रांची (ब्यूरो)।राजधानी रांची में डीजल ऑटो चालकों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है। सभी रूट के लिए निर्धारित किराया से ज्यादा वसूली कर रहे हैं। जबकि किराया निर्धारण के वक्त यह वार्निंग दी गई थी कि इससे ज्यादा वसूली पर संबंधित ऑटो चालकों के खिलाफ कार्रवाई होगी। आम लोगों से मनमानी वसूली के कारण ही प्रशासन ने विभिन्न रूटों का किराया निर्धारित किया था, लेकिन इस उद्देश्य की पूर्ति होती नहीं दिख रही है।
ऑटो में फेयर चार्ट नहीं
ऑटो चालकों की मनमानी का आलम यह है कि फेयर चार्ट भी नहीं लगा रहे हैं। पैसेंजर द्वारा बोलने पर बहस करने लगते हैं। इतना ही नहीं, डीजल ऑटो चालक बिना ड्रेस कोड के ही वाहन दौड़ा रहे हैं। जबकि ड्रेस कोड प्रशासन द्वारा अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा ऑटो में फस्र्ट एड किट भी रखने का नियम है, लेकिन किसी ऑटो में फस्र्ट एड किट नजर नहीं आ रहा है।
पिछले ही साल बढ़ा है किराया
पिछले साल आरटीए सचिव निरंजन कुमार और विभिन्न ऑटो यूनियन व झारखंड यात्री संघ के साथ बैठक के बाद यह फैसला लिया गया कि ऑटो का भाड़ा बढ़ाया जाएगा। परन्तु क्लियर रेट चार्ट की जानकारी नहीं होने पर लोग परेशान हो रहे हैं। साथ ही चालक भी मनमानी वसूली कर रहे हैं। यदि एक क्लियर रेट चार्ट उपलब्ध हो जाए तो लोगो का कन्फ्यूजन दूर हो जाएगा।
प्रशासन हुआ बेफिक्र
यदि कोई नियम बनाया गया है तो वो कुछ दिन के बाद फॉलो होना क्यों बंद हो जाता है। यदि प्रशासन सख्ती से पेश आए तो जो योजनाएं बनती हैं वो सिर्फ कागज तक ही सीमित नहीं रहेंगे। बल्कि धरातल पर उतरेंगी और उसका लाभ आम लोगों को भी मिलेगा।
क्या कहते हैं पैसेंजर
मेरे हिसाब से ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बहुत अधिक बढ़ गया है। कम से कम एक आदमी का 15 रुपए से अधिक नहीं लेना चाहिए। मुझे ओवर ब्रिज से बहू बाजार तक आने के लिए 45 रुपए देने पड़े। आखिर किस हिसाब से यह रेट लिया जा रहा है। चालक अपने हिसाब से कुछ भी राशि बोल देता है और हमें देना पड़ता है। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
महरी हसन

मेरा ऑफिस डुमरदगा, बूटी मोड़ में है। मुझे प्रतिदिन ऑटो से जाना पड़ता है। मेरी पॉकेट से प्रतिदिन 60-80 रुपए खर्च करने पड़ते है। पहले ऑटो का खर्च 40 रुपए हुआ करता था। शॉपिंग करने के लिए पहले अगर मेन रोड जाने में 15-20 रुपये खर्च होते थे तो अभी 40-50 रुपए लग जाते हैं। इन सबका असर मेरे सेविंग्स पर हुआ है।
शोभा कुमारी

मुझे लगता है कि प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए कि ऑटो चालक अपना मनमानी ना करे। फिक्स्ड रेट जो है वही लोगों से लिया जाए। पैसेंजर्स के साथ ऑटो चालकों का मिस बिहेव करना कहीं से भी जायज नहीं है। इसपर रोक लगनी ही चाहिए।
जॉन ओरिया