RANCHI:राजधानी में भी कोरोना संक्रमितों की बॉडी के अंतिम संस्कार के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। शवगृह में अभी 20 से अधिक कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शव अपनी मुक्ति के इंतजार में रखे हुए हैं। राजधानी में अभी तक 33 लोगों की मौत कोरोना के कारण हो चुकी है। इसके अलावा आसपास के जिले के लोगो का इलाज भी राजधानी में हो रहा है। प्राप्त सूचना के अनुसार रिम्स में 17, मेडिका में 2 और सैम्फोर्ड में एक के होने की बात कही जा रही है। ये सभी अपनी मुक्ति की राह देख रहे हैं।

खुले में जलाने की जगह नहीं

हरमू के एक गैस बर्नर से चार जून से कोरोना पॉजिटिव डेड बॉडी को जलाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, अब तक 45 केस यहां रिकॉर्ड किये जा चुके हैं। मारवाड़ी सहायक समिति के अनुसार शुरुआती दौर में औसतन हर दिन 1-2 केस यहां आते थे। पिछले 10-13 दिनों से यहां हर दिन 4-4 डेड बॉडी को जलाया जा रहा है, पर डेथ केस की संख्या बढ़ने से यह मुश्किलों भरा काम साबित होता जा रहा है। रांची में ही कुछ ऐसे केसेज सामने आ रहे हैं, जिनकी डेड बॉडी का निपटारा अभी तक नहीं किया जा सका है।

प्रशासन की निगरानी में अंतिम संस्कार

कोरोना संक्रमित और पॉजिटिव केस की स्थिति में डेड बॉडी को जिला प्रशासन की निगरानी में ही जलाना या दफनाया जाना है, पर रांची के हरमू में स्थित एकमात्र गैस बर्नर पर ही सभी आस लगाये बैठे हैं। कुछ दिनों पहले यह बर्नर भी खराब हो गया था। इससे स्थिति और मुश्किल हो गयी है। खुले में लकडि़यों के ढेर पर लाश को जलाने के लिये रांची जिला प्रशासन रांची-टाटा रोड में बुंडू के आसपास एक जगह की तलाश कर रहा था। बात नहीं बन पायी है। रांची नगर निगम घाघरा के पास एक इलेक्ट्रिक शव दाह गृह है, जिसे चालू किया जा रहा है।

तीन दिनों तक खतरा

कोरोना संक्रमण से मौत के बाद बॉडी को जल्दी से जल्दी निपटा देने की कोशिश हर जगह की जाती है। असल में मरने के बाद भी 3-4 दिनों तक मरने वाले के शरीर में वायरस का असर बने रहने की बात कही जाती रही है। यानी इतने दिनों के भीतर जितनी जल्दी हो, डेड बॉडी को जला या दफना देना ही ठीक है।

केस-1

मधुपूर (देवघर) का एक परिवार जुलाई के तीसरे सप्ताह में रांची आया। घर की 53 साल की एक महिला को सांस लेने में दिक्कत होने पर मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोरोना पॉजिटिव की जानकारी परिजनों को दी गयी। पांच दिनों तक इलाज के बाद बेटे को उसके मां के मरने की खबर दी गई। चूंकि हरमू के शवदाह गृह में गैस बर्नर खराब पड़ा था। सो डेड बॉडी तीन दिनों के बाद ही मिल सकी। गैस बर्नर ठीक होने के इंतजार में तीन दिनों बाद ही बेटा अपनी मां को मुक्ति दिला सका।

केस 2

12 अप्रैल को हिंदपीढ़ी में रहनेवाले एक परिवार के एक सदस्य की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हो गयी। इसके बाद उसके डेड बॉडी को बरियातू कब्रिस्तान में दफनाने की तैयारी जिला प्रशासन करने लगा, पर वहां विरोध शुरू हो गया। बाद में रातू रोड के कब्रिस्तान या जुमार नदी पुल के पास इसके लिए प्रशासन ने योजना बनाई। यहां भी लाश को जगह नहीं दी गयी। अंत में रात को 01.15 पर प्रशासन हिंदपीढ़ी के ही एक बच्चा कब्रिस्तान में उसे दफनाने में कामयाब हुआ।

मौत के मामलों की सूचना सामने आते ही मृतक के धर्म के अनुसार, अंतिम क्त्रिया कर्म प्रावधानों के अनुसार करा दिया जा रहा है। थोड़ी-बहुत देरी हो सकती है, लेकिन जल्द ही समाधान किया जाता है।

-लोकेश मिश्रा, एसडीओ, रांची