रांची : झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ। रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में शुक्रवार को बड़ा तालाब सहित अन्य जलस्रोतों के संरक्षण मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान बड़ा तालाब में फैली गंदगी देख अदालत ने हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा कि बड़ा तालाब के आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इसकी तस्वीर भयावह है और विचलित करने वाली है। यह देखकर लग रहा है कि बड़ा तालाब तो अंतिम सांसें ले रहा है।

हालत नारकीय होती चली गई

अदालत ने मौखिक रूप से कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि इस तालाब को बचाने का कभी प्रयास नहीं किया गया। सुधार के बदले यहां की हालत नारकीय होती चली गई। यह गंभीर मामला है। अगर जलस्रोतों को नहीं बचाया गया, तो आने वाली पीढि़यां हमें माफ नहीं करेंगी। हमें विकास के बदले प्रदूषण और जलस्रोतों की बर्बादी मिली है। हमें एक रेखा खींचनी होगी, क्योंकि हम पानी नहीं बना सकते हैं। सरकार को इसे बचाने का प्रयास करना होगा। अदालत ने जलस्रोतों को संरक्षित करने के लिए सरकार की ओर से की गई कार्रवाई की रिपोर्ट (एक्शन टेकेन रिपोर्ट) तलब की है। वहीं, नगर निगम को तुरंत बड़ा तालाब के पास हुए अतिक्रमण को हटाने और सफाई करने का निर्देश दिया। इस दौरान नगर विकास सचिव और रांची नगर निगम के आयुक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में उपस्थित थे।

रिसर्च के लिए बनी कमेटी :

सुनवाई के दौरान नगर विकास सचिव ने हाई कोर्ट को ¨बदुवार जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद रांची उपायुक्त, जल संसाधन विभाग और नगर विकास के अधिकारियों की बैठक हुई है। इसमें हटिया डैम और गेतलसूद डैम में पानी के स्रोतों की जानकारी के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है, जो सभी पहलुओं पर रिसर्च करेगी। इन्हीं दोनों डैम से शहर की बड़ी आबादी को पानी सप्लाई की जाती है। कांके डैम में हुए अतिक्रमण को लेकर सर्वे किया गया है, 97 अतिक्रमण करने वालों को चिह्नित किया गया है। एसडीओ की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है, जो धुर्वा डैम, बड़ा तालाब और 14 अन्य तालाबों के बारे में स्टडी करेगी।

जलस्रोतों के लिए फी¨डग चैनल नहीं :

नगर विकास सचिव ने कहा कि रांची के जलस्रोतों के लिए फी¨डग चैनल नहीं है, क्योंकि यहां की जमीन पथरीली है। हालांकि, भूमिगत जल और तालाबों में आने वाले पानी के लिए कोई रिसर्च नहीं की गई है, लेकिन राज्य सरकार ने इनके संरक्षण के लिए एक्ट बनाया है, ताकि भूमिगत जल को रिचार्ज किया जा सके। इसके लिए वाटर हार्वे¨स्टग लगाने पर जोर दिया गया है। इसके तहत तीन सौ मीटर से अधिक निर्माण वाले 60 प्रतिशत भवनों में इसकी व्यवस्था की गई है। रांची के 14 तालाबों के संरक्षण के लिए बाउंड्री वाल बनाया गया है, लेकिन भविष्य में इनकी सुरक्षा के लिए ग्रीन हेज लगाया जाएगा।

बड़ा तालाब की दिखाई गई तस्वीर :

सुनवाई के दौरान अदालत ने जलाशयों और डैमों के किनारे अतिक्रमण की जानकारी मांगी। इस पर प्रार्थी की अधिवक्ता खुशबू कटारूका मोदी की ओर से बड़ा तालाब और उसके आसपास की तस्वीर पेश की गई। इस दौरान अदालत को बताया गया कि बड़ा तालाब, कांके डैम समेत प्राय: सभी जलाशयों के किनारे अतिक्रमण किया गया है। जलाशयों के कैचमेंट एरिया को भी बदल दिया गया है। अतिक्रमण के कारण जलाशयों की स्थिति खराब हो रही है। आवासीय मोहल्लों का पानी जलाशयों में जाने से पानी प्रदूषित हो गया है। बड़ा तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। सौंदर्यीकरण का काम वर्ष 2016 से किया जा रहा है और चारों ओर कंक्रीट की बाउंड्री बना दी गई है। इस पर नगर विकास सचिव ने कहा कि यह बात सही है कि इस योजना में करोड़ों रुपये खर्च कर कंकरीट की बाउंड्री बना दी गई है। अब उन्हें हटाना संभव नहीं है, लेकिन सरकार अब अन्य जलस्रोतों में कंक्रीट की बजाय ग्रीन हेज का निर्माण कराएगी। साथ ही, यहां पर एसपीटी के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।

हटाए जा रहे अतिक्रमण

सुनवाई के बाद अदालत ने नगर विकास सचिव और नगर निगम के आयुक्त को एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह बताने को कहा है कि बड़ा तालाब समेत जलाशयों को संरक्षित करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। जलाशयों के किनारे अतिक्रमण है या नहीं, यदि अतिक्रमण है तो उन्हें क्यों नहीं हटाया गया है। इसके साथ भावी योजनाओं की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया है।