RANCHI: राजधानी में नगर निगम की ओर से चलाई जा रही सिटी बसों में सिटी की बेटियां ही सेफ नहीं हैं। हर दिन चोरी और छेड़छाड़ से महिलाएं परेशान हैं। दुखद यह है कि इस परेशानी को देखने-समझने वाला कोई नहीं है। न तो नगर निगम के अधिकारी और न ही बस स्टाफ इस ओर ध्यान दे रहे हैं। जबकि हर दिन पाकेटमारी की भी घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके अलावा महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार और छेड़छाड़ भी बसों में सामान्य सी बात हो गई है। सिटी की महिलाएं अपने साथ हो रहे गलत व्यवहार के बारे में खुल कर बोलने के लिए आगे आ रही हैं। 'दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट' ने सिटी बस और इसमें होने वाले गलत एक्टिविटी का रियालिटी चेक किया, जिसमे दर्जनों महिलाओं ने बस चालक और स्टाफ की शिकायत की।

भाड़ा बढ़ा दो पर सुरक्षा दो

चडरी के पास सिटी बस से उतरीं डीएवी की टीचर सुष्मिता घोष काफी गुस्से में दिखीं। उन्होंने बताया कि बस में महिलाएं बिल्कुल भी सेफ नहीं हैं। महिलाओं से ठीक से व्यवहार भी नहीं किया जाता है। बस के स्टाफ बदतमीजी करते हैं। बैठने के लिए सीट नहीं होती, फिर भी सवारी चढ़ा लेते हैं। सुष्मिता ने बताया कि महिलाओं के लिए बस तो सिर्फ नाम का रह गया है, इसमे जेंट्स को भी चढ़ा लिया जाता है। उन्होंने डिमांड करते हुए कहा कि भले ही आने-जाने के किराया बढ़ा दिया जाए, लेकिन महिलाओं और ग‌र्ल्स को पूरी सुरक्षा दी जाए।

ओवरलोडिंग बड़ी समस्या

बस में क्षमता से अधिक सवारी बिठाए जाते हैं। इससे उन्हें बैठने के लिए भी जगह नहीं मिलती है। जितनी सीट है, उससे कहीं ज्यादा सवारियों के चढ़ जाने से दूसरे सवारियों को भी परेशानी होती है। इसी का फायदा चोर उचक्के भी उठा रहे हैं। भीड़ ज्यादा होने के कारण आसानी वे लोग यात्रियों के पॉकेट मार लेते हैं। वहीं ओवरलोडिंग के कारण खड़े-खड़े ही बस में सफर करना पड़ता है। बस के गेट की सीढ़ी तक सवारियों को चढ़ा लिया जाता है। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। गाड़ी नंबर जेएच 01 सीके 0450 के कंडक्टर से ओवरलोडिंग के सवाल करने पर वह उलझ गया और मीडिया को ही भला-बुरा कहने लगा। उसने कहा कि लोग खुद बैठते हैं, हमलोग पकड़-पकड़ कर नहीं बिठाते हैं।

बस कम, मुसाफिर ज्यादा

राजधानी के एमजी रोड पर सिटी बस की सुविधा शुरू की गई है। महिलाओं के लिए स्पेशल सिटी बस चलाए जा रहे हैं। कचहरी से लेकर राजेंद्र चौक तक सिटी बस चलती है। इसमें सिर्फ पांच रुपए के किराए में पूरा सफर तय किया जा सकता है। भाड़ा कम होने के कारण बस में यात्रियों की काफी भीड़ होती है। लेकिन यात्रियों की संख्या की तुलना में बसों की संख्या काफी कम है। नगर निगम के अनुसार एमजी रोड पर 23 बसे चलाई जाती है। एक बस में सवारियों की क्षमता लगभग 30 है। लेकिन बस ड्राइवर-कंडक्टर 50 से भी अधिक सवारी बिठाते हैं।

यात्रियों को नहीं देते टिकट

बस कंडक्टर सवारियों को पांच रुपए का टिकट भी नहीं देते। वे मैनवली ही पांच रुपए लेते हैं। इससे ओवरलोडिंग में ज्यादा मुनाफा होता है। एक्स्ट्रा कमाई का कोई रिकार्ड नहीं होता। इसमें बस ड्राइवर, कंडक्टर और सिटी मैनेजर का भी हिस्सा होता है। शुरू में कुछ दिनों तक टिकट काटने की परंपरा रही, लेकिन अब यह बिल्कुल खत्म हो गया है। इसके अलावा कहीं से भी सवारी बिठाना और उतारना इनकी आदतों में शुमार है। बस ड्राइवर के ऐसा करने से दूसरे लोगों को परेशानी होती है। कई बार रोड पर जाम भी लग जाता है।

क्या कहती है पब्लिक

नगर निगम को ध्यान देना चाहिए। भले किराया पांच की जगह दस रुपए कर दिया जाए लेकिन लेडिज को सिक्योरिटी तो मिलनी ही चाहिए।

सुष्मिता घोष

बस ड्राइवर को ओवरलोडिंग नहीं करनी चाहिए। इससे दुर्घटना भी घट सकती है। बस में चोरी और छेड़छाड़ की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। इसलिए एक सिक्योरिटी गार्ड भी होना चाहिए।

अमृता सिंह

सिटी बसें लोगों की सुविधा के लिए शुरू की गईं थीं, लेकिन यह तो बड़ी समस्या बनती जा रही है। ऑटो रिक्शा या ई-रिक्शा पूरी तरह से बंद होने से दूसरे ऑप्शन नहीं रह गए। बस में बहुत परेशानी होती है।

संध्या देवी

मेरे भी संज्ञान में मामला आया है। कई दिनों से ऐसे मामलों की सूचनाएं मिल रही हैं। हाल के दिनों में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। जिला प्रशासन के सहयोग से इसे ठीक करने का प्रयास किया जाएगा।

संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, रांची