रांची(ब्यूरो)। तालाबों की साफ-सफाई के लिए रांची नगर निगम ने 1.75 करोड़ रुपए की मशीन मंगवाई। सफाई तो कई तालाबों की करनी थी लेकिन सिर्फ एक तालाब में ही इस मशीन का दम निकल गया। करीब पौने दो करोड़ रुपए की लागत से वीड हार्वेस्टिंग मशीन रांची लाई गई थीं। जगन्नाथपुर तालाब से जलकुंभी निकालने के लिए चार दिन पहले यहां मशीन लगाई गई हैं, लेकिन चार दिन बाद भी तालाब पूरी तरह साफ नहीं हो सका है। जगन्नाथपुर तालाब में अब भी जलकुंभी भरे पड़े हैं। आम पब्लिक और सफाई कर्मचारी अब खुद से तालाब की सफाई कर रहे हैं। बुधवार को पहला अघ्र्य है, जिसे देखते हुए लोग खुद से घाट बनाने और तालाबों की साफ-सफाई में जुट गए हैं। रांची नगर निगम की ओर से बिना किसी योजना और बगैर कोई तैयारी के भारी भरकम महंगी मशीन खरीद ली गई। इस मशीन की खरीदारी में निगम ने सरकारी खजाने से करीब पौने दो करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन इसका फायदा कुछ नहीं हुआ। आम नागरिकों से विभिन्न मदों में टैक्स के रूप में वसूले पैसे की बर्बादी के अलावा यह और कुछ साबित नहीं हुआ।
दूसरे तालाब नहीं पहुंची मशीन
मशीन की खरीदारी छठ महापर्व के बिल्कुल नजदीक हुई है। ऐसे में सिर्फ एक तालाब में ही मशीन से काम लिया गया। बीते बुधवार को जगन्नाथपुर तालाब से जलकुंभी निकालने के लिए मशीन लगाई गई थी। छह दिन बीतने के बाद भी तालाब से जलकुंभी पूरी तरह नहीं निकाला गया, और न ही इस मशीन का इस्तेमाल दूसरे तालाब की साफ-सफाई के लिए किया जा सका। जगन्नाथपुर इलाके के लोगों ने बताया कि सिर्फ सुबह में दो घंटे और शाम में दो घंटे मशीन चलती थी। पूरे दिन मशीन बंद खड़ी रहती थी। सोमवार को मशीन ही निकाल कर ले गए। तालाब की सफाई अधूरी ही छोड़ दी गई। सिटी के दूसरे तालाबों और जलाशयों में मजदूरों की मदद से अब साफ-सफाई कराई जा रही है।
दर्जनभर से ज्यादा तालाब बदहाल
सिटी में दर्जनों तालाब की स्थिति खराब है। तालाब में गंदगी के साथ कचरा भी है। हालांकि आम लोगों की मदद से जलाशयों की कुछ बहुत सफाई हुई है। मुहल्लों और कॉलोनियों के अंदर के तालाब जलकुंभी और जलीय झाडिय़ों से ढके हंै। बड़ा तालाब, जगन्नाथपुर तालाब, कांके डैम, एदलहातू तालाब, तिरिल तालाब, हेसल तालाब सहित कई अन्य तालाब ऐसे हैं, जहां पानी में गंदगी तैर रही है। एक दिन पहले नगर निगम की ओर से दवा का छिड़काव जरूर किया गया है। लेकिन यह तालाबों की सफाई के लिए नाकाफी है। यही कारण है कि लोग अब धीरे-धीरे कृत्रिम छठ घाट की ओर डाइवर्ट होने लगे हैं। गंदगी में जाने से बेहतर लोग अपने घर पर ही अस्थाई छठ घाट बनाकर उसमें भगवान भास्कर को अघ्र्य देना पसंद कर रहे हैं।
ये रास्ते हैं घाट के
छठ का पहला अघ्र्य कल पर नहीं दुरुस्त हुए रास्ते
नहाय खाय के साथ छठ महापर्व सोमवार से शुरू हो गया। मंगलवार को खरना और बुधवार को सांध्य अघ्र्य है। छठ घाट पर हजारों श्रद्धालु उमड़ेंगे। लेकिन कुछ जलाशयों को छोड़ अन्य कई तालाबों की स्थिति नहीं सुधरी है। कुछ तालाबों की सफाई तो हुई लेकिन सड़क पर गंदगी छोड़ दिया गया है। इससे ऊबड़-खाबड़ सड़कें भी छठ व्रतियों के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं। डीजे आईनेक्स्ट की टीम ने सोमवार को कुछ तालाबों और सड़कों का रियलिटी चेक किया, जिसमें तालाब और सड़क की स्थिति खराब निकली।

चडरी तालाब
चडरी तालाब में छठ व्रती एकत्र होते हैं। लेकिन इस तालाब और यहां से गुजरने वाली सड़क दोनों की स्थिति बेहद खराब है। सोमवार को भी तालाब के चारों ओर कचरा और गंदगी फैला हुआ था।

जेल तालाब
जेल तालाब की हालत भी ठीक नहीं दिखी। वैसे तो सालों भर इस तालाब की सफाई नहीं होती है। लेकिन छठ जैसे महापर्व में भी तालाब की ऐसी तस्वीर निराश करती है।

अरगोड़ा तालाब
अरगोड़ा तालाब की सफाई तो कर ली गई है। लेकिन यहां जाने वाली सड़क की हालत खराब है। ऊबड़-खाबड़ रास्ता होने से छठ व्रती को परेशानी हो सकती है। डस्ट गिराया गया है, लेकिन इसे ठीक से समतल नहीं किया गया है।