RANCHI: बिहार में विधानसभा चुनाव की गूंज झारखंड की राजधानी रांची समेत तमाम जिलों में सुनाई पड़ने लगी है। चौक-चौराहों से लेकर सरकारी ऑफिसों और घर के ड्राइंग रूम में भी बिहार चुनाव को लेकर चर्चा होने लगी है। हो भी क्यों न, आखिर क्भ् साल पहले बिहार से ही अलग होकर तो झारखंड राज्य की स्थापना हुई है। ऐसे में झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा रांची में आज भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग बसे हुए हैं, जो मूल रूप से बिहार के हैं।

रांची की आधी आबादी बिहारी

एक आकड़े के अनुसार, रांची की क्फ् लाख आबादी में बिहारी मूल के लोगों की संख्या म् लाख है। इसमें कम से कम ख् लाख लोग ऐसे हैं, जो बिहार के वोटर हैं। ऐसे लोगों में सरकारी कर्मचारियो की संख्या ज्यादा है। साथ ही पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में भी बड़ी संख्या में बिहार के लोग काम कर रहे हैं। ऐसे में ये लोग बिहार विधानसभा चुनाव में अगर वोट करेंगे, तो कई सीटों पर हार-जीत में निर्णायक भूमिका अदा करेंगे। रांची के अलावा जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो ऐसे जिले हैं, जहां पर बड़ी संख्या में बिहारी आबादी निवास करती है। जब झारखंड का गठन नहीं हुआ था और संयुक्त बिहार था, तभी से ये लोग यहां बसे हुए हैं।

बदल सकते हैं कई सीटों का रिजल्ट

बिहार विधानसभा के दूसरे चरण में बिहार के जिन छह जिलों रोहतास, जहानाबाद, कैमूर, अरवल, औरंगाबाद व गया में चुनाव होना है, उसमें से रोहतास, औरंगाबाद और गया के रहने वाले बड़ी संख्या में रांची समेत झारखंड के विभिन्न जिलों में रहते हैं। तीसरे चरण में बिहार विधानसभा के जिन म् जिलों की सीटों पर चुनाव होना है, उसमें से छपरा, सीवान, आरा जिले के लोग बड़ी संख्या में रांची में रह रहे हैं। खासकर रांची के एचईसी क्षेत्र में। साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम और पांचवे चरण में मिथिलांचल और सीमांचल के जिन जिलों मधुबनी, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा और दरभंगा में चुनाव होना है, इन जिलों के लोग भी खासकर मधुबनी और दरभंगा के बड़ी संख्या में झारखंड में रह रहे हैं। ऐसे में ये लोग वोटिंग करने के लिए अपने घरों का रूख करेंगे।

झारखंडी नामधारी पार्टियां भी तैयार

अलग राज्य झारखंड की मांग उठाने वाला झामुमो ने भी बिहार विधानसभा चुनाव में कूदने की तैयारी कर ली है। हाल ही में झामुमो के वरिष्ठ नेता हेमंत सोरेन ने पटना में लालू प्रसाद से मुलाकात की है। संभव है यह मुलाकात चुनाव को लेकर ही हुई है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में भी झामुमो एक सीट जीता था, लेकिन बाद में वह विधायक दल-बदल कर जेडीयू में शामिल हो गए थे। हालांकि एक दर्जन सीटों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस बार भी पार्टी बिहार की कई सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। हालांकि चुनाव से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा नीतीश-लालू के महागठबंधन में शामिल होना चाहता था, लेकिन सीटों पर तालमेल नहीं होने के कारण बात नहीं बन पाई।

कई दिग्गजों की राजनीतिक पाठशाला रहा है बिहार

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुण्डा, नगर विकास मंत्री व रांची के विधायक सीपी सिंह, कांग्रस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य प्रदीप बलमुचु, मनोज यादव, आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो, जेएमएम के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी, बोकारो के पूर्व विधायक समरेश सिंह, इंटक नेता और झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह समेत बीजेपी के सीनियर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की प्रारंभिक राजनीतिक पाठशाला बिहार विधानसभा ही रही है। ऐसे में इनकी निगाहें भी बिहार चुनाव पर लगी हुई हैं।

वर्जन

बिहार के लगभग सभी जिलों के लोग पूरे झारखंड में हैं। चूंकि संयुक्त बिहार से ही अलग होकर झारखंड बना है, ऐसे में बड़ी संख्या में बिहार के लोग यहां पहले से ही बसे हुए हैं, जो बिहार के चुनाव में निर्णायक होंगे। ऐसे में बिहार के चुनाव को लेकर झारखंड में रह रहे बिहारियों में भी उत्साह है।

-जीतेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, बिहारी विकास मोर्चा, झारखंड