रांची(ब्यूरो)।राजधानी रांची में करप्शन का बोलबाला है। हर तरफ सिर्फ लूट-खसोट मची है। आलम यह है कि कोई डेवलपमेंट का काम होता भी है तो वो अधर में ही लटक जाता है। कुछ ऐसा ही हाल हिंदपीढ़ी में बने मल्टीपरपस बिल्डिंग का भी है। करीब आठ साल पहले इस मल्टीपरपस बिल्डिंग के बनने की प्रक्रिया शुरू हुई है। सात साल बाद यानी 2020 में इसका सांकेतिक उद्घाटन भी हो गया। लेकिन उद्घाटन के बावजूद बिल्डिंग का उद्देश्य आज तक पूरा नहीं हुआ है। 17 करोड़ रुपए की लागत से इस बिल्डिंग का निर्माण किया गया है। बिल्डिंग का निर्माण कार्य भले पूरा कर लिया गया है लेकिन जिस उद्देश्य के लिए इसे बनाया गया था वो आज भी अधूरा है। आदिवासी समाज के लोग अब इसके खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। दरअसल, विशेष रूप से ट्राइबल कार्यक्रमों के लिए ही बिल्डिंग का निर्माण हुआ था। लेकिन ट्राइबल कार्यक्रम तो दूर किसी भी आयोजन के लिए इसका सदुपयोग नहीं किया गया। अब यहां की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि इसके इस्तेमाल से पहले फिर से इसका रिनोवेशन करना पड़ेगा। सरना समिति के सदस्य अपने सोशल मीडिया हैंडल से पब्लिक डोमेन में इस मुद््दे को रख रहे हैं।
शाम ढलते ही जमावड़ा
मल्टीपरपस बिल्डिंग का निर्माण अलग-अलग कल्चरल इवेंट और दूसरे आयोजन के लिए किया गया था। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि यह सिर्फ आज नशेडिय़ों का अड्डा बन कर रह गया है। शाम ढलते ही आस-पास के नशेड़ी यहां अड््डा बाजी करना शुरू कर देते हैं। सिगरेट, गांजा के धुएं से लेकर शराब की बोतलें भी खुलती हैं। लोकल लोगों ने बताया कि कई बार दारू पीने के बाद यहां मारपीट जैसी हालत हो गई। हर दिन शाम में इस जगह पर नशेडिय़ों का जमावड़ा लगता है। भवन का ऑफिशियली उद्घाटन भी नहीं हुआ है। सिर्फ मुख्यमंत्री के नाम का एक शीलापट्ट लगवा दिया गया है। भवन के उपयोग के बजाय इसका दु़़रुपयोग ज्यादा हो रहा है। यहां ट्रेनिंग सेंटर भी बनना था, जो अधर में लटका हुआ है।
चोरी होने लगे बिल्डिंग के सामान
बिल्डिंग में लगे सामानों की चोरी होनी शुरू हो गई है। कमरे के दरवाजों से लेकर कुंडी, बाथरूम के सामान, नल, बेसिन, बल्ब समेत बिजली के सामान तक चोरी कर लिए गए हैं। दिनों दिन इसकी हालत खराब होती जा रही है। 17 करोड़ की लागत से बनी आदिवासी मल्टीपरपस बिल्डिंग उपयोग से पहले ही कबाड़ में तब्दील हो गई है। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा, महासचिव कृष्णकांत टोप्पो ने बताया कि हिंदपीढ़ी और आसपास के आदिवासी छात्रों को यहां प्रशिक्षण दिया जाना था। लेकिन बिल्डिंग को किसी उपयोग में नहीं लाया गया। हिंदपीढ़ी में बनी यह मल्टीपरपस बिल्डिंग उपयोग से पहले ही कबाड़ हो चुकी है। सरकार की अनदेखी के कारण आज इस भवन की हालत दयनीय स्थिति में पहुंच गई है।
2012 में शुरु हुआ था निर्माण
भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के समय इस भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। साल 2012 में इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। निर्माण होते-होते आठ साल गुजर गए। हालांकि सरना समिति के सदस्य बताते हैं कि इस बिल्डिंग की बुनियाद साल 1929 में ही रख दी गई थी। समाजसेवी ठेवले उरांव ने बिल्डिंग की नींव रखी थी। इस कार्य को समाजसेवी स्व जुगेश उरांव ने अमलीजामा पहनाया था। इसके बाद काफी प्रयास से बिल्डिंग निर्माण तो शुरू हुआ, लेकिन अब भी इस बिल्डिंग के निर्माण का सदुपयोग नहीं किया जा रहा है।

17 करोड़ की लागत से इस बिल्डिंग का निर्माण हुआ था, लेकिन इसका उद्देश्य आज तक पूरा नहीं हुआ है। सरकार की अनदेखी के कारण यहां की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। इस ओर सरकार को जरूर ध्यान देना चाहिए।
- कृष्णकांत टोप्पो, महासचिव, केंद्रीय सरना समिति


इस बिल्डिंग का सदुपयोग होने से यहां आदिवासी छात्र-छात्राओं को अलग-अलग विषयों में प्रशिक्षण दिया जाता। ट्राइबल कल्चर से संबंधित कार्यक्रम आयोजित होते। लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के कारण बिल्डिंग कबाड़ में बदलती जा रही है।
- बबलू मुंडा, अध्यक्ष, केंद्रीय सरना समिति