रांची: झारखंड पुलिस बल के कैंडिडेट्स मंत्री-विधायक के आवास और कार्यालय के चक्कर लगा कर थक चुके हैं। इनका कहना है कि तीन साल से रोजगार के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। सभी जगह आश्वासन तो मिलता है लेकिन रोजगार मुहैया नहीं कराया जा रहा है। इंतजार में अब सभी कैंडिडेट्स की उम्र सीमा भी गुजरती जा रही है। झारखंड पुलिस के कैंडिडेट दीपक ने बताया कि साल 2015 में 7272 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी। लेकिन सिर्फ 4792 पदों पर ही नियुक्ति हुई। बाकी पदों पर अब तक बहाली नहीं हुई है। 2017 में पहली लिस्ट जारी की गई थी। उसके बाद कोई सूची जारी नहीं की जा रही है। बार-बार हमलोग नेता-मंत्री से मिलकर नौकरी की फरियाद करते हैं। लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। राज्य के सभी जिलों से लगभग दो हजार कैंडिडेट्स रोजगार की राह देख रहे हैं।

आंदोलन को हुए विवश

हर दरवाजा खटखटा कर थक चुके अभ्यर्थी अंत में आंदोलन की राह अपनाने को विवश हैं। बीते तीन दिनों से 50 से अधिक कैंडिडेट्स मोरहाबादी मैदान में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। ठंड के मौसम में ये अभ्यर्थी यहां जमे हुए हैं। हालांकि अबतक न तो पक्ष और न ही विपक्ष से कोई इनसे मिलने आया है। कैंडिडेट्स ने बताया कि पूर्व सरकार में भी रघुवर दास से सीपी सिंह और अन्य नेता, मंत्री के पास फरियाद लेकर गए थे। वहां से भी आश्वासन दिया गया। वहीं हेमंत सोरेन ने भी सरकार बनने से पूर्व रोजगार देने का भरोसा दिलाया था। लेकिन वे भी अपने वादे भूल गए हैं।

जेएसएससी की ओर से जिला वार लिस्ट जारी की गई थी, जिसमें सिर्फ 4792 पदों पर ही नियुक्ति हुई। अगली लिस्ट जल्द निकालने को कहा गया था। लेकिन तीन साल बीत गए अबतक लिस्ट नहीं निकली है।

- बसंत कुमार, जामताड़ा

हम लोग सभी मापदंडों को पूरा कर चुके हैं। मेडिकल से लेकर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी हो चुका है। फिर भी अब तक नियुक्ति नहीं दी गई। रोजगार के इंतजार में एक-एक दिन काटना मुश्किल हो रहा है।

- दीपक कुमार, गिरिडीह

हमलोगों ने सभी अहर्ताएं पूरी की है। तब जाकर रोजगार की डिमांड कर रहे हैं। यदि सरकार को नौकरी देनी ही नहीं थी तो वैकेंसी क्यों निकाली गई।

- अमित कुमार, जामताड़ा

मिथिलेश ठाकुर से लेकर रामेश्वर उरांव समेत अन्य मंत्री से भी हमने मुलाकात की। सभी कहते हैं जल्द हो जाएगा लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो रहा है।

-अनुप कुमार, पलामू