रांची(ब्यूरो)। सिटी में अब रांची नगर निगम अपनी पुरानी खराब बड़ी गाडिय़ों को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के रूप में बदलने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए एजेंसी का चयन भी कर लिया गया है। एजेंसी ने काम शुरू कर दिया है। पहले फेज में करीब 25 गाडिय़ों को इलेक्ट्रिक व्हीकल के रूप में बदला जाएगा। इन्हीं गाडिय़ों से कचरे का उठाव शुरू होगा, इस महीने के अंत तक यह काम करना शुरू कर देगा। एजेंसी की ओर से कहा जा रहा है कि 15 दिनों में कुल 25 गाडिय़ों को हैंडओवर कर दिया जाएगा।

वेस्ट कलेक्शन होगा

रांची नगर निगम के पास वर्षों से खराब पड़े वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में बदला जा रहा है। पहले चरण में 25 ईवी को कचरा उठाने में लगाया जाएगा। दूसरे चरण में 25 ईवी गाडिय़ों को तैयार किया जाएगा। आने वाले दिनों में इन्ही गाडिय़ों के माध्यम से पूरे शहर में कचरे का उठाव किया जाएगा।

चार्जिंग प्वाइंट भी बनेगा

रांची नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि जो पुराने खराब वाहन हैं, उनको इलेक्ट्रिक व्हीकल के रूप में बदला जा रहा है। इसके लिए निगम शहर में चार्जिंग प्वाइंट भी बनाया जाएगा, ताकि इन गाडिय़ों के संचालन में किसी तरह की परेशानी ना हो। रांची नगर निगम के पास लगभग 70 वाहन हैं, जिनको ईवी के रूप में तैयार किया जाएगा।

निगम के पास हैं 353 वाहन

फिलहाल रांची नगर निगम के पास खुद के 353 वाहन हैं। इनमें डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन वाले 311 टाटा एस, 30 ट्रैक्टर, एक डंपर, चार जेसीबी, नाली सफाई के लिए दो सुपर सकर, चार एंटी स्मॉग गन, सात स्वीपिंग मशीन और 35 कॉम्पैक्टर शामिल हैं। इनमें से करीब 50 टाटा एस, चार जेसीबी, 20 कॉम्पैक्टर समेत कुछ अन्य वाहन खराब पड़े हुए हैं। ये वाहन बकरी बाजार स्टोर, नागाबाबा मिनी ट्रांसफर स्टेशन और हरमू एमटीएस में पड़े-पड़े कबाड़ हो रहे हैं। कचरा उठानेवाले करीब 65 वाहन फिलहाल बकरी बाजार, नागाबाबा खटाल और हरमू रोड स्थित नगर निगम के स्टोर में खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे हैं। इनकी कीमत करीब सात करोड़ रुपए है। इन वाहनों की मरम्मत कराने के बजाय नगर निगम भाड़े के वाहनों से कचरा उठवा रहा है और बदले में हर महीने करीब 52 लाख रुपए चुका रहा है।

2.5 लाख घरों से वेस्ट कलेक्शन

सिटी के 2.25 लाख घरों से कचरा उठाने का जिम्मा नगर निगम का है। कचरा उठानेवाले वाहनों की खरीद के लिए पांच साल में ही लगभग 11.50 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए गए हैं। नए वाहनों की खरीद और भाड़े पर वाहन लेने का यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक नगर निगम अपने खराब पड़े वाहनों की मरम्मत पर ध्यान नहीं देगा। बताया जाता है कि एक बार कोई वाहन छोटी-मोटी खराबी के कारण ब्रेक डाउन होता है तो फिर महीनों तक उसकी मरम्मत नहीं कराई जाती है। कई बार तो लंबे समय तक मरम्मत नहीं होने से वाहन खड़े-खड़े कबाड़ हो जाते हैं।