रांची (ब्यूरो)। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी(एनईपी) 2020 एक उत्कृष्ट दूरदृष्टि का परिणाम है और एक प्रेरणादायक नीति दस्तावेज है जो भारतीय उच्च शिक्षा के परिदृश्य में मूलभूत परिवर्तन का आगाज कर रहा है। इसके तहत भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की जटिलता और चुनौतियों को ईमानदारी और स्पष्टता के साथ पहचाना गया है। इसके तहत मानव विकास की असाधारण क्षमता और जनसांख्यिकी लाभांश का उपयोग करने के लिए एक व्यापक बदलाव लाने के लिए एक दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है, जो कि भारत जैसे देश में बहुतायत में उपलब्ध है। इसके अनुसार पाठ्यचर्चा निर्माण में भी हमें सावधानी बरतनी होगी, जिसके मूलभूत सिद्धांतों की चर्चा डॉ बोस ने की। ये बातें डॉ कमल कुमार बोस ने कहीं। वह पाठ्यचर्चा निर्माण व नई शिक्षा नीति पर व्याख्यान दे रहे थे। 3 जनवरी से शुरू हुए संकाय संवद्र्धन कार्यक्रम के तहत व्याख्यान का आयोजन किया गया।
व्यक्तित्व विकास पर व्याख्यान
इससे पहले आरयू हिंदी विभाग के शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह ने व्यक्तित्व विकास में शिक्षकों के योगदान पर अपने विचार रखे। मनोविज्ञान विभाग की प्राध्यापिका डॉ रीता कुमारी ने शैक्षिक ईमानदारी विषय पर व्याख्यान दिया। वहीं, वीमेंस कॉलेज के भूगोल विभाग की प्राध्यापिका डॉ शशिकांत टोप्पो ने उच्च शिक्षा की पारिस्थितिकी तंत्र विषय पर व्याख्यान दिया। कहा कि शिक्षा लोगों को वास्तविक दुनिया से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तेज बनाने के लिए बुनियादी मूल्यों और नैतिकता से लैस करती है। इसलिए, आज की दुनिया में शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक विरासत, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक, व्यावसायिक और चरित्र निर्माण, उद्यमिता विकास, नागरिकता प्रशिक्षण आदि को स्थानांतरित करना है।