--ग्रीन लैंड जोन के तमाम नियम ताक पर, डैम का अस्तित्व खतरे में, गहराया पानी का संकट

--पार्षद की गुहार भी नही सुन रहा रांची नगर निगम

राजधानी में पानी की स्थिति भयावह होती जा रही है। एक तरफ जहां ्रग्राउंड वाटर का लेवल गिरता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ जलस्त्रोतों पर माफिया और दबंगों के साथ साथ लोकल लोग भी कब्जा जमाते जा रहे हैं। कांके डैम पर कई स्थानीय लोगों ने आशियाना बना डाला है। पानी पर बनाए गए इस घर के लिए कई बार सैकड़ों लोगों को नोटिस भेजा गया, अतिक्रमण हटाया गया, लेकिन उसके बावजूद भी कांके डैम पर कब्जा करने वाले हार नहीं मान रहे। कांडे डैम के एक किनारे पर तो पार्क बना दिया गया, लेकिन रोड से लेकर उस पार्क तक माफिया और दबंगों ने कब्जा कर डाला है। सारी जमीन सरकारी है लेकिन कार्रवाई करने वाले अधिकारी मामले से पल्ला झाड़ने में लगे हैं।

काटे गए पहाड़, गंदे पानी का नाला डैम में

डैम के किनारे रॉक गार्डन के पहाड़ हैं, जिन्हें एक किनारे से काटा भी जा रहा है। जमीन पर कब्जा करने वाले दलालों और माफियाओं ने डैम के नजदीक की कई छोटी बड़ी जमीनों पर बाउंड्री भी कर डाली है। बाउंड्री के भीतर भी पहाड़ के हिस्से साफ दिखाई दे जाते हैं। वहां कई घरों से निकलने वाला गंदे पानी का नाला सीधे डैम में खोल दिया गया है। पानी प्रदूषित होता जा रहा है जो ना तो पीने लायक रहा ना ही नहाने लायक। हर साल भारी तादाद में मछलियां भी मर जा रही हैं।

2017 में बना था घेराबंदी का प्लान

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से 2017 में डैम के चारों ओर कंटीले तारों से घेराबंदी करने का प्लान तैयार किया गया था, लेकिन इसपर आजतक कोई काम नहीं किया गया। फिलहाल इस डैम के चारों ओर कई लोगों ने अतिक्रमण कर घर तक बनवा लिया है। प्रशासन की ओर से इन्हें हटाने के लिए कई बार प्रयास भी हुआ, लेकिन कब्जेदारों को टस से मस नहीं किया जा सका।

34 लाख से पूरा होना था काम

कांके डैम के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता तपेश्वर चौधरी ने बताया कि पूरे डैम का कंटीले तार से फेंसिंग किए जाने का प्लान बनाया गया था, लेकिन काम नहीं हो सका। इसका मकसद है कि लोग डैम के किनारे अब अतिक्रमण न कर पाए। फेंसिंग करने के लिए करीब 34 लाख रुपए खर्च किए जाने थे और चार महीने में इसे पूरा करने का टारगेट रखा गया था, लेकिन काम की फाइल ही दबा दी गयी।

35 से बढ़कर अब 50 फीसदी पर कब्जा

2017 में जहां आंकलन के अनुसार डैम के 30 से 35 फीसदी हिस्से पर अतिक्रमण किया गया था, वहीं 2019 में माना जा रहा है कि यह बढ़कर 50 फीसदी से ऊपर हो गया है। 1960-65 के बीच डैम का निर्माण राजभवन, सीसीएल, रातू रोड, पिस्का मोड़ व आसपास के इलाकों में जलापूर्ति के लिए किया गया था, लेकिन अब यह पानी पीने लायक नहीं है।

1954 में कांके डैम में 459.59 एकड़ अधिग्रहीत जमीन

वर्ष 1954 में कांके डैम में 459.59 एकड़ भूमि अधिग्रहित है। जिन जगहों में भूमि अधिग्रहित हुई हैं, उनमें मिसिरगोंदा-मौजा 191, नवासोसो- मौजा 150, चटकपुर- मौजा 158, पंडरा-मौजा 155,हेसल-मौजा 202 व कटहलगोंदा-201.

2016 में इन्हें जारी किया गया नोटिस

अतिक्रमणकारी मौजा क्या है स्थिति

साव जी नवासोसो एस्बेस्टसशीट का मकान

हरेंद्र सिंह नवासोसो एस्बेस्टस शीट का मकान

सुजीत सिंह नवासोसो एस्बेस्टस शीट का मकान

अनिल सिंह नवासोसो एस्बेस्टस शीट का मकान

रेणु ठाकुर नवासोसो एस्बेस्टस शीट का मकान

विक्रम सिंह नवासोसो जमीन की चहारदीवारी

रवि जायसवाल नवासोसो मकानमय हाता

सिंह जी नवासोसो मकानमय हाता

मुखिया नवासोसो जमीन को तार से घेरा

अज्ञात व्यक्ति नवासोसो सात एस्बेस्टस शीट घर

अज्ञात 13 व्यक्ति मिसिरगोंदा खपड़ैल मकान

गुणानंद महतो कटहरगोंदा एस्बेस्टस मकानमय हाता

देवपूजन सिंह कटहरगोंदा एस्बेस्टस मकानमय हाता

सुनील शर्मा कटहरगोंदा एस्बेस्टस मकानमय हाता

जयनाथ गुप्ता कटहरगोंदा 228 वर्गफीट मकान

पवन शर्मा कटहरगोंदा 790 वर्गफीट मकान

धमर्ेंद्र कुमार कटहरगोंदा 5.33 डिसमिल मकानमय हाता

अज्ञात कटहरगोंदा 3.90 डिसमिल मकान

यादव जी कटहरगोंदा 2.50 डिसमिल बाउंड्री

ओझा जी कटहरगोंदा 360 वर्गफीट मकानमय हाता

मुंडा जी कटहरगोंदा 4309 वर्गफीट मकानमय हाता

सुनील जी कटहरगोंदा 312 वर्गफीट मकानमय हाता

डॉ बीपी सिन्ह कटहरगोंदा 15009 वर्गफीट मकानमय हाता

अज्ञात व्यक्ति कटहरगोंदा बाउंड्री

मैनें कई बार गुहार लगायी है, लेकिन ना तो अधिकारी मानने को तैयार हैं ना ही राजनेता ही बात को समझते हैं। कांके डैम पर भारी संकट है और इसका समाधान निकलना चाहिए।

नकुल तिर्की

पार्षद

वार्ड नम्बर 1