- आपसी भाईचारे के साथ शहर ने स्वीकार किया सबसे बड़ा फैसला

- न किसी ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, न किसी ने अति उत्साह दिखाया

- जिम्मेदारी के साथ हरेक शहरी ने दिया सद्भाव का संदेश

दशकों से लोगों को जिस फैसले का इंतजार था, उसके आते ही सारी आशंकाएं ध्वस्त हो गईं। वतन में अमन चैन कायम रखने के लिए शहर के लोगों ने भी अपनी जिम्मदारी बखूबी निभाई। शनिवार को रांची में अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद कहीं भी अति उत्साह या मातम का माहौल नजर नहीं आया। शहर के कई इलाकों में हर समुदाय के लोगों ने सड़क पर आकर अपनी एकता का परिचय दिया। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने संयमित होकर अपनी बातें रखीं। भावनाओं को भड़काने का प्रयास नहीं किया गया, जिससे आपसी भाईचारा कायम रहा।

सड़कों पर कम दिखे लोग

सड़कों पर आम दिनों की अपेक्षा चहल-पहल कम रही। 70 फीसदी दुकानें बंद रहीं। जो दुकानें खुली थीं, वहां भी इक्का-दुक्का ही खरीदार आए। मेन रोड में शहीद चौक से लेकर ओवरब्रिज तक कहीं-कहीं ही दुकानें खुली नजर आईं। इसके अलावा रातू रोड, हरमू रोड, डोरंडा, हिनू, धुर्वा, हटिया, कांके रोड, अपर बाजार आदि इलाकों में भी आम दिनों के मुकाबले काफी कम लोग नजर आए। इन इलाकों की दुकानें भी बंद ही रहीं।

स्कूलों से लौट आए बच्चे

फैसले से पहले जिन स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा नहीं की थी, वहां से सुबह ही बसों से बच्चों को वापस भेज दिया गया। हालांकि, कामिल बुल्के रोड स्थित कुछ मिशन स्कूलों में आम दिनों की तरह पढ़ाई हुई। इन स्कूलों में निर्धारित समय पर ही छुट्टी हुई। स्कूलों में बड़ी संख्या में पैरेंट्स अपने बच्चों को लेने के लिए पहुंचे थे। कई स्कूलों में कल होने वाली परीक्षा स्थगित कर दी गई है। सोमवार को भी ज्यादातर स्कूलों में छुट्टी दे दी गई है।

चौक-चौराहों पर होती रही चर्चा

सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिन के 11 बजे आ गया था। इसके साथ ही चौक-चौराहों और मोहल्लों के नुक्कड़ पर लोगों के बीच चर्चा होती रही। हालांकि, सभी ने इस फैसले को विवाद पर पूर्णविराम बताकर चैन की सांस ली। लोगों की नजर प्रशासन के आदेश पर भी टिकी थी। जैसे-जैसे डीसी का निर्देश वाट्सअप पर आता गया, वैसे-वैसे लोग उसे आगे फॉर्वड करते गए। इससे लोगों के बीच यह संदेश गया कि प्रशासन ने शहर के माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए तगड़े इंतजाम किए हैं। इससे भी असर पड़ा और संवेदनशील स्थानों पर भी लोग इकट्ठा नहीं हुए।

सोशल मीडिया भी रहा संयमित

आम तौर पर किसी भी घटना को लेकर आग में घी डालने का काम सोशल मीडिया से ही शुरू होता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। वाट्सअप ग्रुप एडमिन इतने सतर्क रहे कि धड़ाधड़ सभी ने पोस्ट करने की अनुमति को 'एडमिन ओनली' के लिए ही कस्टमाइज कर दिया। आम लोगों ने भी फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर कोई भड़काऊ संदेश डालने से परहेज किया। इससे अफवाह भी नहीं फैली। कुल मिलाकर प्रशासन की चौकसी और आम लोगों के जिम्मेदार रवैये के कारण इतने संवेदनशील फैसले के बावजूद शहर में अमन कायम रहा।