रांची(ब्यूरो)। सिटी में लगातार हो रहे अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस एक बार फिर से बीट पुलिसिंग शुरू करने की प्लानिंग कर रही है। कुछ साल पहले इसे शुरू करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन सुचारू रूप से योजना आरंभ होने से पहले ही यह ठंडे बस्ते में चली गई। अब एक बार फिर से सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बीट पुलिसिंग शुरू करने के संकेत दिए हैं। बीते दिनों क्राइम मीटिंग के दौरान एसएसपी ने बीट पुलिसिंग शुुरू करने के निर्देश दिए। इसी हफ्ते इसे आरंभ करने की योजना है। बीट में शामिल पुलिस कर्मियों को क्राइम कंट्रोल के लिए एक्टिव रहने के लिए कहा गया है। हर दिन निर्धारित स्थान पर गश्ती अनिवार्य है। प्रत्येक बीट के लिए प्रभारी पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। नोडल पदाधिकारी को क्राइम कंट्रोल के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

अफसरों को मिलेगी जिम्मेवारी

बीट पुलिसिंग शुरू करने से पहले सभी मुहल्लों, कॉलोनियों और सोसायटी को अलग-अलग बीट में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद पदाधिकारियों के उत्तरदायित्व सुनिश्चत किए जाएंगे। जिन अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी उन्हें इलाके से सूचना इकट्ठा कर सीनियर अफसरों को देनी होगी। बीट पुलिसिंग में बेहतर कार्य करने वाले कर्मियों की पहचान कर उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा, ताकि इस काम के लक्ष्य प्राप्त हो सकें।

पहले भी हुए प्रयास

कानून व्यवस्था और पुलिस पट्रोलिंग पर बारीक नजर रखने के लिए पुलिस विभाग की ओर से चार साल पहले बीट पुलिसिंग सिस्टम डेवलप करने का निर्णय लिया गया था। लेकिन इसे ईमानदारी पूर्वक लागू नहीं किया जा सका। बीट पुलिसिंग के लिए ही रक्षक अप्लीकेशन भी डेवलप किए गए थे, लेकिन इसका भी सही इस्तेमाल नहीं हो पाया। हालांकि यह योजना साल 2016 की ही है। तत्कालीन एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने क्राइम कंट्रोल के लिए इस नई व्यवस्था की शुरुआत की थी। उस वक्त सिटी को 116 बीट में विभाजित भी किया गया था, लेकिन इसकी शुरुआत नहीं हो सकी। साल 2020 में फिर से इसका प्रयास किया गया, लेकिन उस वक्त भी यह असफल रहा। अब एक बार फिर से बीट पुलिसिंग की चर्चा हो रही है। यह वक्त बताएगा की इस बार भी बीट पुलिसिंग की शुरुआत हो पाती है या नहीं।

क्या है बीट पुलिसिंग

क्राइम कंट्रोल करना और पुलिस पब्लिक के बीच को-आर्डिनेशन स्थापित करने के लिए बीट पुलिसिंग की प्लानिंग तैयार होती है। इसका उद्देश्य पुलिस के सूचना तंत्र को और अधिक मजबूत करना एवं पुलिस को पीपुल फ्रेंडली बनाना है। बीट पुलिसिंग को सशक्त बनाने के लिए ही राजधानी में जगह-जगह पर पुलिस हेल्प सेंटर भी बनाए गए थे। लेकिन इसका भी हाल खस्ता हो चुका है। उद्घाटन के बाद यह फिर दोबारा कभी नहीं खुल पाया।

किरायेदार भी होंगे वेरिफाइड

बीट पुलिसिंग की जिन अफसरों को जिम्मेवारी दी जाती है, उनके जिम्मे किरायेदारों को भी वेरिफाईड करना होता है। अपने इलाके के सभी मकानों में रहने वाले किरायेदारों का ब्यौरा लेकर इसकी रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में जमा करनी होती है। साथ ही लैंडलॉर्ड से भी एक आवेदन भरवाया जाता है। इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि राजधानी में होने वाली ज्यादा क्रिमिनल एक्टिविटीज किराए के घर में रहने वाले अपराधी ही करते हैं। लेकिन पुलिस के पास इनका कोई ब्यौरा नहीं होने के कारण वे बच जाते हैं। इसके अलावा डोमेस्टिक वायलेंस को रोकना भी बीट पुलिसिंंग पर बड़ी जिम्मेदारी होती है। मुहल्ले के लोगों से को-आर्डिनेट कर उनका नाम, नंबर पुलिस अपने पास रखती है और अपना कांटैक्ट नंबर भी उपलब्ध कराती है, ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके।

बीट पुलिसिंग की शुरुआत करने का निर्देश दिया गया है। इसके तहत अफसरों को उनकी ड्यूटी दी जाएगी और क्राइम कंट्रोल करने पर फोकस किया जाएगा।

-चंदन कुमार सिन्हा, एसएसपी, रांची