रांची : आखिरकार म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) से पीडि़त मरीज उषा देवी (45 वर्ष) की रिम्स में रविवार सुबह 9:30 बजे मौत हो गइ। शनिवार को ही तबीयत बिगड़ने के बाद उषा को वेंटिलेटर पर रखा गया था। रविवार की सुबह 5:30 बजे से उसका पल्स और आक्सीजन लेवल लगातार गिरने लगा। चार घंटे में उसकी मौत हो गइ। विगत आठ जुलाई को ही उषा देवी के ब्लैक फंगस का आपरेशन किया गया था। उसका जबड़ा, नाक की हड्डी और बांयी आंख को डाक्टरों ने निकाला था। इसके बाद से उसे आइसीयू में भर्ती कराया गया था। इलाज कर रही ईएनटी विभागाध्यक्ष डा। सीके बिरुआ ने बताया कि मरीज को सेप्टीसीमिया (रक्त विषाक्तता) हो गया था। इस कारण उसकी मौत हुई है।

लापरवाही का आरोप

इधर मरीज की मौत के बाद परिजनों ने इलाज में डाक्टरों की लापरवाही का आरोप लगाया है। उषा देवी के पुत्र गौरव कुमार गुप्ता ने बताया कि उनकी मां की तबीयत सुबह में खराब हो गई थी। जिसके बाद उनलोगों ने डाक्टरों को बुलाना चाहा। लेकिन कोई डाक्टर आया ही नहीं। इंतजार करने के बाद मरीज की मौत हो गइ। इसे लेकर परिजनों ने रिम्स निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद, अधीक्षक डा विवेक कश्यप, डा सीके बिरुआ, डा विनोद कुमार, डा प्रभात कुमार, डा संजय कुमार, डा मनीष, डा आयुष , डा राकेश चौधरी, डा अंसारी सहित अन्य डाक्टरों के विरुद्ध बरियातू थाने में मामला दर्ज कराया है।

मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को बुलाओ

मरीज की मौत के बाद परिजन शव नहीं ले जाना चाह रहे थे। इन लोगों ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को बुलाने की मांग रखी। मरीज के पुत्र का कहना था कि जबतक मुख्यमंत्री व आला अधिकारी नहीं पहुंच जाते तब तक वे शव को नहीं ले जाएंगे। इस बीच निदेशक भी नहीं पहुंचे। इसके बाद बरियातू पुलिस मौके पर पहुंची और परिवार वालों को समझाया। शव को एंबुलेंस में रखवाया गया। परिजनों ने कहा कि जब तक वे थाने में लिखित शिकायत नहीं देते तब तक शव को नहीं ले जाएंगे।

चार घंटे बाद थाने में शिकायत

मरीज की मौत के चार घंटे बाद करीब दो बजे थाने में शिकायत दी गइ। शिकायत में लिखा गया कि उनकी मां की डाक्टरों ने हत्या की है। शिकायत का आवेदन देने के बाद रिम्स से साढ़े तीन बजे शव को एंबुलेंस से हरमू मुक्तिधाम भेजा गया। जहां पर शाम साढ़े चार बजे तक शव का परिजनों ने अंतिम संस्कार किया।

देखने तक नहीं पहुंचे

पीडि़त परिवार के लिए शुरू से मदद करनेवाले धनबाद के समाजसेवी अंकित राजगढि़या रांची पहुंचे। उन्होंने कहा कि रिम्स में डाक्टरों की घोर लापरवाही से मरीज की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि लगातार सुबह से रिम्स निदेशक को फोन कर महिला की हालत के बारे में बताया जा रहा था। लेकिन उसे देखने के लिए कोई भी उसकी मौत से पहले नहीं पहुंचा। इसे लेकर वे न्यायालय के शरण में जाएंगे और सभी को इसका जवाब देना होगा।

नहीं सुधरा प्रबंधन :

हाई कोर्ट इस मरीज के इलाज को लेकर पहले ही रिम्स प्रबंधन को फटकार लगा चुका है। इसके बाद ही महिला का आपरेशन किया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ती रही। इस बीच महिला की हालत को लेकर कोई मेडिकल बुलेटिन तक जारी नहीं किया गया। इससे पहले मरीज के इलाज के लिए प्रबंधन ने परिजनों को अहमदाबाद ले जाने की सलाह दी थी। जिसे लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की थी।

एक घंटे तक तड़पती रही थी

मरीज के पुत्र ने बताया कि कल भी यही स्थिति थी। मां की तबीयत शाम को पांच बजे अचानक खराब हो गइ। मुंह व आंख से खून निकलने लगा था, लेकिन एक घंटे तक कोई नहीं आया। उसके बाद उन्हें ओटी ले जाया गया और वहां से लाने के बाद बिना कुछ बताए वेंटिलेटर पर डाल दिया गया। बताया कि तब से मां में कोई हरकत नहीं दिख रही थी। बेटे का आरोप था कि उनकी मां को वेंटिलेटर पर रखने का कोई कारण नहीं बताया गया।

उषा देवी के ही स्वजनों ने मांगी थी इच्छामृत्यु

बता दें की उषा देवी के ही स्वजनों ने इच्छामृत्यु की मांग की थी। उषा के बेटे और दूसरे स्वजन अस्पताल में धरने पर बैठ गए थे। कहा था कि रिम्स में डेढ़ माह से इलाज किया जा रहा है। लेकिन उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा। आरोप लगाया था कि पिछले एक माह से आपरेशन की बात कही जा रही है लेकिन अब तक आपरेशन नहीं हुआ।

मरीज उषा देवी का इलाज सही तरीके से हो रहा था। मरीज को फंगल इंफेक्शन था। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर थी। डाक्टरों की टीम हमेशा आइसीयू में तैनात रहती है। परिजनों का आरोप बिल्कुल गलत है। मरीज की हालत पहले से ही खराब थी, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गइ।

-डा। डीके सिन्हा, पीआरओ, रिम्स