रांची(ब्यूरो)। जिले में इन दिनों ई रिक्शा वालों की चांदी है। पूरे महीने ई -रिक्शा चलाने पर उनको 650 रुपए से 700 रुपए तक खर्च आता है। क्योंकि झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा ई रिक्शा की बैट्री चार्जिंग करने के लिए कोई रूल रेगुलेशन नहीं बनाया गया है। नतीजा यह होता है कि ई -रिक्शा वाले अपने घर में जो डोमेस्टिक कनेक्शन लिये हैं उसी से बैट्री को चार्ज करते हैं। अगर कॉमर्शियल कनेक्शन लेकर बैट्री चार्ज करेंगे तो उनको हर महीने 1200 से 1300 रुपए बिल देना होगा। बता दें कि व्यावसायिक दर की तुलना में घरेलू बिजली का चार्ज लगभग 40 फीसदी तक कम होता है। इस लिहाज से इस खेल से बिजली विभाग को राज्यभर में हर महीने करोड़ों रुपए की चपत लग रही है।

रांची में 30 लाख मंथली नुकसान

ई-रिक्शा की बैट्री चार्ज करने के लिए बिजली की संगठित चोरी से राची में बिजली वितरण कंपनियों को सालाना करीब चार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। एक आकलन के अनुसार, शहर की सड़कों पर पांच हजार से अधिक ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। सरकार से छूट मिलने के बाद भी इनमें से महज एक चौथाई ही रजिस्टर्ड हैं। बिजली विशेषज्ञों का दावा है कि समुचित चार्जिंग सुविधा की कमी से घर पर ही बैट्री चार्ज करते हैं।

डेली 4-5 यूनिट खपत

औसतन एक ई-रिक्शा प्रतिदिन चार से पांच यूनिट बिजली की खपत करता है। इस तरह प्रतिवर्ष एक ई-रिक्शा करीब 1200-1500 यूनिट बिजली का उपभोग करता है। रांची की सड़कों पर करीब 5000 ई रिक्शा चल रहे हैं। अगर एक ई रिक्शा एक महीने में 120 यूनिट कॉमर्शियल बिजली का इस्तेमाल करता है तो उसको 700 से 800 रुपए बिजली का बिल आता है। लेकिन वह अपने घर में जो डोमेस्टिक कनेक्शन लिया है उसी का उपयोग करता है। रांची में डोमेस्टिक यूजर को प्रति यूनिट साढ़े तीन से 4 रुपए बिजली का बिल भुगतान करना होता है, लेकिन कॉमर्शियल यूजर को छह रुपए से अधिक प्रति यूनिट बिजली का बिल देना होता है।

कमाई भरपूर फिर भी चोरी

ई-रिक्शा मालिकों को कमाई भी खूब हो रही है। फिर भी घरेलू कनेक्शन से ही उसे चार्ज करते हैं। ई-रिक्शा चालक प्रतिदिन 400 रुपए मालिक को किराये के रूप में देते हैं। एक दिन में चालक को 800 से 1200 रुपए की कमाई होती है। इसके अलावा गैराज मालिक स्वतंत्र चालकों से यार्ड में ई- रिक्शा खड़ा करने का किराया 30 रुपये वसूलते हैं। वहीं, उनसे 90 रुपये बैट्री चार्ज का खर्च लिया जाता है।

टोका फंसाकर चार्जिंग

सिटी में करीब पांच हजार ई रिक्शा फर्राटा भर रहे हैं। लेकिन इनमें किसी ने भी बिजली विभाग से कॉमर्शियल कनेक्शन नहीं लिया है। विभाग यह मानकर चल रहा है कि ये सभी टोका फंसाकर ई-रिक्शा को चार्ज करते हैं। वहीं, कई ई रिक्शा पुराने मॉडल के हैं, जो चार्ज होने में नए मॉडल की अपेक्षा कई गुना अधिक बिजली की खपत करते हैं। पुराने मॉडल का एक ई-रिक्शा दिनभर में करीब चार से पांच यूनिट से अधिक बिजली खपत करता है। इससे इनकी आधी कमाई बिजली बिल जमा करने में जा सकती है, लेकिन, ई-रिक्शा चालक टोका फंसाकर चार्ज कर अपने पैसे बचा लेते हैं और विभाग को लाखों के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं।

5000 में 1000 को ही परमिशन

रांची शहर में करीब पांच हजार ई-रिक्शा चल रहे हैं, इसमें से करीब एक हजार ई-रिक्शा को ही रूट परमिशन दिया गया है। अगर बिजली विभाग नगर निगम से रजिस्टर्ड ई रिक्शा का डाटा भी लेता है तो जो अवैध रूप से चल रहे हैं, उनको कैसे पकड़ा जाएगा।

कॉमर्शियल कनेक्शन जरूरी

शहर में चलने वाले ई-रिक्शा व्यापारिक गतिविधि होने के कारण इसके लिए कॉमर्शियल कनेक्शन लिया जाना चाहिए। लेकिन, किसी ने भी विभाग में आवेदन नहीं दिया है। इसे बिजली विभाग भी स्वीकार करता है। अजीत कुमार ने कहा कि ई-रिक्शा वाले टोका डालकर बिजली की चोरी कर रहे हैं, कुछ घरेलू कनेक्शन पर चार्ज करते हैं, लेकिन दोनों ही स्थिति में बिजली चोरी हो रही है। जल्द ही इनपर कार्रवाई की जाएगी।