रांची में कोविड-19 के मामले भले ही कम हुए हों, लेकिन रोज जितने केसेज मिल रहे हैं, उनकी पहचान मुश्किल होती जा रही है। वजह यह है कि कोविड टेस्ट कराने वाले लोग अपनी आइडेंटिटी छुपा रहे हैं। सबसे ज्यादा मामले गलत नंबर देने के सामने आ रहे हैं। इससे प्रशासन के लोगों को पॉजिटिव मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने या फिर इंस्टीट्यूशनल आइसोलेशन में रखने में संकटों का सामना करना पड़ रहा है।

प्राइवेट लैब की होगी जांच

जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि कोरोना टेस्ट के दौरान प्राइवेट लैब वाले लोगों का सही नंबर नहीं रख रहे हैं। नतीजा यह हो रहा है कि पॉजिटिव होने के बाद उनको खोजने में जिला प्रशासन को परेशानी हो रही है। प्रशासन अब सभी निजी लैब के दस्तावेजों की जांच करेगा। लैब संचालकों को जांच कराने वालों का पूरा डाटा उपलब्ध कराना होगा। मोबाइल नंबर और पता जिस रजिस्टर में लिखा जाता है, उसकी भी मांग की जाएगी। दस्तावेज की जांच से यह पता चल जाएगा कि कोविड-19 टेस्ट कराने वाले लोगों का नाम पता और अन्य जानकारी क्या है। जो मोबाइल नंबर दर्ज है, वह जांच कराने के दौरान ही सत्यापित कराया गया था या नहीं?

औचक निरीक्षण भी करेंगे

जिला प्रशासन के अधिकारी लैब का औचक निरीक्षण भी करेंगे। दरअसल जांच में पॉजिटिव निकले कई लोगों के मोबाइल पर संपर्क नहीं होने और मोबाइल के नेट बंद और नंबर नॉट रिचेबल होने की वजह से प्रशासन ने यह निर्णय लिया है।

नौ लोगों का नंबर पहुंच से बाहर

रांची में 16 से 20 अगस्त के बीच पांच दिनों के भीतर ही 35 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए थे, जिसके बाद जिला प्रशासन के कंट्रोल रूम में जो नंबर दर्ज थे उन नंबरों पर फोन करना शुरू किया गया। इनमें से नौ मोबाइल नॉट रिचेबल मिले हैं और कुछ लोगों का नंबर ही गलत पाया गया। इनमें अधिकतर लोगों की जांच प्राइवेट लैब में की गई है।

एसडीओ करेंगे जांच

रांची डीसी की ओर से एसडीओ को निजी लैब की जांच करने की जिम्मेवारी दी गई है। एसडीओ ने पिछले दिनों सभी निजी लैब संचालकों को जांच कराने वालों का सटीक विवरण रखने का निर्देश दिया था। ताकि पॉजिटिव निकलने वाले लोगों को ट्रेस करने में परेशानी नहीं हो।

प्राइवेट लैब में करा रहे जांच

जानकारी के अनुसार रांची में प्राइवेट लैब से जांच कराने वालों की संख्या अधिक है। दूसरे राज्य से ट्रेन और विमान से आने वाले लोगों की स्टेशन और एयरपोर्ट पर जांच हो रही है। लेकिन शहर के स्टैटिक जांच सेंटर अभी खाली ही हैं। यहां बेहद कम लोग जांच के लिए आ रहे हैं। बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो प्राइवेट लैब में कोरोना टेस्ट कराते हैं और ई-मेल पर ही रिपोर्ट मंगवा लेते हैं। जब उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो वे अपने मोबाइल को बंद कर लेते हैं या नॉट रिचेबल कर देते हैं, ताकि उनको ढूंढा नहीं जा सके।

संस्थागत आइसोलेशन सुनिश्चित करायें

रांची के डीसी छवि रंजन की अध्यक्षता में 16 अगस्त को ही जिलास्तरीय कोविड-19 टास्क फोर्स की वर्चुअल मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में डीसी ने साफ कह दिया था कि राज्य सरकार के निदेशानुसार पॉजिटिव मरीजों का होम आइसोलेशन वर्जित है, उन्हें संस्थागत आइसोलेशन में रखा जाना है। उस वक्त सात दिनों में सामने आये पॉजिटिव मरीजों की डिटेल उपायुक्त ने सभी इंसिडेंट कमांडर को देने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि सभी इंसिडेंट कमांडर ये सुनिश्चित करें कि कोई कोविड मरीज घर पर न हो, सभी इंस्टीच्यूशनल आइसोलेशन में रहें। उपविकास आयुक्त रांची को उपायुक्त ने खेलगांव, सीसीएल और सदर अस्पताल का भ्रमण कर आइसोलेशन सेंटर की तमाम व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश दिया था।

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और पिछले कुछ दिनों में संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ये रिलैक्स करने का समय नहीं, बल्कि और गंभीरता से काम करने की जरूरत है। सभी कोषांग के पदाधिकारियों को प्रोएक्टिव होकर काम करने को कहा गया है। जिस व्यक्ति का सैंपल लिया जा रहा है उसकी सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है। इसमें मोबाइल नंबर आवश्यक रूप से वेरीफाई करने को कहा गया है।

छवि रंजन, डीसी, रांची