- रांची में एक दिन में एक हजार से ज्यादा संक्रमित फिर भी नहीं पड़ रहा कोई फर्क

- ऑटो, ई रिक्शा, सिटी बस में तोडे़ जा रहे कोविड प्रोटोकॉल

- कार्रवाई के बाद भी नहीं आया सुधार

- कैपासिटी से अधिक यात्री बिठा रहे ड्राइवर

- मास्क और हैंड सेनिटाइजर भी नहीं होता पास

कोरोना हर दिन अपना रौद्र रूप दिखा रहा है। इसी महीने इतने मामले आए कि अब रांची में 7 हजार से ज्यादा एकटिव मरीज हैं। संक्रमण चेन टूटने का नाम नहीं ले रहा है। लेकिन, सिटी के लोग समझदारी नहीं दिखा रहे हैं। आज भी सड़क पर काफी लोग घूमते नजर आ रहे हैं। हालांकि, पहले की अपेक्षा संख्या थोड़ी कम हुई है। जागरूक लोग अब घर पर ही रहना पसंद कर रहे हैं। फिर भी कई ऐसे लोग हैं जो बिना किसी काम के ही रोड पर घूमने या शॉपिंग करने निकल जाते हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन जैसे ऑटो, ई-रिक्शा और सिटी बस में सुधार नहीं हो रहा है। बार-बार प्रयास के बावजूद ड्राइवर अपनी मनमानी कर रहे हैं। कैपासिटी से अधिक पैसेंजर बिठाने की जैसे कसम खा रखी हो। ज्यादा पैसे कमाने की चाहत में ऑटो ड्राइवर कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। बैक सीट में तीन से चार और फ्रंट सीट में भी ड्राइवर अपने बगल में यात्री बिठा रहे हैं। सिर्फ ऑटो वाले ही नहीं बल्कि सिटी बस और ई-रिक्शा वाले भी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

ऑटो में ओवरलोड

कैपासिटी से अधिक यात्रियों को बिठा कर चलना ऑटो वालों की आदत में शामिल हो गया है। महामारी में भी ऑटो चालक नहीं सुधर रहे हैं। डीटीओ ने कई बार ऑटो चालकों के साथ बैठक कर उनसे सभी नियमों को मानने का आग्रह किया। लेकिन ऑटो चालक मानने को तैयार नहीं हैं। हालांकि, कुछ चालक ऐसे हैं जो नियमों का पालन करे रहे हैं। लेकिन, ऐसे ऑटो ड्राइवर की संख्या कम है। कोरोना संक्रमितों से हॉस्पिटल के बेड फुल हो चुके हैं। सिटी में हर दिन एक हजार से ज्यादा पॉजिटिव मामले आ रहे हैं। तस्वीर डरावनी हो गई है। लेकिन, इससे ड्राइवर को फर्क नहीं पड़ता। सिर्फ क्षमता से अधिक यात्री ही नहीं बल्कि मास्क और हैंड सेनिटाइजर का भी प्रयोग ड्राइवर नहीं कर रहे हैं। डीटीओ प्रवीण कुमार प्रकाश ने बताया कि ऑटो ड्राइवरों को कैपासिटी से 50 परसेंट पैसेंजर बिठाने की हिदायत दी गई है। जो इसका पालन नहीं करेंगे, उन पर कार्रवाई भी की जाएगी। लेकिन विडंबना है कि ड्राइवर डीटीओ एवं ऑटो चालक संघ की भी बात नहीं मान रहे हैं।

सबसे बुरी स्थिति इन इलाकों की

रांची के कई इलाकों में ऑटो चलते हैं। कहीं सीएनजी, कहीं विक्रम तो कहीं पिआगो ऑटो पर सवारी बिठाए जाते हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति पिस्का मोड़ से पंडरा, पिस्का मोड़ से आईटीआई, रातू रोड, लालपुर, बिरसा चौक, की है। इन इलाकों पर ऑटो ड्राइवर सभी नियमों को ताक पर रख कर गाड़ी चला रहे हैं। ट्रैफिक पोस्ट से पहले ही पैसेंजर उतार देते हैं। जिससे पुलिस भी उन्हें पकड़ नहीं पाती। कई स्थानों पर पुलिस के होते हुए ऑटो ड्राइवर मनमानी करते हैं, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कहती। बुधवार को 'डीजे-आई नेक्स्ट' ने अलग-अलग स्थानों का रियलिटी चेक किया। इसमें पिस्का मोड, पंडरा, आईटीआई, लालपुर, रातू रोड में पड़ताल की गई। जहां कई ऑटो ड्राइवर बिना मास्क के ही ऑटो चलाते दिखे। वहीं अधिकतर पैसेंजर भी बिना मास्क के सफर करते दिखे। किसी एक भी संक्रमित होने की स्थिति में स्थिति भयावह हो सकती है।

सुस्त पड़ गया जांच अभियान

कभी-कभी जांच अभियान चलाया जाता है। जिसमें कुछ ऑटो चालकों पर कार्रवाई भी होती है। लेकिन इस कार्रवाई से ऑटो चालकों में कोई सुधार नहीं आ रहा। चालकों का कहना है कि पुलिस गाड़ी जब्त करेगी, फाइन भर कर गाड़ी छुड़वा लेंगे। यही वजह है कि ऑटो चालकों का मनोबल बढ़ा हुआ है। कुछ दिन पहले ट्रैफिक एसपी की ओर से भी आदेश जारी हुआ था, जिसके बाद जोर-शोर से जांच अभियान चलाया गया था। दो दिन में ही अभियान धड़ाम हो गया। फिर पहले जैसी स्थिति हो गई है। परमिट और बिना लाइसेंस के भी ऑटो धड़ाधड़ चल रहे हैं। ऑटो चालक कोरोना का बहाना कर भाड़ा भी मनमाना वसूल रहे हैं। जिससे चौक-चौराहें पर ऑटो ड्राइवर और पैसेंजर के बीच नोक-झोंक भी हो जाती है। कई जगह ऑटो ड्राइवर बदतमीजी करने लगते हैं, जिस कारण पैसेंजर को ड्राइवर द्वारा मांगे गए भाड़ा देने को तैयार हो जाते है।

----

बार-बार आग्रह किया जा रहा है। ऑटो एसोसिएशन वालों के साथ बैठक भी की गई, लेकिन सुधार नहीं हो रहा है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी, ताकि संक्रमण को रोकने में मदद मिले।

प्रवीण कुमार प्रकाश, डीटीओ, रांची