रांची (ब्यूरो) । ब्रह्माकुमारी संस्थान की पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय प्रमुख प्रशासिका दादी जानकी जी की पुण्यतिथि को वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा 104 वर्ष की उम्र में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दादी जानकी जी का देहावसान हुआ। दादी जानकी का पूरा जीवन समाज सेवा समर्पित रहा है। बचपन से ही दादी जी को इस बात की चिंता बनी रहती थी कि वे किस प्रकार दूसरों के जीवन को सुखी बना सकें। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अनेक भारतीय शास्त्रों के अध्ययन से ओत- प्रोत थी। आजादी के तुरंत बाद जाति प्रथा सहित अनेक सामाजिक परम्पराओं के बंधनों को तोड़ते हुए दादी जानकी जी भी एक सक्रिय महिला आध्यात्मिक नेत्री के रूप में उभरीं। ब्रह्माकुमारीज के साकार संस्थापक ब्रहा बाबा के सानिध्य में 14 वर्ष तक दादी जी ने गहन योग तपस्या की।

मानवीय मूल्यों का बीज

वर्ष 1950 में संस्था कराची से माउंट आबू स्थांतरित हुआ जहां से विश्व सेवाओं का शंखनाद हुआ। वर्ष 1970 में दादी जानकी पहली बार विदेशी जमीन पर मानवीय मूल्यों का बीज रोपने के लिए निकलीं। दादी ने भले की चौथी तक पढ़ाई की थी परंतु अपने प्यार, स्नेह, अपनापन और मूल्यों की भाषा के द्वारा विदेशी जमीन पर भारतीय संस्कृति को स्थापित कर दिया। धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता रहा। आज विश्व भर में लोग भारतीय अध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन को दिनचर्चा में शामिल कर जीवन को नई दिशा दे रहे हैं।

स्र्वोच्च स्थिर मन

दादी जानकी जी ने दादी प्रकाशमणि जी के बाद संस्था की प्रमुख प्रशासिका के रूप में विश्व परिवर्तन एवं आध्यात्मिक पुनरूत्थान का कार्य किया है। दादी जानकी जी को वैज्ञानिकों द्वारा विश्व भर में स्र्वोच्च स्थिर मन महिला की उपाधि दी गई है। दादी जानकी जी 103 वर्ष की आयु में इतनी ऊर्जावान थीं कि एक वर्ष में भारत सहित दुनिया के कई देशों की यात्रा करते हुए 50 हजार किलोमीटर की यात्रा तय की जो अपने आप में एक विश्व रिकार्ड है। उनमें अंतिम समय तक युवाओं जैसा उत्साह देखा गया है। भारत के प्रधानमंत्री नदेन्द्र मोदी दादी जी को स्वच्छ भारत मिशन का ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया था।