रांची (ब्यूरो)। पतंग उड़ाने के शौकीनों के लिए बुरी खबर है। जी हां, पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले चाइनीज मांझे पर रांची सहित पूरे झारखंड में प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके इस्तेमाल व बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। वहीं, सिंथेटिक नायलॉन को भी बैन कर दिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने वाले को पांच साल की जेल व लाखों रुपए जुर्माने की बात कही गई है। बता दें कि पतंगबाजी में इस्तेमाल चाइनीज मांझे और तेज धारदार सिंथेटिक धागों से लोगों की जान जा रही है। इसको देखते हुए राज्य में अब पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले तेज धारदार सिंथेटिक, नायलॉन धागा और चीनी मांझा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बता दें कि यह रोक धागे के इस्तेमाल के साथ उत्पादन, भंडारण, बिक्री, आपूर्ति और आयात पर भी रोक लगाई गई है। हाल के दिनों में इन धागों की वजह से हुई घटनाओं और पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए जा रहे उपायों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

झरिया में बड़ा बाजार

सबसे महत्वपूर्ण है कि चीनी मांझा को अनिवार्य रूप से प्रतिबंधित किया गया है। रांची समेत पूरे झारखंड में चीनी मांझा सबसे अधिक बिकता है। झरिया में धागों का बहुत बड़ा बाजार है। यहां मकर संक्रांति के आसपास पांच करोड़ रुपये से अधिक के धागों की बिक्री होती है। इसमें सूती धागे दस प्रतिशत भी नहीं बिकते। चीनी मांझा की बिक्री सबसे अधिक होती है। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव यतींद्र कुमार दास ने इन धागों के प्रतिबंध की अधिसूचना जारी कर दी है। सदस्य सचिव के अनुसार, नायलॉन, प्लास्टिक और अन्य किसी सिंथेटिक सामग्री से निर्मित पतंग उड़ाने वाला धागा बहुत खतरनाक है। इसमें चीनी मांझा भी शामिल है। उन्होंने बताया कि पतंग उड़ाने वाले किसी भी तरह के तेज धारदार धागे, जिनमें धारदार धातु, शीशे के घटक या अन्य किसी भी धातु का लेप धागा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, ऐसे धागों की झारखंड में बिक्री, उत्पादन, भंडारण, आपूर्ति, आयात और प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध है। सिर्फ सूती धागे ही प्रयोग में लाए जाएंगे।

यहां कीजिए कंप्लेन

इनमें भी धारदार धातु, शीशे के घटक, चिपकाने वाले पदार्थों और धागों को मजबूत बनाने वाली सामग्री का प्रयोग नहीं किया जाएगा। सूती धागों से ही पतंग उड़ाने की अनुमति होगी। इन नियमों का उल्लंघन के बारे में राज्य का कोई भी नागरिक जेएसपीसीबी कंप्लेंट एट द रेट जीमेल डाट कॉम पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

सजा का प्राविधान

नियमों का उल्लंघन करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा पांच एवं बनाए गए नियमों के अंतर्गत पांच साल तक कारावास और एक लाख तक जुर्माने का प्राविधान किया गया है। विशेष परिस्थिति में जुर्माना और कारावास दोनों एक साथ हो सकता है। इस संबंध में राज्य के सभी झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश जारी कर दिया गया है।

क्या है चाइनीज मांझा

जेएसपीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि नॉयलान धागा मजबूत बनाने के लिए इस पर कांच के पाउडर का लेप किया जाता है। चाइनीज मांझा बनाने में पांच तरह के केमिकल और कई तरह की धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अल्युमिनियम आक्साइड और लेड का भी उपयोग होता है। सभी चीजें मिलाकर एक ऐसा तेज धार वाला चाइनीज मांझा बनाकर तैयार करती हैं , जिसे कोई नहीं काट सकता। बाजारों में इसकी बिक्री भी बहुत अधिक होती है। यह मानसून में भी खराब नहीं होता है। मेटल युक्त इस मांझे से करंट लगने का भी खतरा होता है।

सिंपल मांझे से है अलग

सिपंल मांझा धागे से बनता है और उसपर कांच की लेयर चढ़ाई जाती है। साधारण मांझे की धार भी तेज होती है, लेकिन यह कम खतरनाक होता है। लेकिन, लोग अपनी पतंग ना कटवाने की वजह से चाइनीज मांझा इस्तेमाल में लेते हैं, मगर काफी काफी खतरनाक है। बता दें कि ऐसा नहीं है कि चाइनीज मांझा सिर्फ चीन में ही बनता है। ये मांझा भारत में बनता है और कई बार सरकार की ओर से इन पर कार्रवाई भी की जा सकती है। बैन से संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। पॉल्यूशन बोर्ड ने सरकार द्वारा चाइनीज मांझा बैन किए जाने के आदेश के मुताबिक राजधानी में अब पतंग उड़ाए जाने के लिए इस्तेमाल में आने वाले नायलॉन और सिंथेटिक धागों के इस्तेमाल पर पूरी तरह मनाही होगी।

पक्षी भी होते हैं घायल

इन धागों की चपेट में आने से पक्षी बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं। कई मामलों में इन धागे की चपेट में आकर इंसानों की मौत भी हुई है। जेएसपीसीबी ने सिंथेटिक, नायलॉन और चाइनीज मांझा प्रतिबंध कर दिया है। इसके आलोक में कड़ाई से नियमों का अनुपालन किया जाएगा। चीनी मांझा और प्रतिबंधित धागा बेचने वालों पर छापेमारी भी की जाएगी।