रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में अपना घर बनाने वाले लोगों ने निर्माण कार्य को बीच में ही रोक दिया है। शहर में बालू की हो रही किल्लत के कारण कई लोगों ने निर्माण कार्य को पूरी तरह से रोक दिया है। शहर में 50 से अधिक प्रोजेक्ट बालू के अभाव में बंद हो चुके हैं। घाटों का टेंडर होने के बावजूद लोगों को बालू नहीं मिल पा रहा है। स्थिति यह है कि एक महीने पहले जो बालू 18000 रुपए प्रति हाईवे मिलता था अभी उसकी कीमत 40-45 हजार रुपए हो गई है। इतना देने के बाद भी लोगों को बालू मिल जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है। दरअसल, बालू के नाम पर मची लूट ने राजधानी रांची समेत राज्य भर के प्रोजेक्ट्स को लॉक्ड कर दिया है।

रांची में 19 घाट का टेंडर

राज्य भर में बालू की भारी किल्लत है। इसमें राजधानी रांची भी शामिल है। रांची में एक हाइवा बालू 18 हजार रुपये में मिलता था, लेकिन ब्लैक बालू 40 हजार रुपए में मिल रहा। वहीं, अब प्रति टर्बो बालू की कीमत 6500 से 7500 रुपए हो गई है, जो पहले तीन हजार रुपये थी। वह भी कठिन परिस्थितियों के बाद मिलता है। कारण यह है कि रांची में स्थित 19 बालू घाटों में से कोई भी चालू नहीं है। राज्य में केवल 21 बालू घाट कार्यरत हैं। रांची में चालान होने पर ही बालू रामगढ़, हजारीबाग, लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा से मंगाया जा रहा है। कई लोग चोरी-छिपे बालू लाते हैं, इसलिए इसकी कालाबाजारी हो रही है।

बेरोजगार हुए निर्माण कार्य करने वाले

बालू नहीं मिलने के कारण आम लोग भी घरों में सामान्य निर्माण कार्य करने से बच रहे हैं। निर्माण क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को काम भी नहीं मिल रहा है। राज्य में निर्माण क्षेत्र में लगभग आठ लाख लोग काम करते हैं। इनमें से एक लाख लोग राजधानी रांची और आसपास के क्षेत्रों में काम करते हैं। इन कर्मचारियों को अब रोजगार का संकट है।

घाट की नीलामी के बाद भी बालू नहीं

सरकार ने झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन(जेएसएमडीसी) के माध्यम से हाल में 444 बालू घाटों में से 351 की नीलामी की थी। इनमें 216 घाटों की नीलामी पूरी हुई है। वहीं, 135 घाटों की निविदा जारी है। पूर्व से राज्य भर में केवल 21 बालू घाट बंद हो चुके हैं। इन्हीं घाटों से बालू का उठाव वैध रूप से हो रहा है। शेष सभी घाटों से बालू अवैध रूप से उठाया जा रहा है। दूसरी ओर, अवैध बालू ढुलाई को रोका जा रहा है। इस समय राज्य में 1200 बालू ट्रक पकड़े गए हैं। यह भी बालू महंगा होने की बड़ी वजह है।

बालू की किल्लत क्यों

216 घाटों का टेंडर पूरा हो गया है और माइंस डेवलपर ऑपरेटर (एमडीओ) चुना गया है। इन्हें लेटर ऑफ इंटेंट मिल गया है। इसके बावजूद बालू निकालने में समय लगेगा। इसकी वजह यह है कि बालू घाटों का टेंडर करने के बाद माइनिंग प्लान, एन्वायरमेंटल क्लीयरेंस और कंसेट टू ऑपरेट की आवश्यकता होती है। इसके लिए राज्य एन्वायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) से अनुरोध करना होगा। फिर सिया टीम इसकी समीक्षा करके इसे स्वीकार करती है। सिया राज्य में नवंबर से ही नहीं है। उसकी पदाधिकारियों की अवधि समाप्त हो गई है। ऐसे में बालू का संकट बढ़ गया है।

सरकारी दर 7.50 रुपए सीएफटी

जेएसएमडीसी की वेबसाइट पर बालू प्रति सीएफटी 7.50 रुपए है। इसके लिए वाहनों को स्वयं व्यवस्था करनी होगी। इसलिए वेबसाइट का उपयोग बहुत कम लोग करते हैं। दूसरी ओर, विभाग ने सैंड टैक्सी योजना का प्रस्ताव किया है। यह अभी प्रस्ताव के स्तर पर ही है।

मजदूरों के समक्ष भारी संकट

राजधानी में कई स्थानों पर मजदूरों का बाजार दिखत है। लालपुर चौक, कोकर डिस्टिलरी पुल, बूटी मोड़, मोरहाबादी, रातू रोड, हरमू रोड, किशोरगंज चौक के निकट, हरमू बिजली ऑफिस के निकट, हरमू बाजार, बिरसा चौक, डोरंडा बाजार, हटिया, धुर्वा, नामकुम सदाबहार चौक, कांटाटोली चौक और चर्च रोड में मजदूर मिलते हैं। लेकिन बालू नहीं होने के कारण निर्माण कार्य ठप है। इससे सभी मजदूरों के समक्ष भारी संकट उत्पन्न हो गया है।

ठेकेदार भी परेशान

रांची में बालू की किल्लत लोगों को परेशान करती है। बालू 20-21 हजार रुपये प्रति हाइवा मिलता है, जबकि 40-50 हजार रुपये प्रति हाइवा मिल रहा है। शहर में सड़कों और नालियों का निर्माण करा रहे संवेदक भी बालू की बढ़ती कीमत से परेशान हैं। फिलहाल, रांची नगर निगम क्षेत्र में 220 से अधिक परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें से अधिकतर सड़कें, नाले और कल्वर्ट हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई वार्डों में घर भी बनाए जा रहे हैं। वहीं, काम कर रहे संवेदकों का कहना है कि बालू की कीमत बढऩे से लगता है कि जेब से पैसा निकालना पड़ेगा। संवेदकों का मानना है कि हमें मजबूरी में काम बंद करना पड़ेगा, अगर सरकार इस मामले में गंभीर नहीं हुई।

इन दिनों लगातार बालू की कमी के कारण निर्माण कार्य भी रुका हुआ है। अगर सरकार समय पर इसे चालू नहीं करती है तो स्थिति आने वाले दिनों में और भयावह हो जाएगी। कई लोगों ने अपने घर का काम तक बीच में ही बंद कर दिया है।

-दिलीप साहू, अध्यक्ष, झारखंड बालू ट्रक एसोसिएशन