RANCHI: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियां होती हैं। वहीं काफी परेशानियों से गुजरने के बाद वो एक बच्चे को जन्म देती है। ऐसे में या तो उनकी नार्मल डिलीवरी कराई जाती है या फिर सिजेरियन। लेकिन लाइफलाइन 108 एंबुलेंस सर्विस ऐसी ही महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है, जहां एंबुलेंस में ही ऑन बोर्ड उनकी डिलीवरी कराई जा रही है। इससे मां-बच्चे की मॉर्टैलिटी रेट भी कम हुई है। बताते चलें कि नवंबर 2017 में झारखंड सरकार ने 108 एंबुलेंस की शुरुआत की थी। इसके बाद से लगातार इसकी सर्विस लोगों को मिल रही है।

मंथली 5 ऑन बोर्ड डिलीवरी

वैसे तो डिलीवरी के हजारों मामले सामने आते हैं, जिन्हें तत्काल 108 एंबुलेंस से गवर्नमेंट हॉस्पिटल पहुंचा दिया जाता है। लेकिन कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं जो लास्ट टाइम में एंबुलेंस कॉल करते हैं। ऐसे में रास्ते में ही उनकी स्थिति खराब होने लगती है। इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन (इएमटी) ऐसी स्थिति में उनके लिए भगवान का काम कर रहे हैं, जिनकी सेफ ऑन बोर्ड डिलीवरी कराई जा रही है। हर महीने ये लोग 5-6 ऑन बोर्ड डिलीवरी करा रहे हैं।

इएमटी को स्पेशल ट्रेनिंग

एंबुलेंस में एक ड्राइवर के अलावा एक इएमटी की ड्यूटी होती है। उसे स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है ताकि इमरजेंसी में जान बचाने को लेकर अटेंप्ट कर सके। वहीं ऑन बोर्ड डिलीवरी कराने के लिए भी ट्रेनिंग दी जाती है। चूंकि एंबुलेंस का लाभ लेने वालों में सबसे ज्यादा संख्या प्रेग्नेंट महिलाओं की ही है।

ऑन कॉल डॉक्टर हर समस्या का समाधान

ऑन बोर्ड डिलीवरी के दौरान किसी तरह की परेशानी होने पर इएमटी डॉक्टर को भी कॉल करते हैं। ये डॉक्टर 24 घंटे कॉल सेंटर में अवेलेबल रहते हैं, जो ऑन बोर्ड नार्मल डिलीवरी कराने में अगर कोई परेशानी होती है तो उस समस्या का समाधान बताते हैं।

दो साल में ऑन बोर्ड डिलीवरी

रांची : 101

इस्ट सिंहभूम : 28

वेस्ट सिंहभूम : 22

हजारीबाग : 34

रामगढ़ : 11

सरायकेला : 44

वर्जन

हमलोग बेहतर सर्विस देने को तत्पर हैं। पब्लिक इसमें सपोर्ट करे तो हम और भी बेहतर सर्विस दे सकते हैं। ऑन बोर्ड डिलीवरी के लिए भी हमारे इएमटी को इतनी ट्रेनिंग दी गई है कि इमरजेंसी में वे डिलीवरी करा सकते हैं। चूंकि वह समय मां और बच्चा दोनों के लिए अहम होता है।

धनेश्वर तिर्की, ऑपरेशन मैनेजर, जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड, झारखंड