रांची(ब्यूरो)। एक बार फिर से लोगों को बढ़ा हुआ बिजली बिल देने के लिए तैयार रहना होगा। क्योंकि झारखंड बिजली वितरण निगम ने अपने भारी-भरकम घाटे का हवाला देते हुए फिर से टैरिफ पिटीशन बढ़ाने का आवेदन नियामक आयोग को दिया है। इसमें कहा गया है कि झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम आठ हजार करोड़ से अधिक के घाटे में चल रहा है। इस घाटे को पाटने के लिए वितरण निगम को बिजली बिल के टैरिफ से 9302.94 करोड़ रुपए का राजस्व चाहिए। इसके लिए वितरण निगम ने झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव सौंपा है। प्रस्ताव में वितरण निगम ने रेवेन्यू गैप का भी आंकड़ा सौंपा है। इस आंकड़े के अनुसार बिजली वितरण निगम का रेवेन्यू गैप 8347.43 करोड़ रुपए है।

क्या है प्रस्ताव में

झारखंड बिजली वितरण निगम ने नियामक आयोग को जो प्रस्ताव सौंपा है उसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2021 में वितरण निगम का रेवेन्यू गैप 2691.8 करोड़ रहा। वित्तीय वर्ष 2022-23 में रेवेन्यू गैप 3122.6 करोड़ रुपए रहा। वहीं 2023-24 में रेवेन्यू गैप 2533.59 करोड़ रुपए रहा। 2023-24 में वितरण निगम को 6769.35 करोड़ रुपए राजस्व की प्राप्ति हुई।

इस वर्ष का खर्च

झारखंड राज्य बिजली वितरण ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 2780.87 करोड़ रुपए खर्च किए। आरडीडीएसएस स्कीम के तहत 1322.52 करोड़ रुपए खर्च किए गए। मीटिरंग में 153.73 करोड़ रुपए खर्च किए, वहीं रांची में स्मार्ट मीटरिंग में 90 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

बिजली खरीदने पर खर्च

वित्तीय वर्ष 2022-23 में झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम ने 6817.25 करोड़ रुपए की बिजली खरीदी। इसमें इनलैंड पावर, रूंगटा माइंस, एबीसीएल और पीटीसी भी शामिल हैं। इन सभी से हर महीने करीब 592 करोड़ रुपए की बिजली खरीदी गई। वहीं वित्तीय वर्ष 2023-24 से 6611.19 करोड़ रुपए की बिजली खरीदी गई। इसमें इनलैंड पावर, एबीसीएल, रूंगटा माइंस और पीटीसी से 587.79 करोड़ और एसआरएचपीएस से 9.09 करोड़ की बिजली खरीदी गई।

हर साल बढ़ता है रेट

राज्य के लोगों को बिजली देने के बदले सरकार हर महीने बिल के रूप में पैसे की वसूली करती है। कोरोना को लेकर सिर्फ दो साल तक बिल में बढ़ोतरी नहीं किया गया, इसके अलावा हर साल बिजली बिल में बढ़ोतरी होती है। जितना प्रस्ताव वितरण निगम देता है उससे बहुत कम दर नियामक आयोग बढ़ाता है, लेकिन लोगों को बिजली बिल के बदले में कभी भी फुल बिजली उपलब्ध नहीं होती है। विभाग लोगों से बिल वसूलता है, उसके बाद कितनी बिजली मिलती है इसको लेकर गंभीर नहीं रहता है।

12 घंटे बिजली गुल

सरकार बिजली की दर बढ़ाने के लिए तो परेशान रहती है, लेकिन लोगों को 12 घंटे तक अंधेरे में रहने को मजबूर होना पड़ता है। खासकर डीवीसी वाले जिलों में लोग गर्मी के समय में लगातार मई महीने तक 12 घंटे अंधेरे में रहने को मजबूर होते हैं।

बिजली खरीदारी का आंकड़ा

वित्तीय वर्ष 2022-23

कंपनी कितने की खरीदारी

एनटीपीसी 1576.94 करोड़

एनएचपीसी 89.42 करोड़

पीटीसी 113.39 करोड़

डीवीसी 1990.08 करोड़

टीवीएनएल 990.65 करोड़

यूआइ 84 करोड़

आधुनिक पावर 482.29 करोड़

सोलर 286.43 करोड़

विंड एनर्जी 244.37 करोड़

वित्तीय वर्ष 2023-24

कंपनी कितने की खरीदारी

एनटीपीसी 2092.06 करोड़

एनएचपीसी 93.89 करोड़

पीटीसी 119.06 करोड़

सेंट्रल सेक्टर 2305.01 करोड़

डीवीसी 1556.30 करोड़

टीवीएनएल 877.46 करोड़

आधुनिक पावर 421.37 करोड़

सोलर 286.43 करोड़

पवन 244 करोड़