रांची (ब्यूरो)। पहले तो बाइक काटकर बेच देने का चलन था, लेकिन अब ट्रेंड बदला है। कबाड़ी में बेचने पर जहां अधिकतम 5000 रुपए मिल रहे थे, वहीं उग्रवादियों के पास बाइक पहुंचने पर इसकी अच्छी खासी कीमत मिल रही है। यह खुलासा बाइक चोर गिरोह ने पुलिस के सामने किया है, जो रांची से नई-नई बाइक चुराकर उग्रवादियों तक इन्हें पहुंचाता है।

आसान हो गया बाइक खपाना

बाइक चोरों ने अहम जानकारी देते हुए बताया कि बाइक की डिमांड उग्रवाद प्रभावित इलाकों में सबसे ज्यादा है। सिर्फ गांव के लोग ही नहीं बल्कि उग्रवादी भी चोरी की बाइक की मांग करने लगे हैैं। पहले चोरी किए गए टू-व्हीलर को खपाने में मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन जब से उग्रवादियों द्वारा बाइक की डिमांड होने लगी है, तब से इसमें ज्यादा परेशानी नहीं होती। यही वजह है कि पिछले छह महीने में रांची से करीब 1800 बाइक की चोरी हो चुकी है। दूसरी ओर बरामदगी का रेशियो काफी कम है। रांची पुलिस ने करीब 300 बाइक ही बरामद करने में सफलता पाई है।

मिलती है अच्छी-खासी कीमत

चोरी की बाइक को खुलेआम बेचने में काफी परेशानी होती है। बगैर किसी कागज के लोग गाड़ी खरीदना भी नहीं चाहते। चोरों को भी गाड़ी बेचने में दिक्कत होती है। लेकिन उग्रवादियों को गाड़ी देने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती। अहम यह है कि उग्रवादियों द्वारा चोरी की बाइक की कीमत भी अच्छी-खासी मिल जाती है। जिस बाइक को सामान्य रूप से बेचने पर मुश्किल से पांच से दस हजार रुपए मिलते हैैं, उसी बाइक की कीमत उग्रवादी 20 से 25 हजार रुपए तक देने के लिए तैयार हो जाते हैं। नक्सलियों का बाइक प्रेम किसी छिपा नहीं है। जंगली इलाकों में घूमने के लिए बड़ी गाडिय़ां नहीं होती, बाइक से नक्सली भ्रमण करते हैं। पुलिस से पीछा छुड़ाने के लिए भी नक्सली चोरी की बाइक का इस्तेमाल करते हैैं। पुलिस द्वारा भी इस बात का खुलासा किया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा चोरी की बाइक नक्सलियों तक पहुंचाने की बात सामने आई है। नक्सलियों तक चोरी की बाइक पहुंचाने वाला एक गिरोह पुलिस की गिरफ्त में भी आया है। अपराधियों के पास से आधा दर्जन चोरी की बाइक बरामद भी की गई है। इन सभी मोटरसाइकिल को नक्सलियों तक पहुंचाने के लिए रखा गया था।

बाइक के साथ नक्सली भी हो चुके हैं गिरफ्तार

चोरी की बाइक के साथ कई नक्सली भी गिरफ्तार हुए हैं। लेकिन, बाइक चोरी के आरोप में इनकी अरेस्टिंग नहीं हुई है। बल्कि पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में गिरफ्तार उग्रवादियों के पास से चोरी की बाइक बरामद की गई है। दस दिन पहले उग्रवादी संगठन पीएलएफआई और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें कर्रा थाना क्षेत्र के चंदापारा व तुमना के समीप नक्सली को गिरफ्तार किया गया था। सिर्फ कर्रा ही नहीं बल्कि तोरपा, बुढमू व अन्य इलाकों में भी चोरी बाइक भेजी जाती है।

एक गिरोह चढ़ा पुलिस के हत्थे

बाइक चोरी करने वाले और नक्सलियों तक पहुंचाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश रांची पुलिस ने किया है। लापुंंग थाना क्षेत्र से संजय लोहरा, फणीश्वर गोप, अवधेश पाठक, सुधीर कुमार साहू और शिव कुमार सोनी को इस आरोप में पुलिस ने हिरासत में लिया है। इनकी निशानदेही पर सात बाइक भी बरामद की गई है। बाइक चोरों ने स्वीकार करते हुए बताया कि रांची के जगन्नाथपुर, कोतवाली, लोअर बाजार इलाके से बाइक की चोरी करते हैं। बाइक चोरी करने से पहले ही नक्सली गिरोह के लोगों से आर्डर ले लिया जाता है ताकि ज्यादा दिन बाइक अपने पास न रखनी पड़े। गिरफ्तार अपराधियों ने यह भी बताया कि अलग-अलग स्थानों से बाइक की चोरी कर उसका नंबर बदल कर उग्रवादियों तक पहुंचा देते थे। अपराधियों के अनुसार वे चोरी की मोटरसाइकिल सिर्फ उग्रवादियों को ही भेजते थे, क्योंकि इसमें कोई खतरा नहीं रहता था। एक बार जंगल में चोरी की मोटरसाइकिल पहुंच जाने के बाद उसे वापस लाना लगभग नामुमकिन होता है।