रांची (ब्यूरो)। पिछले सात महीने से रांची में लोग नगर निगम से नक्शा पास नहीं होने के कारण अपना घर नहीं बना पा रहे हैं, अब मई महीने के अंतिम सप्ताह में हाई कोर्ट ने नक्शा पास करने से रोक हटाई, लोगों को लगा कि अब अपना आशियाना बनाना शुरू करेंगे, लेकिन उनको नया झटका लगने जा रहा है। रांची सहित राज्य भर में 10 जून से लेकर दस अक्टूबर तक बालू पर रोक रहेगी, ऐसे में लोग अब अपने आशियाना का सपना पूरा कैसे करेंगे, घर बनाने के लिए उनको चार महीने तक और इंतजार करना होगा।

19 हजार का बालू 29 हजार में

झारखंड में बालू का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। 19 हजार का बालू 29 हजार रुपये में बिक रहा है। राज्य के 608 बालू घाटों में से सिर्फ 17 से ही वैध तरीके से बालू का उठाव हो रहा है। रांची सहित राज्य के अधिकतर जिलों में एक भी घाट की बंदोबस्ती नहीं होने से पिछले पांच सालों से बिना टेंडर के ही बालू का खनन और परिवहन हो रहा है।

दस जून से फिर बंद

अब सात दिनों के बाद 10 जून से फि र बालू खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक लग जाएगी। इससे फि र से बालू को लेकर बवाल होना तय माना जा रहा है। ऐसे में लोगों को मुंहमांगी कीमत पर बालू खरीदना होगा। पिछले साल भी किल्लत होने पर बिहार, बंगाल से बालू मंगाना पड़ा था। तब 18 हजार रुपये वाला बालू 48 हजार में बिका था। बता दें कि बालू घाटों की बंदोबस्ती से पहले सभी जिलों की डिस्ट्रिक्ट सर्वेक्षण रिपोर्ट डीएसआर तैयार करनी जरूरी थी। इस रिपोर्ट को एन्वायरमेंट इफेक्ट असेसमेंट कमिटी सिया को भेजना था, ताकि पर्यावरण स्वीकृति ली जा सके। पर्यावरण स्वीकृति के बाद ही किसी भी घाट का टेंडर किया जा सकता है।

इसलिए पहले नही हो पाया टेंडर

जिले के अधिकारियों ने डीएसआर बनाने में ही देरी कर दी। इस वजह से अभी तक कई जिलों की डीएसआर सिया को नहीं भेजी गई। रांची जिले के सभी घाटों की डिस्ट्रिक्ट सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करके पोर्टल पर अपलोड कर दी गई है। जिला खनन पदाधिकारी ने अब इस रिपोर्ट पर आम लोगों से आपत्ति-सुझाव मांगा है। रांची में टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने में अभी तीन से चार माह का समय लगेगा। इसके अलावा कुछ जिलों में डीएसआर तैयार करके सिया से पर्यावरण स्वीकृति लेने के बाद माइंस डेवलपर सह ऑपरेटर(एमडीओ) नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई है, इसमें अभी और समय लगेगा।

बेखौफ अवैध धंधा

जब तक एमडीओ की नियुक्ति होगी तब तक बालू उत्खनन पर एनजीटी की रोक लग जाएगी। बालू की किल्लत की वजह से रियल इस्टेट सेक्टर तो पहले से प्रभावित है। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी और ग्रामीण के तहत बनने वाले घरों का निर्माण भी धीमा हो गया है। क्योंकि, इस योजना के लाभुकों को 3000 रुपये प्रति टर्बो 140 सीएफ टी में मिलने वाला बालू 4,500 रुपए में खरीदना पड़ रहा है। स्मार्ट सिटी की योजनाएं और लाइट हाउस की रफ्तार धीमी पड़ गईं है। इसके अलावा शहरों में 200 से अधिक पीसीसी रोड, नाली निर्माण पर भी असर पड़ेगा। रांची सहित राज्यभर में अवैध बालू का खेल बेखौफ चल रहा है। बालू कारोबारियों के अनुसार राज्यभर में रोजाना 700 से 800 हाईवा अवैध बालू की खरीद-बिक्री होती है। औसतन 28,000 रुपए प्रति हाईवा की दर से बालू की बिक्री होती है तो भी प्रति माह करीब 60 करोड़ रुपए का अवैध धंधा चल रहा है।

अभी लगेगा और समय

राज्य के 12 जिले की डिस्ट्रिक्ट सर्वेक्षण रिपोर्ट सिया से स्वीकृत हो गई है। 5 जिले की भी स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है। कुल 17 जिलों में बालू घाटों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पर्यावरण स्वीकृति के बिना बंदोबस्ती संभव नहीं थी, इसलिए अभी तक टेंडर नहीं हो पाया। जिन्हें स्टॉकिस्ट लाइसेंस दिया गया है वह बालू का भंडारण करेंगे। उसी बालू की बिक्री होगी।