- पहली पाली में बाधित रहा सदन, दो बार कार्यवाही हुई स्थगित

- भाजपा विधायकों ने कई बार वेल में आकर की नारेबाजी, बजाई तालियां

- 7323.24 करोड़ का अनुपूरक बजट विधानसभा में पेश

- दूसरी पाली में विपक्ष के वॉकआउट के बाद चला सदन

- नियोजन नीति रद करने, मुख्यमंत्री प्रश्नकाल खत्म करने और रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरा

रांची : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे कार्यदिवस की पहली पाली हंगामे की भेंट चढ़ गई। सोमवार को विपक्ष ने नियोजन नीति रद किए जाने के सरकार के फैसले, मुख्यमंत्री प्रश्न काल विलोपित किए जाने और रोजगार के मुद्दे पर वेल में आकर प्रदर्शन व नारेबाजी की। इससे सदन की कार्यवाही पहली पाली में दो बार स्थगित करनी पड़ी। इस कारण प्रश्नकाल व ध्यानाकर्षण नहीं हो सका, जबकि शून्य काल की सूचनाएं पढ़ी हुई मान ली गईं। शोरगुल के बीच ही वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव ने 7323.24 करोड़ द्वितीय अनुपूरक बजट पेश किया। वहीं, दूसरी पाल में भी कुछ देर अवरोध की स्थिति बनीं रही। दूसरी पाली शुरू होते ही विपक्षी विधायकों ने वेल में आकर फिर प्रदर्शन शुरू कर दिया और वाकआउट कर गए। भाजपा विधायकों के सदन से जाने के बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हुई।

कार्यस्थगन पेश

विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही आजसू विधायक लंबोदर महतो ने झारखंड आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण, उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों की तर्ज पर सम्मान और शहीद का दर्जा देने को लेकर कार्यस्थगन पेश किया। भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने भी हजारीबाग में मिलावटी केरोसिन में हुई विस्फोट की घटनाओं का मामला उठाते हुए कार्यस्थगन पेश किया। उन्होंने इस घटना के लिए दोषी लापरवाह विभागीय पदाधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए पीडि़त परिवारों को 50 लाख मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की। वहीं, नवीन जायसवाल ने नियोजन नीति वापस लिए जाने पर कार्यस्थगन पेश किया और अनंत ओझा ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला कार्यस्थगन के माध्यम से उठाया। स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने सभी कार्यस्थगन को अमान्य कर दिया। उन्होंने कहा, चलते सत्र में इन विषयों पर चर्चा संभव है।

वेल में आए भाजपा विधायक

कार्यस्थगन अमान्य किए जाते ही भाजपा विधायक वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। स्पीकर ने सदस्यों को समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इन विषयों पर चर्चा करने का पर्याप्त अवसर मिलेगा, कृपया प्रश्नकाल चलने दें। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने भी भरोसा दिलाया कि इस विषय पर प्रश्न काल और ध्यानाकर्षण पर चर्चा होगी। भाजपा विधायक स्पीकर के समझाने पर कुछ देर के लिए अपनी सीट पर गए, लेकिन मुख्यमंत्री प्रश्नकाल की परंपरा खत्म किए जाने का मामला उठाते हुए दोबारा वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। स्पीकर के बार-बार समझाने के बाद भी भाजपा विधायकों का रुख जस का तस रहा। स्पीकर ने तनिक सख्त होते हुए कहा कि आसन इससे ज्यादा नहीं झुक सकता, सदन बाधित करने का कोई औचित्य नहीं है, आप सभी अपनी सीट पर वापस जाएं। भाजपा विधायकों का अपनी सीट पर जाने और वापस आने का सिलसिला बना रहा।

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नियोजन नीति के मामले पर फिर हंगामा

भाजपा विधायक अमर बाउरी ने पिछली सरकार में बनाई गई नियोजन नीति का मामला उठाते हुए कहा कि इससे तृतीय और चतुर्थ वर्ग में स्थानीय लोगों को शत-प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा था। नियोजन नीति वापस लेकर राज्य सरकार ने लाखों युवाओं के साथ धोखा किया है। कहा, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का भी कोई आदेश अब तक नहीं आया है। इसी के साथ भाजपा विधायक दोबारा वेल में आ गए और नारेबाजी शुरू कर दी।

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जवाबी नारेबाजी, अनुपूरक बजट पेश

सत्ता पक्ष की दीपिका पांडेय सिंह, ममता देवी, उमाशंकर अकेला, इरफान अंसारी, पूर्णिमा नीरज सिंह और बंधु तिर्की भी वेल में आ गए और जवाबी नारेबाजी शुरू हो गई। शोरगुल बढ़ता देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। 12.33 पर सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी भाजपा विधायकों का रुख जस का तस बना रहा। उन्होंने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी। भाजपा सदस्य तालियां पीटते हुए रिपोर्टिंग टेबल के चारो ओर चक्कर लगाने लगे। स्पीकर ने शोरगुल के बीच सदन को चलाने की कोशिश की। शोरगुल के बीच ही दीपिका पांडेय सिंह और प्रदीप यादव ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने की मांग रखी।

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निपटाए गए विधायी कार्य

भाजपा विधायकों के लगातार नारेबाजी और प्रदर्शन से नाराज स्पीकर ने कहा कि आपका आचरण सदन की गरिमा के प्रतिकूल है। उन्होंने कहा कि टेबल की परिक्रमा करने के बजाए अपने आसन पर जाएं। सदन चलाने की स्पीकर की कोशिशें नाकाम रहीं। शोरगुल के बीच ही विधायी कार्य निपटाए गए। प्रभारी मंत्री रामेश्वर उरांव ने झारखंड माल और सेवा कर अधिनियम-2017 के अंतर्गत निर्गत कठिनाइयों को दूर करने के लिए राज्य कर आदेश की एक प्रति सभा पटल पर रखी। उन्होंने वर्ष 2020-21 की 7323.24 करोड़ की द्वितीय अनुपूरक मांगों को भी रखा।

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