रांची: एक शिक्षक में तीन गुण होने चाहिए। पहला साधू की तरह शीलवान, दूसरा गुरु की तरह ज्ञानी और तीसरा गुण माता की तरह करुणावान होना जरूरी है। ये बातें डीएसपीएमयू में डॉ ब्रजकिशोर झा मेमोरियल लेक्चर में उभरकर सामने आई, जहां पीजी राजनीति विज्ञान व पीजी इंग्लिश विभाग की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

स्टूडेंट से प्यार जरूरी

आचार्य की परिभाषा में तीन शब्द समाहित होते हैं- शीलवान, ज्ञानी और करुणावान। एक शिक्षक को साधू की तरह शीलवान होना चाहिए, गुरु की तरह ज्ञानी और माता की तरह करुणावान होना चाहिए। डॉ किरण झा ने उक्त बातें अपने बीज भाषण के दौरान कहीं। उन्होंने टैगोर को उधृत करते हुए कहा कि एक शिक्षक तभी शिक्षक होता है, जब वह अपने छात्रों से प्रेम करता है। प्लेटो को उधृत करते हुए डॉ किरण झा ने याद दिलाया कि एक शिक्षक मन के अवसाद को मन की दवा से ठीक करता है। और शिक्षा का उद्देश्य महज मन के दायरे को बढ़ाना नहीं, बल्कि हृदय का विस्तार भी है।

गुरुकुल परंपरा को बढ़ावा

बतौर मुख्य वक्ता मानविकी संकाय के डीन डॉ अयूब ने कहा कि आज जबकि एजुकेशन सिस्टम में सिर्फ दो ही चीज गड़बड़ है - एजुकेशन और सिस्टम, इस हालात में इस तरीके के वैचारिक मेमोरियल लेक्चर एक उम्मीद की किरण जगती है। राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ रीना नन्द ने कहा कि स्वर्गीय डॉ ब्रज किशोर झा मेरे भी शिक्षक रहे और उनकी आभामंडल से न जाने कितने विद्वान स्टूडेंट्स आज विश्व के कोने-कोने में मौजूद हैं।

ज्ञान के लिए धैर्य जरूरी

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ। विनय भरत ने विषय प्रवेश कराते हुए डॉ ब्रज किशोर झा का संक्षिप्त जीवन परिचय रखते हुए कहा कि मूल्यहीनता के दौर में डॉ झा जैसे गुरु जीवन में आवश्यक संतोष के साथ ठहराव लाते हैं। ज्ञान को समेटने के लिए चावल चुनने- सा धैर्य रखना पड़ता है। ज्ञान 2 मिनट नूडल्स नहीं है और केएफसी का चिकन नहीं। ज्ञान मां के चूल्हे में पकने वाला भोजन है, जो भाव और भावना मांगता है।

150 स्टूडेंट्स शामिल

इस मौके पर राजनीति विज्ञान के डॉ मनीषा शाहदेव, डॉ रंजीत महली ने भी अपने विचार रखे। स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग के के 150 छात्र मौजूद थे। कार्यक्रम में अंग्रेजी विभाग के शिक्षक सुमित मिंज, कर्मा कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र रंजन कुमार, विभागीय छात्र प्रतिनिधि निशांत, मोंदिरा देशमुख ने विशेष योगदान दिया। संचालन अंग्रेजी विभाग के सौरभ मुखर्जी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन नम्रता झा ने किया।