रांची : सदर अस्पताल के उपाधीक्षक की आइडी हैक कर जन्म-मृत्यु सर्टिफिकेट बनाने के मामले में जामताड़ा का कनेक्शन मिला है। जामताड़ा हमेशा ही साइबर अपराध करने में आगे रहा है। इसकी जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डा विनोद कुमार ने बताया कि अभी जो प्रारंभिक सूचनाएं मिलीं हैं उसमें इस पूरे प्रकरण में जामताड़ा जिले के साइबर अपराधियों का हाथ बताया जा रहा है। हालांकि इसकी पूरी जांच पुलिस की ओर से की जा रही है, इसके बाद ही आरोपियों को पकड़ा जा सकेगा। आइडी हैक करने के बाद अब सदर अस्पताल स्थित प्रज्ञा केंद्र से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम हटा लिया गया है। इस कार्य को अब सिविल सर्जन की निगरानी में ही किया जाएगा। सिविल सर्जन ने बताया कि इस तरह की साइबर अपराध के बाद अब किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लिया जाएगा और जन्म-मृत्यु का पूरा काम अस्पताल प्रबंधन की ओर से देखा जाएगा। बाकी सारे काम प्रज्ञा केंद्र में पहले की तरह ही होते रहेंगे।

सर्टिफिकेट के लिए टीम

जन्म-मृत्यु सर्टिफिकेट बनाने के लिए टीम का गठन किया गया है। इसके लिए एक कंप्यूटर ऑपरेटर को रख सारा काम उपाधीक्षक के द्वारा किया जाएगा। हर दिन इसकी मॉनिटि¨रग सिविल सर्जन करेंगे। इसके लिए निर्देश दिया गया है कि हर दिन बनने वाले सर्टिफिकेट की पूरी जानकारी सिविल सर्जन को देनी होगी, जिसके बाद सर्टिफिकेट निर्गत किया जाएगा। इस पूरे कार्य के लिए एक अलग से कमरे का इंतजाम किया गया है, जहां पर कर्मचारी के अलावा किसी के आने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही साइबर अपराध से बचने के लिए कुछ खास साफ्टवेयर का भी प्रयोग किया जाएगा।

हैक कर बना लिए सर्टिफिकेट

मालूम हो कि कुछ दिन पहले अस्पताल के उपाधीक्षक का यूजर नेम और पासवर्ड हैक कर हैकरों ने कई जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बना लिए थे। जिसकी जानकारी मिलने के बाद उपाधीक्षक ने जांच की और इसकी जानकारी देते हुए थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इस घटना के बाद अन्य प्रज्ञा केंद्रों में भी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर जांच की जा रही है। साथ ही अन्य जिलों में भी इसे लेकर सतर्कता बरती हा रही है।

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सदर की वेबसाइट हैक करने के मामले में एफआईआर

सदर अस्पताल की वेबसाइट को हैक कर फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के मामले में पुलिस ने मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज कर ली है। सिटी डीएसपी को जांच की जिम्मेदारी दी गई है। सिटी डीएसपी ने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक मंडल से पूछताछ की और इस मामले में हर ¨बदु पर गंभीरता से सुना। मालूम हो कि सदर अस्पताल की साइट हैक कर 16 से 18 अगस्त के बीच 29 सर्टिफिकेट जारी हुए हैं। इसमें 22 जन्म और 7 मृत्यु प्रमाण पत्र शामिल हैं।

सिग्नेचर अलग होने पर शक

सदर अस्पताल के रजिस्ट्रार ने फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र जारी होने की सूचना जिला सांख्यिकी पदाधिकारी ने रजिस्ट्रार को दी। दरअसल रजिस्ट्रार का हस्ताक्षर अलग होने की सूचना रजिस्ट्रार को दी गई। इसके बाद रजिस्ट्रार की ओर से जांच करने के बाद पता चला कि फर्जी तरीके से सर्टिफिकेट जारी हुआ है। हैक करने की घटना को देखते हुए अब रजिस्ट्रार को अपने लॉगिन का पासवर्ड चेंज करने के लिए कहा गया है ताकि पुराने पासवर्ड का दुरुपयोग फिर नहीं किया जा सके।

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