RANCHI : होटलों-ढाबों से रेस्क्यू कराए गए बाल मजदूरों ने जब अपनी दास्तां पुलिस को बताई तो उनके भी रूह कांप उठे। बच्चों ने कहा कि उनसे 19 घंटे काम लिए जाते थे। अहले सुबह पांच बजे से देर रात 10 बजे तक होटल की साफ-सफाई से लेकर बर्तन धोने तक का काम करना पड़ता था। सोने के लिए मात्र पांच घंटे देते थे। खाने में बासी भोजन परोसा जाता था। इतना ही नहीं, बात-बात पर पिटाई की जाती थी। हर दिन ऐसी ही दिनचर्या से गुजरना पड़ता था।

छोड़ने के लिए मांग रहे यूआईडी

जो बाल मजदूर रेस्क्यू कराए गए हैं, उनमें से ज्यादातर के पैरेंट्स रिमोट एरियाज में रहते हैं, जिस वजह से उसने संपर्क नहीं हो पा रहा है। इतना ही नहीं, होटलों के संचालकों को इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा है कि वे बच्चों के पैरेंट्स के साथ उनके यूआईडी भी लाएं, ताकि उन्हें बुलाकर बच्चों को उनके हवाले किया जा सके। गौरतलब है कि रेस्क्यू कराए गए कई बच्चे बिहार के हैं। इन सभी को फिलहाल बालश्रय में रखा गया है।

रेस्क्यू कराए गए थे 56 बाल मजदूर

होटलों में काम करने वाले बाल मजदूरों को रेस्क्यू कराने का इन दिनों अभियान चल रहा है। इस सिलसिले में एसएसपी के निर्देश पर रांची पुलिस ने शनिवार को कई होटलों- ढाबों में छापेमारी कर 56 बाल मजदूुरों को छुड़ाया था। इनमें कुछ बच्चे बिहार, हरियाणा और वेस्ट बंगाल के भी थे। पुलिस अब इन बच्चों को उनके परिजनों को सौंपने के लिए उनसे संपर्क साधने की कोशिशों में जुटी है।