-रांची के कई थाना भवनों की स्थिति हो गई जर्जर

-खस्ताहाल भवनों की नहीं हुई है सालों से मरम्मत

सिटी के पुलिस स्टेशन और टीओपी अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं। टीओपी के जर्जर हो चुके भवन कब गिर जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता है। यहां काम करने वाले पुलिस कर्मियों के मन में भी भवन के गिरने का डर बना रहता है। हर वक्त अपराधियों के पीछे दौड़ने वाली पुलिस अपने ही ऑफिस में महफूज होकर नहीं बैठ सकती। दशकों पहले बने थाने व स्थापित की गई चौकियों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि उनमें काम करने वाले पुलिस कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें हमेशा यह भय बना रहता है कि न जाने कब उन पर मलबा गिर जाए। छत का मलवा टूट कर गिरता भी रहता है। कुछ पुलिस स्टेशनों को दुरुस्त किया गया है। लेकिन अब भी कई पुलिस स्टेशन हैं जो अपने दिन फिरने की राह ताक रहे हैं। पुलिस स्टेशन से ज्यादा बदतर स्थिति में ओपी हैं, जो शहर से थोडे़ आउट साइड में हैं। उनकी मरम्मती की ओर ध्यान भी नहीं दिया जा रहा है।

बारिश में ज्यादा परेशानी

जर्जर पुलिस स्टेशन के भवनों में बारिश में ज्यादा परेशानी होती है। भवनों की छतों से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं। थानों में रखी फाइल और दूसरे जरूरी कागजात भींग कर बर्बाद होने लगते हैं। तुपुदाना थाना भवन की हालत बहुत ज्यादा खराब है। बिल्डिंग में कई जगह दरारें आ चुकी हैं। इतना ही नहीं, बिल्डिंग की छत पर ही छोटे-छोटे पौधे निकल आए हैं, जिससे छत कमजोर होने लगी है। यहां के पुलिस कर्मियों का कहना है कि कई सालों से बिल्डिंग का रेनोवेशन नहीं किया गया है। बारिश में परेशानी बढ़ जाती है। दीवारों से सीपेज होना शुरू हो जाता है। तुपुदाना के अलावा, पुंदाग, धुर्वा, पंडरा एवं डेली मार्केट की हालत कुछ अच्छी नहीं। डेली मार्केट थाना एवं सदर थाना भी बदहाल अवस्था में है। थानों को स्मार्ट बनाने के लिए कई बार योजना तैयार हुई। लेकिन इसे धरातल पर नहीं उतारा जा सका। कुछ चौकियों की हालत इतनी नाजुक है कि कभी भी ऐसे जर्जर भवन ढहने के कारण पुलिस कर्मचारियों की जान पर बन आएगी। भवन में छतों से मलबा गिरने व दीवारों में मोटी-मोटी दरार आने की समस्याएं आम हो गई हैं।

थानों को बनाना था स्मार्ट

करीब चार साल पहले सिटी के थानों को स्मार्ट बनाने की योजना बनी थी। राज्य भर के थानों को स्मार्ट बनाने का आदेश भी जारी किया गया। इसके लिए 39 करोड़ रुपए की राशि भी तय की गई। योजना के तहत सभी थानों का भवन जी प्लस टू किया जाना था। इन भवनों में टॉयलेट, रेस्ट रूम, रिक्रिएशन हॉल, वर्क स्टेशन बाउंड्री पार्किंग, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सीसीटीवी और फर्नीचर उपलब्ध कराने की रूपरेखा तैयार की गई थी। लेकिन एक-दो थानों के भवन निर्माण के बाद योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

क्र्वाटर्स की हालत भी दयनीय

राजधानी में सिर्फ पुलिस स्टेशन और टीओपी ही नहीं, बल्कि स्टाफ क्वार्टर्स भी जर्जर हालत में है। यहां रहने वाले पुलिस कर्मियों का कहना है कि क्वार्टर में रहने में भी डर लगता है। एक बार जो निर्माण कराया गया उसके बाद कभी बिल्डिंग की मरम्मत तो दूर की बात रंग-रोगन भी नहीं किया गया। क्वार्टर की दीवारों पर बड़ी-बड़ी लताएं निकल आई हैं। क्वार्टर के पास ही फैली गंदगी भी पुलिस कर्मियों को परेशान करती हैं। वहीं थानों में जगह की कमी के कारण जब्त वाहन भी क्वार्टर के आसपास लगा दिए जाते हैं। जो धूप और बरसात में ऐसे पडे़ रहते हैं। जिसके बाद इसमें भी कीड़े लगना शुरू हो जाता है। स्टाफ क्वार्टर के साथ-साथ पुलिस मेंस के भवन की भी हालत दयनीय है।

तुपुदाना टीओपी

तुपूदाना टीओपी की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। लगातार हुई बारिश के बाद स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है। पानी सीपेज की भी शिकायत आ रही है।

पंडरा टीओपी

पंडरा टीओपी की हालत भी ठीक नहीं है। अंदर और बाहर दोनों जगह से थाना भवन जर्जर हो चुका है। यहां फाइल रखने की भी जगह नहीं है।

सदर थाना

रांची का सदर थाना भी बदहाली के आंसू बहा रहा है। थाने की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। यहां जब्त करके रखी गाडि़यां भी अब ऑक्शन के लायक नहीं बचीं। स्मार्ट के नाम पर सिर्फ थाने के सामने एक हॉल बनवाया गया है, जिसे वेटिंग रूम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

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