मिल नहीं रही। प्रशासन से भी उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई है। अब इस चिंता में उनके दिन बीत रहे हैं कि कोरोना से उनका क्या होगा।

केस 1

कोकर में रहने वाले एक व्यक्ति को बुखार था। उसने जाकर सदर में टेस्ट कराया। 4 दिन बाद भी उसकी रिपोर्ट ऑनलाइन नहीं आई है। अब उसके आरोग्य सेतु एप पर पॉजिटिव होने की सूचना मिली है। इस वजह से वह और बीमार होता जा रहा है।

केस 2

बकरी बाजार स्टोर के एक स्टाफ की भी रैपिड टेस्टिंग की गई। दो दिन तक उसने ऑनलाइन चेक किया तो उनकी रिपोर्ट नहीं आई। इस चक्कर में वे दो दिन तक टेंशन में रहे। हालांकि, उनकी रिपोर्ट तीसरे दिन नेगेटिव आई।