रांची(ब्यूरो)। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी भारत में हैं। सारा विश्व प्रयत्नशील है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती का हम मुकाबला करें। आम आदमी जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं समझता है। आज आमलोगों को इसे समझाने की आवश्यकता है। हमें विकास और जलवायु परिवर्तन के बीच एक सांमजस्य बिठाना होगा। श्री मुंडा गुरुवार को रांची यूनिवर्सिटी के आर्यभट्टï सभागार में आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने इस गंभीर विषय पर चर्चा आयोजित करने के लिए रांची विश्वविद्यालय का आभार जताया।

रिसर्च पेपर्स का विमोचन

सेमिनार का विषय 'जलवायु परिवर्तन: चुनौतियां एवं अवसरÓ है। कार्यक्रम के शुभारंभ में पीएफए विभाग के कलाकारों द्वारा राष्ट्रगीत एवं कुलगीत प्रस्तुत किया गया। मौके पर अर्जुन मुंडा, जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय, कुलपति आरयू प्रो डॉ अजीत कुमार सिन्हा संग देश के विभिन्न राच्यों से आये एक्सपट्र्स, प्राध्यापकों एवं वक्ताओं ने दीप प्रच्जवलन किया। इस अवसर पर रिसर्च पेपर के संकलनों की एक पुस्तिका साथ ही जूलौजी विभाग के एक न्यूज लेटर का भी विमोचन किया गया।

अस्तित्व पर संकट

सरयू राय ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु प्रदर्शन अब कोई नया शब्द नहीं हैं। पहले औद्योगिक क्रांति से चिमनियों से धुआं निकलता था तो उसे विकास का सूचक मानते थे,परंतु उस वक्त भी चेताने वाले थे पर उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया। आज इस धुएं को देख कर चिंता होती है। जब एक डिग्री ही तापमान आज से सौ साल बढ़ा तो इसका प्रभाव देखने को मिला था। आज स्थिति बेकाबू हो रही है। अगर तापमान ऐसे ही बढ़ा तो पृथ्वी के लिये अस्तित्व संकट हो जाएगा।

दिलाई गयी शपथ

आर्यभट्ट सभागार में सैकड़ो की संख्या में आये छात्रों, शिक्षकों, वक्ताओं तथा मीडिया को जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की निदेश धृति बनर्जी ने पृथ्वी के संरक्षण की शपथ दिलायी। सभी ने शपथ ली कि वह हरियाली की रक्षा करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण का कार्य करेंगे। उसके बाद धृति बनर्जी ने स्लाइड शो के माध्यम से जलवायु परिवर्तन एवं इससे होने वाले नुकसान को विस्तार से बताया।

इन्होंने रखे विचार

मौके पर मुख्य वक्ताओं में कुलपति आरयू प्रो डॉ अजीत कुमार सिन्हा, प्रदीप कुमार सेवानिवृत आईएफएस झारखंड, जूलॉजिकल सर्वे आफॅ इंडिया की निदेशक धृति बनर्जी, उमाशंकर सिंह सेवानिवृत आइएफएस उत्तर प्रदेश, प्रो एमके जमुआर, बीएचयू के एसके त्रिगुण ने जलवायु परिवर्तन और इससे होने वाले संकट के बारे में विस्तार से बताया।

संकट से निबटना जरूरी

मुख्य अतिथि प्रो आरके झा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट है और हमें मिल कर इस संकट से निबटना होगा.अगर हम पृथ्वी की रक्षा नहीं करेंगे तो पृथ्वी भी हमारी रक्षा नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सूर्य खुद जलते हुये पृथ्वी पर सभी को जीवन देता है वैसे ही आज हमें जलवायु परिवर्तन के संकट से निबटने के लिये स्वयं प्रयास करना होगा।

मनोरोगियों की संख्या बढ़ी

बीएचयू से आये प्रो एसके त्रिगुण ने बताया कि जलवायु परिवर्तन पृथ्वी का तापमान बढ़ा रहा है और इसका असर हमारे मस्तिष्क पर भी पड़ रहा है। यही कारण है कि मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि पारंपरिक जीवन का तरीका ही सबसे सही था। आधुनिक अस्त व्यस्त जीवन शैली ने जलवायु परिवर्तन को बढ़ाया है।

पंखे की जरूरत नहीं थी

कुलपति आरयू प्रो डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा है कि रांची जैसे शहर में भी लू चल रही है। उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन को याद करते हुए बताया कि रांची में पंखे की कभी आवश्यकता ही नहीं होती थी। हर रोज बारिश होती थी। आज वनों के विनाश और उससे उपजे जलवायु परिवर्तन ने तापमान को खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया है। अभी भी अवसर है कि हम चेतें और पर्यावरण के विनाश को रोकें।