RANCHI: राजधानी में कुछ सड़कों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर चलने लायक ठीक-ठाक हैं। लेकिन इन सड़कों पर बने ब्रेकर आपका दर्द बढ़ाने के लिए काफी हैं। चूंकि कोकर चौक से लेकर बूटी मोड़ तक में ही दो दर्जन ब्रेकर हैं। इसके अलावा चडरी में दो बड़े ब्रेकर बेहद खतरनाक हैं, जिससे कि अब वहां से गुजरने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, बेतरतीब बने इन ब्रेकर से बचने के चक्कर में कई लोग घायल भी हो रहे हैं। इसके बावजूद इन ब्रेकर को ठीक करने को लेकर विभाग गंभीर नहीं है।

लगने थे रंबल स्ट्रीप

रोड पर बढ़ रहे एक्सीडेंट के मामलों को देखते हुए सड़क सुरक्षा विधेयक तैयार किया गया था। इसके तहत ब्रेकर की जगह येलो कलर के रंबल स्ट्रीप लगाए जाने थे। लेकिन यहां तो एनएच पर ही बड़े-बड़े ब्रेकर बना दिए गए हैं।

झटके से स्लीप डिस्क का खतरा

हल्के-फुल्के झटके से लोगों को परेशानी होने लगती है। लेकिन जब ब्रेकर के झटके लगातार लगे तो परेशानी बढ़ना लाजिमी है। ऐसी ही परेशानियां लेकर सिटी के लोग आर्थो के डॉक्टर्स के पास पहुंच रहे हैं, जहां उन्हें झटकों से बचने की सलाह दी जा रही है। चूंकि लगातार झटके से स्पांडिलाइटिस और स्लीप डिस्क जैसी समस्या भी हो सकती है।

स्पीड ब्रेकर का झटका

-ब्रेकर पर चढ़ने से उतरने तक स्पीड कम रखें

-टू व्हीलर हो या फोर व्हीलर शॉकर को दुरुस्त रखें

-ब्रेकर के पास तेजी से गाड़ी निकालने से बचें

-ब्रेकर के झटके से रीढ़ और गर्दन का दर्द काफी होता है

-झटके से दर्द शुरू हो जाए तो खुद से दवा लेने से बचें

-ब्रेकर के झटकों से महिलाओं को ज्यादा परेशानी

मदन ढाबा

गाडि़यों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए ये ब्रेकर बनाए गए थे। लेकिन लोग यहां पर रुकने के बजाय और तेजी से गाड़ी लेकर पास कर रहे हैं, जिससे कि एक्सीडेंट होने का खतरा बढ़ गया है। वहीं कई बार अचानक से ब्रेक लगाने के कारण गाडि़यों की आपस में टक्कर भी हो जाती है।

सुरेंद्र नाथ स्कूल

स्कूल और बड़े अपार्टमेंट के अलावा कनेक्टिंग रोड भी है। इस वजह से स्कूल के दोनों ओर चार-चार ब्रेकर बनाए गए, ताकि गाडि़यां धीमी होंगी। वहीं स्कूल के टाइम पर भी लोग आराम से जाएंगे पर ब्रेकर ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। गाड़ी वाले ब्रेकर से बचने के लिए रोड से नीचे-उतर जा रहे हैं।

खेलगांव चौक

यहां से सिटी में बड़ी गाडि़यों की दिन में एंट्री पर रोक है। वहीं दो कनेक्टिंग रोड भी हैं। इसके अलावा आर्मी कैंट भी है। अब यहां पर बनाए गए ब्रेकर से लोग गाडि़यां पास नहीं करना चाहते। दूर से दिख जाए तो लोग साइड से निकलना ही बेहतर समझते हैं। इस वजह से पैदल चलने वालों को दिक्कत हो रही है।

दीपा टोली

आर्मी कैंट होने के साथ ही सबसे बड़ा क्लब जिमखाना भी है। इसी के सामने में 4 बड़े ब्रेकर बना दिए गए हैं। बड़े चक्के वाली गाडि़यां तो आसानी से निकल जाती हैं। लेकिन छोटी गाडि़यों में धड़ाधड़ झटके लगते हैं। वहीं, ये ब्रेकर भी थोड़े ऊंचे है। ऐसे में लगातार झटकों से टू व्हीलर वाले ज्यादा परेशान हैं।

चडरी

बिना वजह यहां पर दो बड़े ब्रेकर बनाए गए हैं। जबकि न तो यहां से तेज गाडि़यां गुजरती हैं और न ही कोई हाईवे है। लेकिन यहां के ब्रेकर में अक्सर गाडि़यां फंस जाती हैं। वहीं इस चक्कर में जाम भी लगता रहता है। अगर किसी का ध्यान चूक जाए तो उसे जोर का झटका महसूस होता है। चाहे वह कितनी भी आरामदायक गाड़ी में हो।

कोई भी झटका हमारे शरीर के लिए ठीक नहीं है। जहां तक बात ब्रेकर के झटकों की है तो इसका सीधा असर रीढ़ की हड्डी और गर्दन पर पड़ता है। इसलिए बचने के लिए कोशिश करें कि झटका तेज न लगे। चूंकि एक ही जगह लगातार झटके लगने से परेशानी बड़ी हो सकती है।

-डॉ शशिकांत सुमन, आर्थो सर्जन