रांची(ब्यूरो)।किसी भी तरह का अपराध करने पर अलग-अलग सजा का प्रावधान है। हर उम्र के अपराधियों को अलग-अलग सजा दी जाती है। 18 साल से कम उम्र का कोई नाबालिग किसी अपराध में पकड़ा जाता है, या फिर किसी कांड में उसकी संलिप्तता पाई जाती है। तो उसे सजा के एवज सुधरने का मौका दिया जाता है। इसके लिए बाल सुधार गृह भी बनाया गया है। जहां 18 साल से कम उम्र वाले अपराध में शामिल बच्चों को रखकर सुधारा जाता है। लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि वर्षों यहां रहने के बाद भी बाल कैदियों मेें कोई सुधार नहीं आ रहा। पहले से सुधार केंद्र में बंद और ज्यादा उद्दंड होते जा रहे हैं। वहीं बाल सुधार गृह भेजे गए नए बाल कैदी भी उनकी संगत में पड़कर बिगड़ रहे हैं। जो पुराने कैदियों की बात नहीं मानते या उनसे बदतमीजी करते हैं। उनके साथ मारपीट भी की जाती है। इन बाल सुधार गृह की सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो पहले से यहां बंद है या जिन बाल कैदियों की उम्र 18 साल या इससे ज्यादा हो चुकी है वे भी यहां रह रहे हैं। सुधार गृह के इंचार्ज से लेकर कर्मचारी तक सभी इन बाल कैदियों से परेशान हैं। हाल ही में एक के बाद एक कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें नए बाल कैदियों के साथ मारपीट करना, उनके अभिभावक से पैसे और दारू की मांग करना समेत दूसरी कई वारदातें हुई हैं। लेेकिन सुधार गृह के इंचार्ज और कर्मचारी के समक्ष यह विवशता है कि वे कोई भी कड़ा कदम उठा नहीं सकते।
149 में 15 की उम्र 18 साल
रांची के डुमरदगा स्थित बाल सुधार गृह में फिलहाल 149 बाल कैदी हैं, जो अलग-अलग अपराध के आरोप में यहां बंद हैं। कोर्ट के आदेश के बाद इन बाल कैदियों को यहां सुधरने के लिए रखा गया है। सबसे बड़ी बात 149 में करीब 15 कैदी ऐसे है जिनकी उम्र या तो 18 साल हो चुकी है या इसके आस-पास हो चुकी है। ये बाल कैदी सुधार गृह में लगभग तीन-चार साल से रह रहे हैं। जुवेनाइल पीरियड खत्म होने के बाद भी ये कैदी यहीं रह रहे हैं। इनमें से ही कुछ बाल कैदी अब उदंडता पर उतर आए हैं। सुधार गृह में आने वाले नए कैदियों के साथ मारपीट करते हैं। इतना ही नहीं, यहां के कर्मचारियों का कहना है कि काम करने वाली महिलाओं के साथ भी गंदी बात और अश्लीलता करते हैं। फिर भी इन सिरफिरे लड़कों को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जा रहा है।
हाथ बंधे हैं, कुछ कर नहीं सकते
बाल सुधार गृह में भले बाल कैदियों को सुधरने के लिए भेजा जाता है। लेकिन यहां इन्हें सुधारने के बजाय बिगाडऩे के पूरे इंतजाम हैं। अपराध करके आने वाले बाल कैदियों के साथ यहां के कर्मचारियों को नरमी से निबटने की सख्त हिदायत है। सुधार गृह में काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि यहां के इंचार्ज समेत किसी भी कर्मचारी को यह पावर नहीं है कि वे इन बाल कैदियों से ऊंची आवाज में बात भी करें। गलती करने पर मारना-पीटना नहीं, बल्कि प्यार से समझाना है। खाने के लिए एक से बढ़कर एक पकवान आते हैं। वेज, नान वेज सब उपलब्ध हो जाता है। इसके अलावा दारू, सिगरेट की भी व्यवस्था इधर-उधर से ये लोग कर लेते हैं। यही कारण है कि यहां रहने वाले बच्चे सुधरने के बजाय और बिगड़ रहे हैं। इंचार्ज समेत कर्मचारियों का कहना है कि बेबसी और लाचारी के कारण कुछ उदंड हो चुके बाल कैदियों को बर्दाश्त किया जा रहा है।
मारपीट का वीडियो वायरल
बाल सुधार गृह में रह रहे कुछ सीनियर लड़कों ने अपने से जूनियर के साथ मारपीट की। इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें कुछ लड़के मिलकर एक लड़के को पीटते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, बाल सुधार गृह के ही कुछ लड़कों ने अपने से जूनियर बाल कैदी को 20 हजार रुपए पेटीएम करने को कहा, जिसके बाद लड़के के घर वालों ने डुमरदगा पहुंच कर काफी हंगामा किया। दिसंबर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें बाल सुधार गृह में आए नए बाल कैदी के माता-पिता को फोन कर पैसा मंगाने को कहा गया था। नहीं मंगाने पर उस लड़के के साथ मारपीट की गई। सुधार गृह का कर्मचारी बबलू उस लड़के को इलाज के लिए हॉस्पिटल लेकर गया था। बबलू बताते हैं कि आये दिन इस तरह के मामले सामने आते हैं। यहां के लड़के काफी बदमाश हैं, बार-बार सीसीटीवी कैमरा तोड़ देते है। दारु, सिगरेट, गुटखा, गांजा दीवार से अंदर फेंकवाते हैं। कई बार पकड़ कर थाने में जमा किया है।

हम लोग बेबस हैं। शरारती लड़को को कोई सजा भी नहीं दे सकते। उन्हें कुछ करने या बोलने का भी अधिकार नहीं है। करीब 15 लड़के हैं जिनकी उम्र 18 साल या इसके आसपास है। लेकिन जबतक कोर्ट का कोई आदेश नहीं आता, कुछ नहीं कर सकते।
देवी प्रसाद, इंचार्ज, बाल सुधार गृह, डुमरदगा


बाल सुधार गृह में जुवेनाइल रखने का नियम है। लेकिन यदि 18 साल से ज्यादा उम्र का कोई रह रहा है तो इसे सत्यापित कराकर इसकी जांच की जाएगी। सेंटर में यदि मारपीट या मोबाइल यूज हो रहा है तो टीम बना कर इसकी रेड कराई जाएगी।
एसके झा, सीनियर एसपी, रांची