RANCHI: झारखंड बिजली वितरण निगम ने बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव नियामक आयोग के पास दिसंबर महीने में ही भेज दिया है, लेकिन नियामक आयोग में अध्यक्ष और सदस्य के सभी पद खाली होने के कारण इस साल भी लोगों को बिजली का झटका नहीं लगेगा। टैरिफ में किसी भी तरह की हेरफेर से पहले आयोग में सुनवाई जरूरी होती है। सरकार के स्तर से भी अभी तक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर कोई पहल नहीं की गई है। यही वजह है कि इस साल भी आयोग की टीम गठित होने के आसार नहीं हैं। वित्तीय वर्ष 2020- 21 में विद्युत नियामक आयोग ने कोरोना को देखते हुए उपभोक्ताओं को राहत दी थी। तब आयोग ने बिजली वितरण निगम के टैरिफ रिवीजन के प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया था।

पहली बार आई ऐसी स्थिति

राज्य गठन के बाद पहली बार राज्य में बिजली की दर में बढ़ोतरी पिछले साल नहीं की गई थी। इस साल नियामक आयोग में किसी सभी पद पर व्यक्ति नहीं है, जिस कारण इस साल भी रेट रिवाइज होना मुमकिन नहीं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में विद्युत नियामक आयोग की टीम फंक्शनल नहीं होने के कारण टैरिफ पर सुनवाई शुरू नहीं हो पाई है। जबकि वितरण निगम ने पिछले साल दिसंबर में ही दर बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग को दिया था। विद्युत नियामक आयोग पर अध्यक्ष और सदस्य नहीं होने के कारण सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलने जा रहा है।

20 से 25 परसेंट बढ़ोतरी का है प्रस्ताव

झारखंड बिजली वितरण निगम ने दिसंबर 2020 में ही 20 से 25 परसेंट बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव नियामक आयोग को दिया था। उस समय वितरण निगम ने प्रस्ताव दिया था कि पिछले साल कोरोना के कारण दरों में बढ़ोतरी नहीं की गई थी। इसलिए इस बार दरों को बढ़ाना सुनिश्चित किया जाए। वितरण निगम को आशा थी कि अगस्त से सितंबर महीने के भीतर दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव स्वीकृत हो जाएंगे, लेकिन अध्यक्ष और सदस्य नहीं होने के कारण इस साल भी दर बढ़ोतरी का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है।

अब 2022-23 के लिए बात

बिजली वितरण निगम के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले 2 साल से बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। इससे वितरण निगम का घाटा हर साल बढ़ता ही जा रहा है। अब इस साल भी सदस्य और अध्यक्ष नहीं होने के कारण बढ़ोतरी होना संभव नहीं है। इसलिए नवंबर महीने में फिर से नया प्रस्ताव तैयार करके नियामक आयोग के पास भेजा जाएगा। संभावना जताई जा रही है कि नवंबर तक सरकार विद्युत नियामक आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर लेगी, जिसके बाद वितरण निगम नियामक आयोग को प्रस्ताव देगा और उस पर सुनवाई की जाएगी।

हर साल हो रहा है घाटा

झारखंड बिजली वितरण निगम के द्वारा दी गई दर को भले ही नियामक आयोग नहीं बढ़ा रहा है, लेकिन झारखंड बिजली वितरण निगम को हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। कई बड़ी सरकारी संस्थाएं भी बिजली जलाने के बाद निगम को पैसे नहीं दे रही हैं। कई उपभोक्ता भी हैं जो बिजली इस्तेमाल करने के एवज में निगम को पैसे नहीं दे रहे हैं। वर्तमान में बिजली वितरण निगम 3600 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है।

दूसरी कंपनियों के उपभोक्ताओं को भी राहत

झारखंड विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष और सदस्य विहिन होने के कारण सिर्फ झारखंड बिजली वितरण निगम के उपभोक्ताओं को ही राहत मिलने नहीं जा रही है, बल्कि टाटा और डीवीसी क्षेत्र में जितने उपभोक्ता हैं उनको भी राहत मिलने की उम्मीद है। इन दोनों कंपनियों की ओर से भी जो प्रस्ताव दिया गया है, उस पर भी सुनवाई नहीं होगी। इस वजह से दोनों कंपनियों के सर्विस एरिया में दरें रिवाइज नहीं होंगी।