RANCHI:राजधानी में घटित पॉक्सो एक्ट के कुछ मामलों में विक्टिम्स को पुलिस से भी शिकायत रहती है। विक्टिम्स और बाल कल्याण संस्थाओं का दावा है कि नाबालिगों से रेप के मामलों में विक्टिम को ही पुलिस बार-बार थाने बुलाती है, भद्दे सवाल पूछती है जिससे वे लोग मानसकि तौर पर खासे परेशान हो जाते हैं। दैनिक जागरण आइनेक्सट ने इस मामले में जब लोगों से पूछा कि क्या किसी भी रैंक के पुलिस अधिकारी पाक्सो मामले की जांच कर सकते हैं इसपर बड़ी संख्या में लोगों ने गलत जवाब दिए। लोगों का कहना है कि कोई भी अधिकारी पाक्सो मामले की जांच कर सकता है। लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसे मामलों की जांच बिना महिला पुलिस अधिकारी के नहीं की जा सकती। साथ ही वह पुलिस अधिकारी सब इंस्पेक्टर रैंक के ऊपर का होना चाहिए।

इन कानूनी नियमों का होना चाहिए पालन

1. बच्चे का बयान 30 दिन के भीतर लेना होता है।

2. विक्टिम को पूछताछ के लिए थाने नहीं बुला सकते।

3. केवल महिला जांच अधिकारी को पूछताछ करने का अधिकार होता है।

4. विक्टिम से वर्दी में पूछताछ नहीं कर सकते।

5. विक्टिम व आरोपी को एक गाड़ी में कोर्ट-अस्पताल नहीं ले जा सकते।

6. नियम के मुताबिक एक साल में खत्म होना चाहिए केस।

7. प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस एक्ट (पॉक्सो एक्ट) 2012 में बना था।

8. 12 साल तक के बच्चों से दुष्कर्म के केस में अब अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है।

9. इस एक्ट में पहले न्यूनतम सजा 7 साल थी, जिसे अब बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। वारदात के 30 दिन के अंदर बच्चे के बयान समेत सभी सबूत जुटा लेने चाहिए पुलिस को।

आपबीती

मेरे फूफा ने ही किया दुष्कर्म, मिली सजा

मेरे साथ मेरे फूफा ने ही दुष्कर्म किया। मैंने अपने घरवालों को सारी बातें बता दी, जिसके बाद हमलोगों ने पुलिस में शिकायत की। लेकिन पुलिस ऐसे गंदे-गंदे सवाल पूछती रही कि जवाब नहीं दिया जाता। कई बार तो महिला पुलिस भी नहीं रहती थी। कोर्ट में मामला चल रहा था लेकिन पुलिस की जांच ही पूरी नहीं हो रही थी। दो-तीन बार तो कोर्ट ने भी फटकार लगायी। लेकिन मेरे घरवाले मेरे साथ खड़े रहे। हमलोगों ने आरोपी फूफा को सजा दिलाकर ही माना।