- सदर अस्पताल ने पेश किया उदाहरण, बढ़ेगा लोगों का भरोसा

- सदर अस्पताल ने हाई रिस्क मरीज का ऑपरेशन कर बचायी जान, जिसके लिए कोई तैयार नहीं था

रांची : सदर अस्पताल ने एक ऐसे कैंसर मरीज की सफलतापूर्वक सर्जरी की जिसे राजधानी के एक बड़े अस्पताल ने करने से इंकार कर दिया था। यह बुजुर्ग मरीज आज स्वस्थ होकर अपने घर को लौट भी चुका है। डाक्टरों ने बताया कि कैंसर पीडि़त इस बुजुर्ग का ऑपरेशन करना एक बड़ी चुनौती थी, इस तरह के मामलों में रिस्क काफी बढ़ जाता है, लेकिन फिर भी डाक्टरों की टीम ने इस मरीज को एक नया जीवन देकर उदाहरण पेश किया है। मरीज के ऑपरेशन में एनेस्थीसिया के डाक्टर पंकज सिन्हा का महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिनके प्रयास से ही मरीज का ऑपरेशन हो पाया।

70 वर्षीय बुजुर्ग का इलाज

राजधानी स्थित हटिया के रहने वाले 70 वर्षीय बुजुर्ग सुरेश चंद्र वर्मा को मायलोमा बीमारी है, जो ब्लड कैंसर जैसा ही होता है। कीमोथेरेपी दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में चल रही थी। कीमोथेरेपी लेकर जब वे रांची आए तो इसी बीच उन्हें हार्निया की समस्या आयी। जिसके बाद वे रांची के ही एक बड़े अस्पताल में सर्जरी के लिए गए, लेकिन वहां के डाक्टरों ने ने कहा कि उनके रीढ़ की हड्डी और फेफड़े में कैंसर फैल गया है, ऐसे में उन्हें सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया देकर बेहोश करना काफी खतरनाक हो सकता है। स्थिति को भांपने के बाद वहां के डाक्टरों ने इस बुजुर्ग का ऑपरेशन करने के बजाए इन्हें सदर अस्पताल रेफर कर दिया।

तकनीक में बदलाव कर बेहोश

एनेस्थीसिया के डा। पंकज सिन्हा ने बताया कि इस केस में मरीज को सर्जरी से पहले बेहोश करना ही बड़ी चुनौती थी। उन्होंने बताया कि मरीज को रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन इसलिए नहीं दिया जा सकता था क्योंकि उस जगह पर कैंसर फैल चुका था। जबकि दूसरी ओर मरीज को जेनरल एनेस्थीसिया देना भी खतरनाक था क्योंकि उसके फेफड़े में भी कैंसर फैल चुका था। इसके बाद डा। पंकज ने एनेस्थीसिया के साथ कुछ दवाओं का भी प्रयोग करते हुए मरीज को जेनरल एनेस्थीसिया दी। जिसके बाद ही सर्जरी की प्रक्रिया शुरू हो पायी।

ऑपरेशन में कार्डियाक रिस्क था

कैंसर पीडि़त बुजुर्ग मरीज की सर्जरी करने वाले डा। अजीज ने बताया कि इस तरह के मरीज का इलाज करना काफी कठिन होता है। मरीज को पांच माह पहले पता चला कि उन्हें हार्निया की समस्या है। कीमोथेरेपी के कारण ऑपरेशन के दौरान कार्डियक रिस्क था और अत्यधिक रक्तस्त्राव का भी खतरा था। उन्हें रांची के प्रसिद्ध निजी अस्पताल के द्वारा टर्टियरी केयर हॉस्पिटल में रेफर किया गया, जिसके बाद उन सभी के लिए यह और भी चैंलें¨जग टास्क बना गया था। मरीज का ऑपरेशन सफल रहा।

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