रांची(ब्यूरो)। सिटी में हजारों मामले ऐसे हैं जिन्हें सुलझने का इंतजार आज भी है। सालों से ये मामले ऐसे ही विभिन्न थानों पेंडिंग हैं। सिर्फ रांची ही नहीं, बल्कि पूरे स्टेट की यही कहानी है। झारखंड में 70 हजार से अधिक मामले पेंडिंग हैं, इनमें सबसे ज्यादा संख्या राजधानी रांची की है। रांची के विभिन्न थानों में करीब 18000 मामले अनसुलझे हैं। इनवेस्टिगेशन नहीं होने के कारण ये मामले आजतक सुलझ नहीं सके हैं। मामलों को सुलझाने की कोशिश भी नहीं हो रही है। भले ही इस संबंध में कई बार आदेश-निर्देश जारी हो चुके हैं, फिर भी इसकी धीमी गति से केस की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड के विभिन्न जिलों में पुलिस के पास 71618 मामले पेंडिंग हैं। जिनमें 67475 मामले सिर्फ वारंट के हैं। इसके अलावा 4143 मामले कुर्की के हैं। यह आंकड़ा 31 दिसंबर 2023 तक का है, जिसकी पुष्टि पुलिस मुख्यालय से प्राप्त वारंट और कुर्की के आंकड़ों से हुई है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो राजधानी रांची की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां सबसे अधिक वारंट और कुर्की के मामले इनवेस्टिगेशन के लिए पेंडिंग हैं।

रांची नंबर 1

राजधानी रांची में 18600 मामले वारंट के हैं तो वहीं 3199 मामले कुर्की के पेंडिंग हैं। रांची के बाद धनबाद में सबसे ज्यादा केस लंबित हैं। धनबाद में 16303 वारंट के एवं कुर्की के 201 मामले पेंडिंग हैं। इन मामलों के निष्पादन के लिए पहले भी कई बार आदेश जारी किए गए हैं। डीजीपी से लेकर एडीजी तक ने समीक्षा बैठक में बार-बार पेंडिंग मामलों के निस्तारण का आदेश दिया। लेकिन हाल आज भी ज्यों का त्यों ही बना हुआ है। कभी इनवेस्टिगेशन में आने वाली अड़चनें तो कभी पुलिस कर्मियों की ट्रांसफर पोस्टिंग इसके पीछे की वजह बन रही है।

एससी-एसटी थाना भी पीछे नहीं

मामलों को लटकाने में एससी-एसटी थाने भी पीछे नहीं हैं। झारखंड के एससी-एसटी थाने में करीब 4500 मामले में जांच के इंतजार में लटके हुए हैं। झारखंड के मूल निवासियों को राहत देने के लिए इस थाने की शुरुआत हुई थी। लेकिन यहां भी सिर्फ मामला दर्ज होने के अलावा और कुछ नहीं हो रहा है। न तो किसी मामले की इनवेस्टिगेशन की गई और न ही दोषियों को सजा दी गई। जबकि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एससी-एसटी अधिनियम में स्पष्ट कहा गया है कि एससी-एसटी थाने में मामले दर्ज किए जाने पर इस पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन इस दिशा में अबतक ठोस पहल शासन और प्रशासन की ओर से नहीं की गई है।

पेंडेंसी क्यों बढ़ रही

दरअसल मामलों की पेंडेंसी बढऩे के पीछे पुलिस कर्मी बताते हैं कि किसी मामले के इनवेस्टिगेशन में कई टेक्निकल प्रॉब्लम आती हैं। सबसे बड़ी प्रॉब्लम एफएसएल नमूनों की जांच को लेकर होती। आज भी अनुसंधान के लिए नमूने लेकर पुलिस कर्मी को बाहर जाना पड़ता है, जिस कारण कांड के जल्द निष्पादन में विलंब होता है। वहीं वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी में भी कभी-कभार कुछ परेशानी होती है।

जानें किस जिले में वारंट व कुर्की के कितने मामले हैं पेंडिंग

जिला वारंट कुर्की

रांची 18600 3199

खूंटी 494 21

गुमला 1785 03

सिमडेगा 321 00

लोहरदगा 688 08

चाईबासा 2669 32

सरायकेला 1538 12

जमशेदपुर 2683 06

पलामू 2671 68

लातेहार 1698 18

गढ़वा 712 02

हजारीबाग 3407 136

रामगढ़ 312 74

कोडरमा 285 22

चतरा 2658 103

गिरिडीह 549 23

धनबाद 16303 201

बोकारो 1015 70

दुमका 728 03

गोड्डा 562 00

जामताड़ा 727 01

देवघर 2664 15

साहिबगंज 3168 122

पाकुड 1121 03

कुल 67475 4143